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Budget 2019: जानिए आम बजट पर अर्थशास्त्रियों ने क्या कहा

ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि भारत सरकार एक निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य के साथ काम करना चाह रही है और देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य इस दिशा में पहला कदम दिख रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने निसंदेह ही कुछ ढांचागत परिवर्तन के प्रस्ताव रखे हैं।

SK Gautam
Published on: 6 July 2019 8:30 AM IST
Budget 2019: जानिए आम बजट पर अर्थशास्त्रियों ने क्या कहा
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लखनऊ: वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट लोकसभा में पेश किया जो कि एक संतुलित और देश को विकास की राह पर आगे अग्रसर करने वाला कहा जा सकता है बशर्ते की कुछ परिस्थितियां सरकार की अनुकूल बनी रहें ।

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बीपी यादव अर्थशास्त्री व टैक्स वकील

ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि भारत सरकार एक निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य के साथ काम करना चाह रही है और देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य इस दिशा में पहला कदम दिख रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने निसंदेह ही कुछ ढांचागत परिवर्तन के प्रस्ताव रखे हैं। जैसे कि-

- भारतीय रेलवे को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर लाना।

- रोडवेज, एयरवेज और वॉटरवेज को सुदृढ़ करना और मजबूत संपर्क सूत्र बनाना।

- मेट्रो लाइन का विस्तार करना।

- सभी के लिए आवास पर काम करना।

- प्रतिदिन 135 किलोमीटर की नई सड़कों का निर्माण करना।

- इलेक्ट्रिक व्हीकल, बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई ।

यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रत्येक योजना देश को विकास की ओर अग्रसर करने के लिए लाई जाती है, और सरकार की मंशा गलत नहीं होती है पर अक्सर देखा जाता है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में कहीं ना कहीं कमी रह जाती है और इस तरह की योजनाएं अपनी मंजिल तक पहुंचने में विफल हो जाती है।

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वित्त मंत्री ने इस बजट में गांव, गरीब और किसान को विशेष रूप से ध्यान में रखा है

अतः जरूरत है इन सभी प्रस्तावित योजनाओं को ईमानदारी और लगन के साथ क्रियान्वित करने की। वित्त मंत्री ने इस बजट में गांव, गरीब और किसान को विशेष रूप से ध्यान में रखा है, क्योंकि ग्रामीण आबादी अगर लाभान्वित होती है तो उसका सीधा प्रभाव उसके क्रय शक्ति को बढ़ाएगा और देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में काफी सहायक सिद्ध होगा।

इनलैंड वॉटरवेज का विकास सरकार की एक अच्छी पहल कही जा सकती है जो देश के विकास में आने वाले समय में काफी योगदान करेगी, सभी गांव को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जोड़ने की पहल भी एक अच्छी पहल है जिससे गांव का संपर्क शहरों से जुड़ जाएगा जो किसान और ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर में काफी मददगार साबित होगा।

प्रतिवर्ष ऐसा देखा जाता है कि देश का एक हिस्सा कहीं विध्वंसकारी बाढ़ की चपेट में है तो दूसरा हिस्सा सूखे की चपेट में है और इन दोनों ही परिस्थितियों में हमारे देश की कृषि उपज बुरी तरह प्रभावित होती है तथा धन और जन की भी काफी क्षति होती है। इन परिस्थितियों का सीधा असर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी पड़ता है और ऐसी परिस्थितियां निसंदेह की सरकार का जो लक्ष्य है उसे प्रभावित करती है।

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पिछली सरकारों में नदियों को जोड़ने की बात चली थी पर सब कुछ कागजी घोड़ा बनकर रह गया

बड़े आश्चर्य की बात यह भी है कि इस बजट में सरकार ने ऐसी परिस्थितियों से निपटने और उनके समाधान के लिए किसी भी तरह का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। पिछली सरकारों में नदियों को जोड़ने की बात चली थी पर सब कुछ कागजी घोड़ा बनकर रह गया। बाढ़ और सूखे जैसी विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए वर्तमान सरकार को गंभीर होना पड़ेगा और नदियों के जोड़ने के काम को अमल में लाना पड़ेगा।

बेरोजगारी भी देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती है और सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जैसा कि बजट में प्रस्तावित है अधिक से अधिक रोजगार सृजन करती दिख रही है। किंतु इसके साथ ही साथ यह भी जरूरी है कि सरकार जनसंख्या की बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए विशेष कदम उठाए।

यहां यह भी कहना गलत नहीं होगा कि जनसंख्या पर नियंत्रण किए बिना बेरोजगारी की समस्या का कोई भी और कभी भी पूर्ण निराकरण नहीं हो सकता और यह समस्या आने वाले समय में हमेशा ही तर्क और वितर्क का मामला बनी रहेगी।

वित्त मंत्री ने जन जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर घर जल की बात का प्रस्ताव रखा है

अपने बजट में वित्त मंत्री ने जन जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर घर जल की बात का प्रस्ताव रखा है जो निसंदेह ही एक अच्छा प्रस्ताव कहा जा सकता है। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि वर्तमान में करीब करीब पीने के पानी की कमी सभी जगहों पर हो रही है।

भूमि का जलस्तर उम्मीद से अधिक गति से कम हो रहा है पर वित्त मंत्री ने जल संरक्षण करने संबंधी और जल स्तर को कम होने से रोकने से संबंधी ऐसे किसी भी प्रस्ताव का उल्लेख नहीं किया है जो एक चिंता का विषय है और ऐसी परिस्थितियों में (हर घर को जल) का प्रस्ताव कितना सफल होगा यह तो समय ही बताएगा।

व्यक्तिगत कर में किसी तरह की छूट नहीं मिली है

अगर आयकर संबंधित बात की जाए तो ऐसा लगता है कि वित्त मंत्री मौजूदा करदाताओं से ही ज्यादा से ज्यादा कर बटोरती दिख रही है और करदाताओं का दायरा बढ़ाने संबंधी कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा है। व्यक्तिगत कर में किसी तरह की छूट नहीं मिली है। हां कारपोरेट जगत को कुछ रियायतें दी गई हैं जिसका उद्देश्य रोजगार सृजन हो सकता है और इस रियायत को उसी नजरिये से देखना चाहिए। पेट्रोल डीजल पर एक रुपये अतिरिक्त शेष लगाने से आम आदमी की जेब पर असर जरूर पड़ेगा।

वित्तीय घाटा जो करीब पांच लाख करोड़ रुपये का अनुमानित है इसको कैसे सरकार पूरा करेगी इस पर भी किसी तरह से सरकार का स्पष्टीकरण नहीं है। कुल मिला कर मोदी-2 सरकार का यह पहला बजट एक संतुलित बजट है। आने वाले समय में यह अर्थव्यवस्था की विकास दर को बढ़ावा देने वाला है।

क्योकि इसमे रेलवे को पीपी माडल पर लाने की बात हुई है सौ फीसदी एफडीआई निवेश बीमा क्षेत्र में, रोडवेज, एयरवेज, रेलवे में निवेश की बात की जा रही है जिससे ओवरआल ग्रोथ होने की उम्मीद है। जैसे निर्माण उद्योग जो सीमेंट सरिया आदि का निर्माण करती है।

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पीयूष मिश्रा सीए एवं अर्थशास्त्री

यह बजट नहीं एक रोड़मैप है सरकार जो सरकार आगे काम करने जा रही है। वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी-2 सरकार के पहले बजट में आगामी दस सालों का विजन रखा है। इस बजट में सबसे ज्यादा फायदेमंद स्टार्टअप इंडिया योजना है। इसमें एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किये जाने का प्रस्ताव है, जो स्वागत योग्य है।

स्टार्टअप इंडिया में काम करने वाले व्यापारियों की आयकर में स्क्रूटनी की जांच नहीं होगी। इसी तरह से कोई अपना घर बेच कर पैसा स्टार्टअप इंडिया में लगाता है तो उसे आयकर में छूट मिलेगी। इसके अलावा एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन है और जीएसटी रजिस्ट्रेशन है तो एक करोड़ रुपये तक का लोन 59 मिनट मे दिये जाने का प्रावधान है।

महिला सशक्तीकरण योजना के तहत नारी से नारायणी बनाने के लिए हर महिला को जिसका जनधन योजना में खाता है, उसको पांच हजार रुपये तक स्वतः ओवरड्राफट लोन की सुविधा

महिला सशक्तीकरण योजना के तहत नारी से नारायणी बनाने के लिए हर महिला को जिसका जनधन योजना में खाता है, उसको पांच हजार रुपये तक स्वतः ओवरड्राफट लोन की सुविधा रहेगी। इसके अलावा प्रत्येक महिला स्वः सहायता समूह के किसी एक सदस्य को एक लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा दी जायेगी।

इस बजट से बैंकिग सेक्टर भी काफी इंर्पूव करेगा। पिछले वर्ष से इसे तुलना करे तो एनपीए एक लाख करोड़ रुपये से कम हो गया है। इसके अलावा बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को 70 हजार करोड़ रुपये पूंजी वृद्धि के लिए दिये जाने का प्राविधान है।

पैन पोर्टेबिलटी के तहत अगर आधार कार्ड है तो पैन कार्ड की आवश्यकता नहीं है। इस वित्तीय वर्ष में अगर 45 लाख रुपये तक का कोई मकान खरीदा जाता है तो उस पर लिये जाने ऋण पर ब्याज की छूट दो लाख से बढा कर तीन लाख कर दी गयी है। मघ्यम आय वर्ग के लोगों के लिए यह एक अच्छा कदम होगा।

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अगर किसी व्यापारी द्वारा वर्ष में एक करोड़ से अधिक आहरण किया जायेगा तो उस पर दो प्रतिशत टीडीएस का प्राविधान हैंे । सरकार ने बड़े व्यक्तिगत करदाताओं पर सरजार्च बढ़ा दिया हैं जिनकी आमदनी 2 से 5 करोड तक है, उन पर तीन प्रतिशत सरचार्ज है एवं 5 करोड़ से ऊपर आमदनी पर सात प्रतिशत सरचार्ज कर दिया है।

इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर 12 से कम करके 5 प्रतिशत कर दिया है। कार ऋण पर ब्याज में डेढ लाख रुपये तक की कटौती होगी। सोने एवं कीमती धातुओं पर सीमा शुल्क 10 से बढ़ा कर 12.5 प्रतिशत कर दिया है। बजट में जनसंख्या नियंत्रण के सापेक्ष किसी प्रकार का कोई प्राविधान नहीं किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं में कोई नया प्राविधान नहीं किया गया है।

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