ब्रेकथ्रू कैफ़े टॉक: डिजिटल स्पेस में कोई हिंसा करे, तो उसकी रिपोर्ट ज़रूर करें

इन्टरनेट के दौर में अब लोगों की पहुंच थोड़ी आसान हुई है। पहले जहां  लोग रिपोर्ट करने से डरते थे लेकिन अब स्थिति थोड़ी सुधरी है। कई बार लोग रिपोर्ट की शुरुआत करते हैं लेकिन आखिर उस रिपोर्टिंग को आख़िरी पायदान तक नहीं पहुंचाते हैं।

SK Gautam
Published on: 29 Feb 2020 2:10 PM GMT
ब्रेकथ्रू कैफ़े टॉक: डिजिटल स्पेस में कोई हिंसा करे, तो उसकी रिपोर्ट ज़रूर करें
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लखनऊ: अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऑनलाइन डिजिटल स्पेस में महिलाओं को परेशान करना और उनके लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करना एक ट्रेंड बन गया है। ऐसी ही कुछ बातें महिलाओं के खिलाफ़ हो रही हिंसा और उनसे जुड़े अन्य मुद्दों जैसे बाल विवाह, लैंगिक भेदभाव इत्यादि जैसे मुद्दों पर पिछले 20 वर्षों से काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था ब्रेकथ्रू द्वारा गोमतीनगर के एक होटल मेंआयोजित कैफ़े टॉक चर्चा कार्यक्रम में कही गईं। इस कार्यक्रम में पत्रकार दिति बाजपेई और फैक्ट चेक़र काज़ी फ़राज़ अहमद ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन व समन्वय ब्रेकथ्रू के नदीम ने किया।

रिपोर्टिंग को आख़िरी पायदान तक नहीं पहुंचाते

रामनाथ गोयनका अवार्ड से सम्मानित पत्रकार दिति बाजपेई ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ़ हो रही हिंसा को कई बार हम रिपोर्ट नहीं करते हैं और यह कहीं ना कहीं हिंसा करने वाले लोगों को बढ़ावा देता है। इन्टरनेट के दौर में अब लोगों की पहुंच थोड़ी आसान हुई है। पहले जहां लोग रिपोर्ट करने से डरते थे लेकिन अब स्थिति थोड़ी सुधरी है। कई बार लोग रिपोर्ट की शुरुआत करते हैं लेकिन आखिर उस रिपोर्टिंग को आख़िरी पायदान तक नहीं पहुंचाते हैं। आजरिपोर्टिंग की वजह से शहर और गाँव दोनों ही जगह लोग इन मुद्दों पर अब खुल के बोलने लगे हैं। जिस के परिणामस्वरूप अब सेफ स्पेस या सुरक्षित वातावरण की भी माँग होने लगी है। पहले लोग दो जीबी डाटा महीने भर में खर्च करते थे लेकिन अब सस्ते डाटा की वजह से आज लोग दो जीबी डाटा रोज़ खर्च कर रहे हैं।

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टेक्नोलॉजी का दायरा काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहा

गूगल सर्टिफाइड फैक्ट चेक़र काज़ी फ़राज़ अहमद ने कहा कि डिजिटल दुनिया में हिंसा करना बहुत आसान है क्योंकि इन्टरनेट की दुनिया में अमूमन किसी को पहचान पाना थोड़ा मुश्किल होता है और इसी वजह से अक्सर देखा गया है कि लोग ऑनलाइन माध्यमों में में हिंसा को लोग नज़रंदाज़ करते रहे हैं क्योंकि पहले ऐसे तत्वों की पहचान करना आसान नहीं था लेकिन आज के दौर में टेक्नोलॉजी का दायरा काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहा है। आज ऑनलाइन रिपोर्ट करने से किसी का भी अकाउंट सस्पेंड हो सकता है और आईटी एक्ट २००० के अंतर्गत सज़ा भी हो सकती है। काज़ी ने कहा कि यदि आप से डिजिटल स्पेस में कोई हिंसा करे तो उसकी रिपोर्ट ज़रूर करें क्योंकि ऑनलाइन ट्रोलिंग आज एक बिज़नेसकी तरह काम कर रहा है। अत: समाज में बदलाव लाने के लिए और सेफ स्पेस को प्रोमोट करने के लिए इन ट्रॉल्स के खिलाफ़ कार्यवाही करना ज़रूरी है।

महिलाओं के प्रति होने वाली किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करें

चर्चा के दौरान ब्रेकथ्रू के नदीम ने कहा की आज केडिजिटल युग में हिंसा को ले कर लोग पले जहां लोग थोड़े बहुत संवेदनशील थे, वहीं अब इसमें बदलाव आया है। आज लोग थोड़े संवेदनशील हुए हैं और कहीं ना कहीं अब महिलाओं के प्रति होने वाली किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करने लगे हैं। यह नियमित प्रयासों का परिणाम है कि लोगों में ऑनलाइन सेफ स्पेस के प्रति जागरूकता बढ़ी है और ऑनलाइन माध्यमों में सुरक्षित वातावरण को ले कर काफ़ी योजनाएं भीबनाई जा रही हैं। इस कार्यक्रम में ब्रेकथ्रू से मनीष,अभिषेक,सलाहुद्दीन सहितकाफ़ी संख्या में लोग शामिल रहे।

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यहां जाने क्या है ब्रेक थ्रूकेबारे

ब्रेकथ्रू एक स्वयंसेवी संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है। कला, मीडिया, लोकप्रिय संस्कृति और सामुदायिक भागेदारी से हम लोगों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसमें हर कोई सम्मान, समानता और न्याय के साथ रह सके। हम अपने मल्टीमीडिया अभियानों के माध्यम से महिला अधिकारों से जुडें मुद्दों को मुख्य धारा में ला कर इसे देश भर के समुदाय और व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक भी बना रहे हैं। इसके साथ ही हम युवाओं, सरकारी अधिकारियों और सामुदायिक समूहों को प्रशिक्षण भी देते हैं, जिससे एक नई ब्रेकथ्रू जेनरेशन सामने आए जो अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला सके।

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