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UP Caste Census Survey: सपा के नक्शेकदम पर कांग्रेस, जाति जनगणना की मांग पर यूपी में चलाएगी बड़ा अभियान
UP Caste Census Survey: समाजवादी पार्टी के नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
UP Caste Census Survey: बिहार में जाति सर्वे का आंकड़ा सार्वजनिक होने के बाद से हिंदी पट्टी के अन्य राज्यों में जातिगत राजनीति को नई दिशा मिल गई है। आमतौर पर जाति आधारित राजनीति से बचने वाली कांग्रेस हाल फिलहाल में इसे सबसे बड़ा मुद्दा बना रही है। चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी के वरीय नेता लगातार जाति जनगणना की मांग को उठा रहे हैं। कास्ट पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा अखाड़ा माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में भी ग्रैंड ओल्ड पार्टी इस मुद्दे के सहारे खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है।
अपनी सहयोगी समाजवादी पार्टी के नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। पार्टी इसको लेकर पिछड़ों के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाएगी। बैकवर्ड क्लास के एक करोड़ लोगों का हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इतना ही नहीं हर विधानसभा में एक जनसभा आयोजित की जाएगी, जिसमें जाति आधारित जनगणना के फायदे और कांग्रेस के एजेंडे से लोगों को रूबरू कराया जाएगा।
जातीय जनगणना से क्यों घबरा रही भाजपा सरकार – अजय राय
मंगलवार को सरदार पटेल की जयंती पर लखनऊ के गांधी सभागार में कांग्रेस के राज्य स्तरीय पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रदेशव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। इसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यूपी में पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या सबसे अधिक है, मगर प्रतिनिधित्व सबसे कम। कांग्रेस ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के सिद्धांत पर काम कर रही है।
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा सरकार जातीय जनगणना कराने से घबरा क्यों रही है ? कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव ने कहा कि मंडल स्तर के बाद जिला व ब्लॉक स्तर तक सम्मेलन करके पिछड़ा वर्ग से संबंधित टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। उन लोगों तक राहुल गांधी का संदेश जितनी आबादी उतना हक पहुंचाया जाएगा।
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यूपी में कांग्रेस को जीवित करने का एकमात्र जरिया
यूपीए सरकार के दौरान जातीय जनगणना के आंकड़े को दबाकर बैठने वाली कांग्रेस अब इस पर मुखर होकर बोल रही है। चुनावी प्रदेशों में राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी समेत पार्टी के तमाम वरीय नेता जाति आधिरत जनगणना के मुद्दे का जिक्र करना नहीं भूलते। इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी की असहजता को भांपते हुए कांग्रेस ने इसे भूनाने का फैसला किया है। सियासी दृष्टिकोण से देश के सबसे बड़े सूबे (यूपी) में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस को लगता है कि अब बस एकमात्र जाति आधारित जनगणना ही एक ऐसा मुद्दा बचा है जो यहां संगठन को दोबारा खड़ी कर सकती है।
कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे उसे पिछड़े समुदाय में अपनी पैठ बनाने में मदद मिलेगी। इंडिया गठबंधन में शामिल उसकी सहयोगी पार्टी सपा पिछले कुछ समय से इस मुद्दे पर काफी आक्रमक तरीके से आगे बढ़ रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का दांव चल अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। मायावती की अगुवाई वाली बसपा की निष्क्रियता को देखते हुए सपा को इसका फायदा होने का अनुमान है। ऐसे में कांग्रेस यूपी में जातीय जनगणना के मुद्दे पर तैयार होने वाली वोट की फसल को अकेले सपा को नहीं काटने देना चाहेगी।