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लाॅकडाउन में पूर्व MLA के निधन पर टूटी सोशल डिस्टेंसिंग, बिना मास्क लगाए पहुंचे लोग

सामान्य तौर पर कहा जाता है कि कानून सबके लिए बराबर है। भारतीय संविधान सबको बराबर का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन आम तौर पर कही जाने वाली यह बातें कभी-कभी झूठी भी साबित होने लगती हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 7 May 2020 12:09 PM IST
लाॅकडाउन में पूर्व MLA के निधन पर टूटी सोशल डिस्टेंसिंग, बिना मास्क लगाए पहुंचे लोग
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अंबेडकरनगर: सामान्य तौर पर कहा जाता है कि कानून सबके लिए बराबर है। भारतीय संविधान सबको बराबर का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन आम तौर पर कही जाने वाली यह बातें कभी-कभी झूठी भी साबित होने लगती हैं। कभी-कभी ऐसे भी दृश्य सामने आते हैं जिन्हें देखकर सहसा यह कहने को मजबूर होना पड़ता है कि कानून सबके लिए बराबर तो नहीं है। जिस पर प्रशासन गरीबों को डंडा लेकर हांकता है क्या वैसा ही व्यवहार वह वीआईपी लोगों अथवा सफेदपोशो के लिए भी करता है।

कम से कम अंबेडकर नगर जिला प्रशासन इसकी एक बानगी अवश्य है जहां धारा 144 लागू होने के साथ ही लॉकडाउन भी लागू है। जिलाधिकारी महोदय द्वारा अंतिम संस्कार में 20 से अधिक व्यक्तियों के शामिल होने पर रोक लगायी गयी है। यह 20 व्यक्ति भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे, इसकी निगरानी के लिए नोडल अधिकारी भी बनाये गए हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह सब कागजो में ही है अथवा जनसामान्य के लिए भी लागू होता है। निर्देश यह भी है कि बाहर निकलने पर या भीड़ भाड़ में रहने पर मास्क लगाना भी आवश्यक है, लेकिन यदि एक साथ सभी का उल्लंघन हो रहा हो तो आखिर जिम्मेदार कौन है? क्या इस पर कार्यवाई नही होनी चाहिए? लेकिन जिला प्रशासन को शायद इस प्रकार का उल्लंघन नही दिखता है।

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ऐसा ही मामला सामने आया है हंसवर थाना क्षेत्र के भुलेपुर में, जंहा पूर्व विधायक अजीमुल हक पहलवान की दुःखद मृत्यु पर भारी संख्या में लोग शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे। किसी की मृत्यु पर, वह भी जन प्रतिनिधि रह चुके व्यक्ति की मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करनी भी चाहिए, परिजनों को दुःख की घड़ी में सांत्वना प्रदान करना चाहिए, लेकिन क्या नियमो व कानूनों को तोड़कर कार्य करना उचित है। इसे तोड़ने वाले कोई सामान्य व्यक्ति भी नही थे,उनमे ज्यादातर ऐसे लोग थे जो कभी सरकार में रहकर नियमो को बनाने की जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

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पूर्व विधायक के निधन पर न तो सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन हो सका और न हो मास्क लगाने की अनिवार्यता का ही। इसके साथ ही जुटने वाली भीड़ पर भी प्रशासन कुछ नहीं कर सका। कोरोना की भयावहता के बीच माननीय लोग वहां एक दूसरे के बिलकुल नजदीक बैठे देखे गए, साथ ही ज्यादातर लोगो के मुंह पर मास्क भी गायब रहा। बावजूद इसके प्रशासन चुप है। माननीयों को सरकार के दिशा निर्देशों का अनुपालन नही करना चाहिए था? क्या वे सब कानून से परे थे? प्रशासन ने अभी तक इस पर क्या कार्यवाई की। मोटर साइकिल पर दो लोगो के साथ चलने पर तो कानून का पाठ पढ़ाया जा रहा है, लेकिन जंहा सब कुछ एक साथ ध्वस्त हुआ वहां के लिए चुप्पी क्यों?

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इससे तो यही प्रतीत होता है प्रशासन कानून का पाठ भी देखकर पढ़ाता है। इस दौरान मौजूद लोगों में पूर्व एमएलसी विशाल बर्मा, सपा नेता शेष कुमार वर्मा,पूर्व सासंद त्रिभुवन दत्त, सपा के जिला महासचिव मुजीब अहमद समेत अन्य नेता शामिल रहे। इस संबंध में सीओ टाण्डा अमर बहादुर का कहना है, कि अभी तक तो कोई कार्यवाई नहीं की गयी है, लेकिन वह इस पर धारा 188 के उल्लंघन के तहत कार्यवाई करेंगे।

रिपोर्ट: मनीष मिश्रा



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