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गोंडा में बंद सेन्ट्रल बैंक की एलबीएस शाखा, 10 हजार ग्राहक हुए नाराज

एलबीएस डिग्री कालेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. शैलेन्द्र नाथ मिश्र कहते हैं कि सेंट्रल बैंक की एलबीएस शाखा को बंद करने का निर्णय उचित नहीं है। इस शाखा में कालेज के सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का खाता है, जिसमें करोड़ों रुपए प्रतिमाह आते हैं।

Shraddha Khare
Published on: 9 Feb 2021 1:15 PM GMT
गोंडा में बंद सेन्ट्रल बैंक की एलबीएस शाखा, 10 हजार ग्राहक हुए नाराज
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गोंडा में बंद सेन्ट्रल बैंक की एलबीएस शाखा, 10 हजार ग्राहक हुए नाराज

गोंडा : ‘कहां तो तय था चिरागां हर एक घर के लिए, कहां चिरागा मयस्सर नहीं शहर के लिए‘ मशहूर शायर दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए सेवाओं के विस्तारकरण के दौर में सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया का प्रबंधन लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज के भवन में संचालित बैंक की एलबीएस शाखा को बंद करने जा रहा है। इस शाखा का विलय बैंक के बड़गांव स्थित मुख्य शाखा में किया गया है।

शाखा बंदी से कई हजारों ग्राहक असंतुष्ट

बैंक अफसरों द्वारा जारी नोटिस के अनुसार आगामी 06 मार्च से वहीं से सेवाएं दी जाएंगी। हालांकि बैंक शाखा बंदी के इस तुगलकी निर्णय से हजारों ग्राहक हतप्रभ और असंतुष्ट हैं। लगभग चार किमी दूर मुख्य शाखा में भेजे जाने से यहां के हजारों छात्रों समेत अन्य खाताधारकों में खासी नाराजगी है। प्रबंधन का यह फैसला भारत सरकार की देश के कोने-कोने तक बैंक सेवा पहुंचाने की मंशा को पलीता लगाने वाला है।

इस बीच सामाजिक संस्था अवध क्षेत्रीय जनकल्याण समिति ने इसे बैंक प्रबंधन की अक्षमता करार देते हुए इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, सेंट्रल बैंक के एमडी, सीईओ, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कैसरगंज के भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पत्र भेजकर बैंक शाखा को बचाने की मांग की है।

मुख्य शाखा को टक्कर दे रही थी एलबीएस शाखा

क्षेत्रीय व्यपारियों और लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज प्रबंधन की मांग पर सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया की स्टेशन रोड स्थित मुख्य शाखा द्वारा कालेज परिसर में वर्ष 1982 में विस्तार पटल स्थापित किया गया था। एलबीएस कालेज के छात्रों को प्रवेश फार्म बैंक की इसी शाखा से मिलता था। बेहतर बैंकिंग कामकाज, अच्छा व्यवसाय और बढ़ती ग्राहकों की संख्या को देखते हुए बैंक प्रबंधन द्वारा 10 साल पहले इसे द्वारा शाखा का दर्जा देकर बैंकिंग के सभी अधिकार प्रदान कर दिए गए।

एलबीएस शाखा

शाखा का पूर्ण अधिकार मिल जाने से यहां के व्यवसाय में आशातीत वृद्धि हुई और एलबीएस शाखा मुख्य शाखा को टक्कर देने लगी। जानकारों की मानें तो वर्तमान में जहां 80 साल पुरानी मुख्य शाखा का डिपाजिट 95 करोड़ है तो वहीं महज 10 साल पहले शाखा का दर्जा हासिल करने वाली एलबीएस शाखा का जमा लगभग 85 करोड़ है। वहीं कर्ज के मामले में जहां मुख्य शाखा द्वारा कुल 12 करोड़ कर्ज बांटा है तो वहीं एलबीएस शाखा ने लगभग साढ़े छह करोड़ का कर्ज बांटा है।

इस लिहाज से एलबीएस शाखा का व्यवसाय अच्छा ही माना जाएगा। मैनपावर के मामले में देखें तो यहां प्रबंधक, एक सहायक प्रबंधक को मिलाकर मात्र चार कर्मचारी हैं। जबकि मुख्य शाखा में एक वरिष्ठ प्रबंधक, दो प्रबंधक, एक प्रधान रोकड़िया, दो लिपिक, दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और एक सुरक्षा गार्ड की तैनाती है। भवन किराया के रुप में इस शाखा द्वारा प्रतिमाह मात्र नौ सौ रुपए ही देना पड़ रहा है। जबकि मुख्य शाखा का भवन किराया इसका कई गुना अधिक है।

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किराया बढ़ाने की नोटिस पर बैंक बंद करने का फैसला

शाखा संचालन के लिए सेन्ट्रल बैंक एलबीएस कालेज को नौ सौ रुपये किराया देता है। तमाम वर्षों से मामूली किराए पर चल रहे भवन का किराया बढ़ाने की बात जब कालेज प्रबंधन ने की तो बैंक के अधिकारियों द्वारा भवन खाली करने की बात कही और आसपास ही दूसरे भवन की तलाश होने लगी। इसको लेकर बैंक अफसरों द्वारा बाकायदा निविदा का प्रकाशन कराया गया और 14 अगस्त 2020 तक टेंडर आमंत्रित किया गया। जानकार बताते हैं कि बैंक शाखा से सटे शहीदे आजम भगत सिंह इण्टर कालेज तथा मात्र सौ मीटर दूर स्थित पार्किंग समेत अन्य सुविधाओं से सुसज्जित एक आलीशान मकान के स्वामी व कई अन्य लोगों ने निविदा भरकर प्रस्ताव भेजा।

कालेज प्रबंध समिति के सचिव को सरेंडर नोटिस भेजा गया

कई माह तक चुप्पी के बाद फरवरी माह में अचानक जब बैंक प्रबंधन द्वारा शाखा बंद करने का आदेश जारी किया तो बात कुछ हजम नहीं हुई। ग्राहकों का कहना है कि बैंक के अधिकारियों ने अल्प संसाधन में अच्छे प्राफिट वाली शाखा को बचाने के बजाय उसे बंद कराने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। चर्चा है कि बैंक के एक बड़े अफसर ने भी शाखा को हटाने की जिद पकड़ ली थी। कहा जा रहा है कि उसी रसूखदार अफसर के हठधर्मिता और गलत रिपोर्टिंग के कारण प्रबंधन को बैंक बंद करने का निर्णय लेना पड़ा। प्रबंधन द्वारा शाखा को बंद करने के फैसले के बाद शाखा प्रबंधक ने कालेज प्रबंध समिति के सचिव को भवन खाली करने का सरेंडर नोटिस भेज दिया है।

अदूरदर्शी निर्णय से छात्रों, खाताधारकों में नाराजगी

एलबीएस शाखा में 10 हजार से अधिक खाताधारक हैं। इसमें डिग्री कालेज का करोड़ों रुपए का डिपाजिट है। सभी प्रधाध्यापकों का भी खाता चल रहा है। कालेज में अध्यनरत छात्रों की भी खाता है जिसमें करोड़ों रुपए छात्रवृत्ति भी आती है। इनके अलावा भी दस हजार खाते खुले हुए हैं, जो यहां से बैंकिग सेवाएं ले रहे हैं। एक डिग्री और एक बड़े इण्टर कालेज के अति निकट होने से इस शाखा में हजारों छात्रों के साथ सैकड़ों शिक्षकों, कचहरी से निकट मुख्य मार्ग पर होने के कारण सैकड़ों वरिष्ठ अधिवक्ताओं, सिंचाई, बिजली, टेलीफोन आदि सरकारी विभागों और उनके कर्मचारियों साथ ही प्रख्यात आरएन पाण्डेय अस्पताल के भारी भरकम खाते इस ब्रांच में चल रहे हैं।

ग्राहकों को बैंक शाखा बंद होने पर हो रही यह दिक्कतें

अकेले एलबीएस कालेज का ही करोड़ों रुपया इस शाखा में जमा है तो शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन आदि का करोड़ों रुपए प्रतिमाह आता है। दर्जनों नामी गिरामी ठेकेदारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के भी बड़ी रकम यहां जमा है। सेन्ट्रल बैंक प्रबंधन द्वारा एलबीएस शाखा बंद होने और मुख्य शाखा में विलय की नोटिस चस्पा कर दी गई है। अब ग्राहकों को बैंकिंग कार्य के लिए अब मुख्य शाखा में जाना पड़ेगा। बैंक प्रबंधन द्वारा शाखा को बंद करके चार किमी दूर मुख्य शाखा में विलय करने के निर्णय से एक ओर जहां लोग हतप्रभ हैं वहीं इसको जलकर खाताधारकों में खासी नाराजगी भी है।

शिक्षक, कर्मचारी, छात्रों का बंद हो सकता है खाता

एलबीएस डिग्री कालेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. शैलेन्द्र नाथ मिश्र कहते हैं कि सेंट्रल बैंक की एलबीएस शाखा को बंद करने का निर्णय उचित नहीं है। इस शाखा में कालेज के सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का खाता है, जिसमें करोड़ों रुपए प्रतिमाह आते हैं। कालेज प्रबंधन के भी कई खाते इसी बैंक में हैं। इसके अलावा यहां के पांच हजार से अधिक छात्रों का भी खाता है, जिसमें छात्रवृत्ति आती है। चूंकि मुख्य शाखा यहां से लगभग चार किमी दूर है इसलिए वहां जाकर बैंकिंग कार्य निपटाने में भारी असुविधा होगी। इसलिए वहां न जाकर शिक्षक और कर्मचारी अब दूसरे बैंक में खाता खुलवाएंगे। इसी प्रकार तमाम छात्रों समेत हजारों अन्य ग्राहक भी अलग खाता खुलवाने की बात कर रहे हैं।

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एमडी को भेजा पत्र

सामाजिक संस्था अवध क्षेत्रीय जनकल्याण समिति के अध्यक्ष जगदम्बा प्रसाद मिश्र ने सेन्ट्रल बैंक के प्रबंधन द्वारा इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, सेंट्रल बैंक के एमडी, सीईओ, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पत्र भेजकर बैंक शाखा को विलय से रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि बैंक प्रबंधन द्वारा शाखा को बंद करने का निर्णय न तो बैंक के हित में है और न ही ग्राहकों के। अत्यंत सीमित खर्च और कम स्टाफ के बावजूद अच्छी प्राफिट वाली एलबीएस शाखा को बंद करने का निर्णय किसी भी दशा में उचित नहीं है।

गोंडा शहर में अकारण बैंक को किया बंद

बैंक के इस निर्णय से सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के हर क्षेत्र और हर व्यक्ति तक बैंकिंग सुविधाओं की पहुंच वाली मंशा पर कुठाराधात होगा। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं के विस्तारीकरण के इस दौर में अवध के सर्वाधिक महत्वपूर्ण गोंडा शहर में मात्र दो शाखाओं में भी अकारण एक को बंद करना जनमानस के साथ छलावा है। अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि यह बैंक के आला अफसरों की अक्षमता का भी परिचायक है। क्योंकि उन्होंने शाखा को बचाने का एक भी प्रयास नहीं किया। जबकि इस शाखा द्वारा और स्टाफ की मांग भी नहीं की गई थी। इसके पहले क्षेत्रीय और जोनल अफसरों ने कभी भी इसे बंद करने की जरुरत नहीं समझी क्योंकि यह शाखा कम खर्च में भी लाभ में थी।

बोले क्षेत्रीय प्रबंधक

सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया अयोध्या के क्षेत्रीय प्रबंधक एसके सिंह ने बताया कि उच्च प्रबंधन के निर्णय के अनुसार एलबीएस शाखा का विलय मुख्य शाखा में किया जा रहा है। उपभोक्ताओं को वहां भी पहले जैसे ही सेवा मिलेगी। शाखा पिछले काफी समय से विकास नहीं कर रही है। इससे बैंक प्रबंधन द्वारा इसे बंद करके मुख्य शाखा में विलय का निर्णय लिया गया है। बैंक द्वारा ग्राहकों को पूर्व की भांति बेहतर सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।

रिपोर्ट : तेज प्रताप सिंह

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