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बारिश का अकाल: नहीं हो रही बुन्देलखण्ड में बरशात, हर तरफ है सूखा
एक तरफ बुन्देलखण्ड में इन दिनों बेतवा नदी उफान पर है। बाढ़ जैसे हालात बने हुए है जबकि बुन्देलखण्ड में पिछले वर्ष की तुलना में 200 मिली वर्षा कम हुई है म0प्र0 के भोपाल, राय सेन, विदिसा, आदि मे हुई वर्षा के कारण इन दिनों वेतवा नदी उफान पर है।
झांसी: एक तरफ बुन्देलखण्ड में इन दिनों बेतवा नदी उफान पर है। बाढ़ जैसे हालात बने हुए है जबकि बुन्देलखण्ड में पिछले वर्ष की तुलना में 200 मिली वर्षा कम हुई है म0प्र0 के भोपाल, राय सेन, विदिसा, आदि मे हुई वर्षा के कारण इन दिनों वेतवा नदी उफान पर है।
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सिंचाई और पीने के पानी का हो सकता हैं संकट
झाँसी के अधिकांश तालाब वर्षा के अभाव में खाली है। इन दिनो तक बुन्देलखण्ड में तालाब लवा लव भर जाते थे। लेकिन इस वर्ष अधिकांश तालाब खाली पडे है जिन गांव में तालाबों की सिचाई होती है उन गांव के किसान चितिंत है। अगस्त का माह खत्म होने को है तालाब अभी तक नही भरे है यदि बर्षा नही हुई तो सिचाई और पीने के पानी दोनो का संकट हो जायेगा।
वर्षा होने पर भूजल भरण पर्याप्त नहीं हो पाएगा: संचान्त सिंह
भूर्गव जल विभाग झांसी सहायक अभियता के पद पर सतत संचान्त सिंह कहते है कि जिस प्रकार से जुलाई और अगस्त में कम बर्षा हुई है बह चिंता का विषय है बुन्देलखण्ड में अधिकांश वर्षा 15 सितम्बर तक ही होती है। मात्र 20 दिन का समय रह गया है यदि ठीक से बर्षा नही हुई तो बुन्देलखण्ड में भूजल भरण पर्याप्त नही हो पायेगा। जिसका असर बुन्देलखण्ड में वर्षाकाल के बाद दिखाई देगा। बुन्देलखण्ड इन दिनो जल बायु परिवर्तन दुष्प्रभावों से गुजर रहा है।
तालाब अभी आधे से भी कम भरा है: सीताराम
मानपुर गांव के किसान सीताराम कहते है कि उनके गांव का तालाब अभी आधे से भी कम भरा हुआ है इसी तरह से चमरऊआ गांव नरेन्द कुमार राजपूत कहते है कि उनके गांव का तालाब में तलहटी में पानी है जबकि उस तालाब से निकली नहर से तीन हजार हेक्टेयर से अधिक सिचाई होती है अगर अभी ठीक से वर्षा नही हुई तो खैती नही हो पायेगी।
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वर्षा न होने पर खरीफ और रवि की फसल होगी प्रभावित: संजय सिंह
जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह कहते है कि इस वर्ष बुन्देलखण्ड मे अधिकांश अल्प वर्षा हुई है तिल और उर्द की फसले अच्छी है लेकिन मूंगफली घान के लिए अपर्याप्त बर्षा है यदि आने बाले दिनों मे ठीक से वर्षा नही हुई तो खरीव और रवि दोनो फसले प्रभावित होगी। अगर देखा जाये तो जून से अब तक 400एमएम वर्षा हुई है लेकिन मौसम विभाग के अनुसार 542 एमएम वर्षा हो जानी चाहिए था। जबकि पिछले वर्ष 2019 में 1303.3 एमएम वर्षा हुई थी।
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