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60 अरब के कारोबार पर चमकी बुखार की आंच
पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर: इसे मित्र राष्ट्र नेपाल की चीनपरस्ती कहें या फिर राष्ट्रवाद का उभार। सिर्फ सोशल मीडिया पर फैली एक अफवाह ने भारत-नेपाल के बीच 60 अरब के कारोबार को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। फल-सब्जी से लेकर कई खाद्य पदार्थों और जरूरी वस्तुओं का आयात-निर्यात करने वाले दोनों देशों के हजारों कारोबारियों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है। दरअसल, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के पीछे एक वजह लीची को भी बताया गया। मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक मासूमों की चमकी बुखार से हुई मौत पर नेपाली सोशल मीडिया में ऐसी बहस हुई कि वहां की सरकार ने फल-सब्जी समेत दुग्ध उत्पादों को बिना जांच प्रवेश पर बंदिश लगा दी। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेपाल सरकार तक दखल दे रही है, लेकिन कटुता के बीच कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है।
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दरअसल, नेपाल सरकार की कवायद के पीछे चीनी हस्तक्षेप को जिम्मेदार बताया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों, उद्योग-धंधों पर कब्जे की पुरजोर कवायद के बीच चीन मित्र देश भारत-नेपाल के व्यापारिक रिश्तों में भी दरार डालने की कोशिशों में कामयाब होता दिख रहा है। ताजा विवाद भारत से नेपाल जाने वाले फल-सब्जी, डिब्बा बंद दूध, एनर्जी ड्रिंक को बिना जांच नेपाल भेजने को लेकर है। नेपाल सरकार के नए आदेश के मुताबिक भारत से कोई भी खाद्य सामाग्री बिना जांच के नेपाल के भीतर प्रवेश नहीं पा सकेगी। लैब की उपलब्धता न होने के कारण दोनों देशों के बीच 60 अरब का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया है। जांच के इंतजार में देश के विभिन्न प्रदेशों से कच्चा माल लेकर आए ट्रकों की कतार सोनौली और रक्सौल बॉर्डर में देखी जा सकती है। जांच के इंतजार में ट्रकों में रखी हुई खाद्य सामग्री बार्डर पर खराब हो रही है।
लीची से शुरू हुआ मामला
नेपाल की सोशल मीडिया में यह बात जोर-शोर से फैली कि मुजफ्फरपुर की लीची में कुछ तत्व ऐसे हैं जिसे खाकर बच्चों में चमकी बुखार हो रहा है। इसके बाद नेपाल सरकार ने 17 जून को आदेश जारी कर दिया कि लैब में जांच के बाद ही भारत से सब्जी, फल-फूल व डिब्बा बंद दूध, एनर्जी ड्रिंक नेपाल में आ सकेगा। नेपाल में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने दलील दी कि बार्डर पर टेस्ट लैब नहीं हैं सो ऐसी रोक लगाना गलत है। नेपाल सरकार से अनुरोध किया गया कि जब तक सीमावर्ती सभी 23 कस्टम कार्यालयों पर परीक्षण लैब न बन जाएं, तब तक भारत से फल सब्जी की आपूर्ति से रोक हटाई जाए। इस मामले पर नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने दो आदेश जारी किए। पहले में लैब स्थापित होने तक छूट की बात कही गई। इसके चंद दिनों बाद तीन जजों की बेंच ने बिना लैब परीक्षण के फल-सब्जी के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया।
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तीन गुना महंगी हो गई सब्जी
सोनौली बार्डर से करीब 20 किमी दूर स्थित बुटवल में अस्थाई लैब में जांच के बाद भारतीय गाडिय़ां नेपाल जा पा रही हैं। इस कवायद में उन सब्जियों पर पूरी तरह रोक लग गई है, जो चंद दिनों में खराब हो जाती हैं। गोरखपुर से नेपाल में सब्जी भेजने वाले कारोबारी बिलाल अहमद का कहना है कि बिहार, यूपी, गुजरात, असम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से फल व सब्जी का निर्यात होता है। कस्टम पर लैब टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य होने से कारोबारी परेशान हो गए हैं। जांच के पेंच के बाद नेपाल के पहाड़ी इलाकों में सब्जी तीन गुना तक महंगी हो गई है। नेपाल में खाने पीने की वस्तुओं का 80 फीसदी तक आयात भारत से होता है। सोनौली व बीरगंज के रास्ते भारतीय मालवाहक सामान लेकर नेपाल जाते हैं।
माओवादी कर रहे बवाल
नेपाल में रोक के बाद तनाव की स्थिति भी पैदा हो रही है। लैब परीक्षण के बाद जो ट्रक नेपाल पहुंच रहे हैं उनके साथ माओवादियों द्वारा बदसलूकी की जा रही है। पिछले दिनों नेपाल के चितवन के नारायणगढ़ क्षेत्र में मेट्रोपॉलिटन फ्रेश वेजिटेबल्स एंड फ्रूट्स होल सेल मार्केट में आम लदे भारतीय ट्रक में तोडफ़ोड़ के साथ आगजनी की कोशिश की गई। फल और सब्जी व्यापारी संघ के अध्यक्ष थिर प्रसाद धिताल का आरोप है कि आक्रोशित नेपालियों ने ट्रक में आग लगाने की भी कोशिश की। भारत नेपाल मैत्री संघ के शांत कुमार शर्मा का कहना है कि यह सच है कि नेपाल की युवा पीढ़ी देश को आत्मनिर्भर देखना चाहती है लेकिन राष्ट्रवाद के नाम पर भारत विरोध पर उतारू युवाओं को देखना होगा कि वह कहीं चीन की साजिश का शिकार तो नहीं हो रहे हैं।
चीन का हाथ
भारतीय फल और सब्जियों की जांच के पीछे चीन की साजिश का अंदेशा जताया जा रहा है। विवाद की एक वजह चीन का सेब है। भारत ने चीन के सेब में रसायनिक तत्व होने के बात कहते हुए बिना जांच आयात पर रोक लगा रखी है। जिससे बाद वाया नेपाल भारतीय बाजारों में तस्करी कर चीनी सेब पहुंचाए जा रहे हैं। तस्करी की व्यापकता का अंदाजा कस्टम विभाग द्वारा दो वर्षों में सेब से लदे १०० ट्रकों को पकड़े जाने से हो जाता है। इस तस्करी से शिमला और कश्मीर का सेब व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।
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बकरों की जांच से तस्करी बढ़ी
नेपाल में मटन के लिए बकरों की आपूर्ति भारत से ही होती है। बहराइच, कालपी आदि इलाकों के कारोबारी बड़ी मात्रा में बकरे हर महीने नेपाल भेजते हैं। नेपाल सरकार ने साफ कर दिया है कि पशुओं की जांच के बिना उनकी आपूर्ति नहीं हो सकती है। पशुओं की जांच कोलकाता में होती है, अत: कारोबारियों को काफी खर्चा करना पड़ता है। नतीजतन, २० करोड़ रुपए महीने का कारोबार ठप है। कड़ाई के बाद बकरों की तस्करी बढ़ गई है। भारत-नेपाल की खुली सीमा से दो से तीन बकरों को पार कर तस्कर रोज तीन से चार हजार की कमाई कर रहे हैं। स्थानीय पत्रकार अतीक अहमद बताते हैं कि रोक के साथ ही नेपाल में कई एनजीओ सक्रिय हो गए हैं जो बकरी पालन पर जोर दे रहे हैं।
ट्रांसपोर्टर कर्ज में डूबे, बर्बादी की कगार पर
भारत-नेपाल के बीच फल-सब्जी के कारोबार में 1000 से अधिक ट्रक लगे हुए हैं। ट्रांसपोर्टर रविन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं कि जिन्होंने नेपाल में कारोबार के भरोसे ट्रक लोन पर लिया था, वह बर्बाद हो गए हैं। यूपी गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह का कहना है कि नेपाल सरकार रोज कोई नया नियम लागू कर रही है। सुनने में आ रहा है कि अब एक ट्रक में एक ही तरह की वस्तु जा सकेगी। ड्राइवरों के लिए भी गाइड लाइन बन रही है। अब नेपाल में उन्हीं ड्राइवरों को प्रवेश मिलेगा जिनके पास स्मार्ट फोन होगा।
क्लिंकर लदी गाडिय़ों पर ब्रेक
नेपाल के सीमेंट उद्योग में कच्चा माल के रूप में प्रयुक्त होने वाला क्लिंकर मध्यप्रदेश से आता रहा है। पिछले दिनों नेपाल में नारायण घाट पर अरबों की लागत से अत्याधुनिक क्रशर प्लांट लगने से क्लिंकर के धंधे में लगे भारतीय कारोबारियों की कमर टूट गई है। सोनौली और रक्सौल से होते हुए प्रतिदिन करीब 70 से 80 क्लिंकर लदी गाडिय़ां मध्य प्रदेश और राजस्थान से आती थीं लेकिन चीनी हस्तक्षेप के बाद क्लिंकर की आपूर्ति पर रोक लग गई है। नेपाल सीमा से सटे महराजगंज जिले का नौतनवां करीब 7 साल पहले तक पूर्वांचल की सबसे बड़ी गिट्टी मंडी हुआ करती थी, लेकिन क्रशर उद्योग पर चीन के कब्जे के बाद यह मंडी ही खत्म हो गई।
कनाडा और आस्ट्रिया की मटर की तस्करी
मोटे मुनाफे के खेल में कनाडा और आस्ट्रिया का 10 से 15 ट्रक मटर हर महीने गोरखपुर और आसपास के बाजारों में खप रहा है। ये मटर वाया नेपाल यहां पहुंचता है। कस्टम उपायुक्त राकेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में बीते दिनों सिद्धार्थनगर के उस्का बाजार में दो ट्रक मटर पकड़े जाने के बाद नेपाल और भारतीय व्यापारियों के गठजोड़ का खुलासा हुआ था। नेपाल के व्यापारी कनाडा से मटर मंगवाते हैं। कस्टम ड्यूटी में छूट के कारण व्यापारियों को मटर काफी सस्ती मिल जाती है। कोलकाता के पोर्ट से कनाडा व आस्ट्रिया से आई मटर नेपाल पहुंच जाती है। मोटी कमाई के लिए नेपाल से वापस तस्करी के जरिए भारत लाया जाता है। विश्व व्यापार संगठन के मानकों के मुताबिक यह मटर तभी स्थानीय बाजारों में बिक सकती है, जब कस्टम शुल्क अदा कर मंगाया जाए। ऐसे में इस मटर की बिक्री सिर्फ नेपाल में हो सकती है। दोनों देशों के व्यापारियों की मिलीभगत मटर को भारत में खपाया जाता है। ये मटर नेपाल पहुंचने तक 3000 रुपए कुंतल तक की हो जाती है। बाद में इसे भारतीय बाजारों में 5500 रुपये कुंतल में बेचा जाता है। ट्रांसपोर्टर का खर्च निकाल कर एक कुंतल मटर में करीब 2000 रुपए की बचत हो जाती है। कुछ भारतीय व्यापारी नेपाल में सस्ते दर पर मटर की खरीदारी करते हैं। बाद में इसे दाल के रूप में बदलकर भारतीय मटर की दाल के दाम पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। कस्टम उपायुक्त राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि यदि जांच में मटर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है तो उसे नष्ट किया जाएगा, अन्यथा अन्य विकल्प तलाशे जाएंगे। बता दें कि चाइनीज सेब और लहसुन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जिससे इन्हें नष्ट किया जाता है।