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अबीर गुलाल टेसू के फूलों के रंग,रेती में भगवान के साथ किसने खेली होली

होली यू तो पूरे विश्व मे खेली जाती है लेकिन बृज की होली की बात ही कुछ और होती है। क्योंकि बृज में होली एक दो दिन नही पूरे 40 दिन तक खेली जाती है चालीस दिन तक खेले जाने वाली इस होली की शुरुआत बाँके बिहारी में अबीर गुलाल फेंकने के साथ ही शुरु हो जाती है।

Anoop Ojha
Published on: 11 March 2019 6:15 PM IST
अबीर गुलाल टेसू के फूलों के रंग,रेती में भगवान के साथ किसने खेली होली
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नितिन गौतम

मथुरा: होली यू तो पूरे विश्व मे खेली जाती है लेकिन बृज की होली की बात ही कुछ और होती है। क्योंकि बृज में होली एक दो दिन नही पूरे 40 दिन तक खेली जाती है चालीस दिन तक खेले जाने वाली इस होली की शुरुआत बाँके बिहारी में अबीर गुलाल फेंकने के साथ ही शुरु हो जाती है। और जैसे जैसे देश भर में खेले जाने वाली होली का समय नजदीक आता है वैसे वैसे बृज में खेले जाने वाली होली का रंग और चटक हो जाता है। तभी तो महावन रमणरेती स्थित गुरु शरणानंद के आश्रम में अबीर गुलाल ओर टेसू के फूलों से खेले जाने वाली होली में उड़ने वाले आनंद प्रेम और उल्लास को देखकर हर कोई इस पल का साक्षी बनने को लालायित रहता है।

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रमणरेती में खेले जाने वाली होली की विशेषता यह रहती है जिसमे भगवान स्वयं संतों के साथ आकर होली खेलते है। जिसमें भगवान अपनी सखियों और ग्वाल बालोंं के साथ आकर फूलों से खेले जाने वाली होली अपने आप में खास होती है और इन फूलों की खुशबू से सम्पूर्ण वातावरण होली की मस्ती से रंगने लग जाता है। और वहाँ मौजूद श्रद्धालु प्रेम से सराबोर हो जाते हैं। तब भगवान संतो। और भक्तों के बीच में खेली जाती है।

यह होली अपने आप में इसलिए खास होती है कि यह होली पूरी तरह हर्बल होली होती है। क्योंकि भगवान भक्त और संतों के बीच टेसू के फूलों से बने रंग , हर्बल गुलाल के साथ साथ आस्था का रंग होता है। इलेक्ट्रॉनिक पिचकारियों से चहुँओर गिरता रंग और उड़ता गुलाल वातावरण को सतरंगी बना देता है।

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घंटों तक खेले जाने वाली होली को जो भी देख लेता है खेले बिना नहीं रह पाता ओर यही इस होली की विशेषता है। देश के कोने कोने से आये श्रद्धालुओं को इस होली को खेलने के बाद ऐसा लगता है मानो भगवान ने उनके साथ साक्षात होली खेली है ।

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भगवान के क्रीड़ा स्थली गोकुल की इस पावन भूमि रमणरेती में संत भगवान और भक्तों के बीच खेली गई होली रंग ही ऐसा है कि जो भी इसको देख लेता है वही इस प्रेम रंग में रंगने के लिए चला आता है। रमणरेती में खेली गई इस होली का रंग तब और चटक दिखाई देगा जब14 मार्च को बरसाना में लड्डू होली और 15 मार्च को बरसाना में।लाठमार होली खेली जाएगी। जिसकी तैयारियां अभी से बरसाना में होने लगी है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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