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चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता

चुनाव के खर्च के मुद्दे पर श्री प्रसाद स्पष्ट कहते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव का प्रमुख केन्द्र जनता है तथा जनता ही प्रत्याशी को चुनाव लड़ाती है और स्वयं भी लड़ती है, तो यहां खर्च जैसी कोई बात नहीं है। अगर सरकारी खर्च की बात करें तो यह सरकारी प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है।

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Published on: 24 Aug 2020 4:57 PM IST
चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता
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चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता

रोशन मिश्र

चंदौली जिले के चकिया विधान सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक शारदा प्रसाद हैं। इससे पूर्व शारदा प्रसाद 2002 तथा 2007 के विधान सभा चुनावों में चंदौली सुरक्षित सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 2002 के बाद बसपा-भाजपा गठबंधन सरकार में वह राज्यमंत्री भी रहे हैं। न्यूजट्रैक बातचीत में शारदा प्रसाद जी ने बड़े ही अनुभवी अंदाज एवं संजीदगी से जवाब दिया।

शारदा प्रसाद ने बताया कि समाज की चाहत तथा समाज में देखने एवं घूमने के बाद सामाजिक चिंतन का भाव पैदा हुआ। श्री प्रसाद कहते हैं कि अगर राजनीति में न आते तो विशुद्ध रूप से एक व्यापारी होते।

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चुनाव के खर्च के मुद्दे पर श्री प्रसाद स्पष्ट कहते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव का प्रमुख केन्द्र जनता है तथा जनता ही प्रत्याशी को चुनाव लड़ाती है और स्वयं भी लड़ती है, तो यहां खर्च जैसी कोई बात नहीं है। अगर सरकारी खर्च की बात करें तो यह सरकारी प्रक्रिया का एक आवश्यक अंग है।

चुनाव सुधार

शारदा प्रसाद कहते हैं कि, जब मतदाता को अपने मताधिकार का खुलकर प्रयोग करने की आजादी है और वह अपने पसंदीदा प्रत्याशी को बिना किसी दवाब के चुनने के लिए स्वतंत्र है तो इससे बड़ा चुनाव सुधार क्या हो सकता है!

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जनता से अपेक्षा के प्रश्न पर श्री प्रसाद बड़े ही शालीनता के साथ जवाब देते हैं, "जनता से एक ही अपेक्षा है कि वो अपने बीच में सदैव उपस्थित रहने और सेवा भाव के लिए तत्पर रहने वाले कैंडिडेट का ही चुनाव करे ताकि उसके सुख - दुख में वह हमेशा उपस्थित हो सके।"

चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता

कैरियर के सबसे बेहतरीन पल के बारे में श्री प्रसाद सरल शब्दों में कहते हैं कि जो पल प्रतिदिन सुकून से बीत जाता है वही सबसे अच्छा क्षण है अगर किसी कार्यकर्ता के साथ बहुत बुरा हो जाए तो इससे बुरा पल और कुछ नहीं हो सकता है।

28 साल का कैरियर

श्री प्रसाद बड़ी बेबाकी से कहते हैं कि वह 1992 से सक्रिय राजनीतिक भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। उनका मानना है कि प्रत्येक नेता की अपनी अलग - अलग सोच होती है। दूसरे के नजरिए को देखने से अच्छा है कि हमारा खुद का दृष्टिकोण हो।

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बड़े ही भावुक होकर कहते हैं कि चंदौली जिले के गठन में उनका बहुत योगदान रहा है। उनके सक्रिय प्रयास के कारण चंदौली को अलग जिला मुख्यालय मिला है और इसे चंदौली के लिए अब तक के सबसे बेहतरीन कार्यों के लिए याद किया जा सकता है।

दल-बदल

विधायक कहते हैं कि हमें समाज की सेवा करना है तो करना है, दल - बदल का कोई मायने नहीं। स्पष्ट शब्दों में जब मन में समाज के लिए सेवा भाव की इच्छाशक्ति है तो फिर दल - बदल जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए। समाज सर्वोपरि होना चाहिए।

चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता

दलों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र

विधायक का कहना है कि भाजपा में लोकतंत्र है और "जहाँ विचारधारायें मिल जाती है, वहीं लोकतंत्र होता है। जहाँ सामाजिक मुद्दों की बात आती है वहां सारे दल एक दूसरे के साथ खड़े हो जाते हैं, तो यह भी लोकतंत्र ही तो है"। अपने उपलब्धि पर श्री प्रसाद कहते हैं कि हम सरकार एवं जनता के मध्य एक पूल का काम करते हैं।

विकास के मुद्दे पर बात

अपने क्षेत्र में अपने कामों के बारे में शारदा प्रसाद कहते हैं कि अभी तो सरकार चल ही रही है। क्षेत्र में सीआरपीएफ का कैंप बन ही रहा है।रेलवे का बजट भी पास हो गया है जो चुनार से सासाराम तक जोड़ने का काम करेगा।

चकिया के विधायक शारदा प्रसादः राजनीति में न आता तो व्यापारी होता

उनका अगला प्रयास दीन दयाल उपाध्याय नगर से मधुपूर तक सड़क मार्ग को चालू कराना है जिसके लिए जोड़तोड़ से प्रयास हो रहा है। आशा है जल्द ही सफलता मिलेगी।

किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ब्लैक राइस सुगर फ्री का प्रोग्राम भी चलाया गया है।

विधायक निधि का सवाल

वह कहते हैं कि इस निधि से क्षेत्र सम्बन्धी रूके हुए कामों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है। आगे जोर देकर कहते हैं कि आज समाज पर कोरोना जैसी भीषण महामारी का साया है अतः इस समय सबसे ज्यादा जरूरत इस महामारी के खिलाफ लड़ना है।

नौकरशाही की दखलअंदाजी

इस मुद्दे पर विधायक कहते हैं कि वो अपना काम पूरा करते हैं और हम अपना।

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