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उपचुनाव: रामपुर में होगा सियासत का हाई-वोल्टेज ड्रामा

रामपुर विधानसभा सीट से नौ बार विधायक चुने जा चुके सपा के सियासी दिग्गज आजम खां इन दिनों खासी मुश्किल में हैं। 80 से ज्यादा मुकदमों में घिरे आजम पर सीट बचाने की जिम्मेदारी है तो यूपी के मुस्लिम वोटों पर सपा की पकड़ की आजमाइश भी रामपुर सीट पर होनी है।

SK Gautam
Published on: 4 Jun 2023 1:16 AM IST
उपचुनाव: रामपुर में होगा सियासत का हाई-वोल्टेज ड्रामा
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: आगामी 21 अक्टूबर को प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है लेकिन असली लड़ाई रामपुर में होती दिख रही हैं। सभी दलों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है और उपचुनाव के लिए बसपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है लेकिन भाजपा और सपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है।

रामपुर विधानसभा सीट से नौ बार विधायक चुने जा चुके सपा के सियासी दिग्गज आजम खां इन दिनों खासी मुश्किल में हैं। 80 से ज्यादा मुकदमों में घिरे आजम पर सीट बचाने की जिम्मेदारी है तो यूपी के मुस्लिम वोटों पर सपा की पकड़ की आजमाइश भी रामपुर सीट पर होनी है।

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बसपा के दलित-मुस्लिम गठजोड़ की नई कमेस्ट्री का होगा लिटमस टेस्ट

इधर पहली बार उपुचनाव लड़ने का ऐलान करके बहुजन समाज पार्टी ने भी सपा की मुश्किले बढ़ा दी है। बसपा के दलित-मुस्लिम गठजोड़ की नई कमेस्ट्री का लिटमस टेस्ट भी रामपुर में होगा। जबकि कांग्रेस भी अपने इस पुराने गढ़ पर परचम फहरा कर प्रदेश के मुस्लिम वोटों पर अपना हक वापस पाने की जुगत में लगी हुई है।

रामपुर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक होने के कारण सभी गैर भाजपा पार्टिंयां यहां अपनी उपस्थिति जताने के लिए ताकत लगा रही हैं। बसपा ने मुस्लिम वोटरों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कस्टम विभाग के पूर्व अधिकारी जुबेर मसूद खान को टिकट दिया है।

कांग्रेस द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी अरशद अली खां गुड्डू के कारण बसपा की सोशल इंजीनयरिंग गड़बड़ा सकती है

एक पूर्व कोआर्डिनेटर कहते हैं कि बसपा के लिए इस बार अच्छा मौका है, क्योंकि भाजपा को जीतने से रोकने के लिए दलित-मुस्लिम समीकरण ही मजबूत दिखता है। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी अरशद अली खां गुड्डू को चुनाव मैदान में को उतार देने से बसपा की यह नई सोशल इंजीनयरिंग गड़बड़ाती लग रही है।

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कांग्रेस और बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी उतार देने से सपा के लिए रामपुर की राह थोड़ी ज्यादा मुश्किल हो गयी हैं। सपा से पहले डिंपल यादव का नाम रामपुर उपचुनाव के लिए चर्चा में रहा लेकिन पिछले दिनों अखिलेश की तीन दिवसीय रामपुर यात्रा में स्थानीय लोगों के कम संख्या में पहुंचने के बाद पार्टी शायद ही यह जोखम उठाये।

इसके साथ ही रामपुर में बीते कई चुनावों से चुनाव की धुरी आजम खां के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है लेकिन फिलहाल आजम मुकदमों में इतना फंसे है कि गिरफ्तारी के अंदेशे में वह खुल कर चुनाव प्रचार भी नहीं कर सकते है।

आजम की पुत्रवधू को रामपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाने पर जोर

सपा में एक गुट बहुत तेजी से आजम की पुत्रवधू को रामपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाने के लिए जोर लगा रहा है। इस गुट का कहना है कि आजम खां के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसकी सहानुभूति का फायदा उपचुनाव में उठाने के लिए आजम परिवार के सदस्य का लड़ना जरूरी है।

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इधर, रामपुर में आजम खां के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले बाबू खां सुर्खी के मुताबिक 50 फीसदी मुस्लिम वोटरों इस चुनाव क्षेत्र में इस बार मुस्लिम वोटर रणनीति बना कर मतदान करेंगे। इस समय मुस्लिम वोटरों का सबसे बड़ा लक्ष्य भाजपा को हराने का है, ऐसे में मुस्लिमों में विभाजन की उम्मीद लगाना बेमानी साबित हो सकता है।

उनका कहना है कि यहां मुस्लिम वोटर एकतरफा वोटिंग करेगा लेकिन अब वह हर बार की तरह सपा में जायेगा यह तय नहीं है। इनका कहना है कि उपचुनाव में भाजपा भी किसी मुस्लिम चेहरे को मैदान में उतार सकती है।



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