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सरकार को बिल लाने से पहले किसानों से करना चाहिए था विचार-विमर्श: मायावती

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बीते रविवार को संसद में पारित हुए कृषि सुधार बिल को लेकर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

Newstrack
Published on: 24 Sep 2020 6:19 AM GMT
सरकार को बिल लाने से पहले किसानों से करना चाहिए था विचार-विमर्श: मायावती
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मायावती ने कृषि सुधार बिल पर फिर साधा मोदी सरकार पर निशाना (social media)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बीते रविवार को संसद में पारित हुए कृषि सुधार बिल को लेकर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने कहा है कि किसानों के संबंध में कोई भी फैसला करने से पहले सरकार को उनके साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था।

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मायावती ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर कहा



बसपा सुप्रीमों मायावती ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर कहा कि जैसा कि विदित है कि बीएसपी ने यूपी में अपनी सरकार के दौरान कृषि से जुड़े अनेकों मामलों में किसानों की कई पंचायतें बुलाकर उनसे समुचित विचार-विमर्श करने के बाद ही उनके हितों में फैसलें लिए थे। यदि केंद्र सरकार भी किसानों को विश्वास में लेकर ही निर्णय लेती तो यह बेहतर होता।

बता दे कि कृषि सुधार बिल के विरोध में कई विपक्षी दल लामबंद है और बीते रविवार को विपक्षी दलों ने इसके विरोध में राज्यसभा में अभूतपूर्व हंगामा भी किया था और विपक्षी दल होने के बावजूद बसपा ने विपक्षी दलों के इस हंगामें से स्वयं को दूर रखा था। लेकिन बसपा सुप्रीमों मायावती लगातार इस मुद्दे पर पार्टी की राय रखते हुए इसका विरोध कर रही है और केंद्र की मोदी सरकार को सलाह दे रही है।

बसपा सुप्रीमों ने बीते शुक्रवार को ट्वीट कर कहा था



बसपा सुप्रीमों मायावती ने बीते शुक्रवार को ट्वीट कर कहा था कि संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किए बिना ही, कल पास कर दिए गए है। उससे बीएसपी कतई भी सहमत नहीं है। मायावती ने आगे मोदी सरकार को सलाह भी दी थी कि पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केंद्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।

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बुधवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा था



इसके बाद बुधवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि वैसे तो संसद लोकतंत्र का मंदिर ही कहलाता है फिर भी इसकी मर्यादा अनेकों बार तार-तार हुई है। वर्तमान संसद सत्र के दौरान भी सदन में सरकार की कार्यशैली व विपक्ष का जो व्यवहार देखने को मिला है वह संसद की मर्यादा संविधान की गरिमा व लोकतंत्र को शर्मशार करने वाला है। अति दुखद।

मनीष श्रीवास्तव

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