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अंतरराष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस का दूसरा दिन, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस के दूसरे दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में देश विदेश के विभिन्न संस्थानों से जूम एप के माध्यम से कनेक्ट हुए विशेषज्ञों ने बहु यामी शोध विषयों पर तकनीकी व्याख्यान प्रस्तुत किए।

Ashiki
Published on: 16 May 2020 3:39 PM GMT
अंतरराष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस का दूसरा दिन, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
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मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस के दूसरे दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में देश विदेश के विभिन्न संस्थानों से जूम एप के माध्यम से कनेक्ट हुए 10 से भी अधिक विषय विशेषज्ञों ने बहु यामी शोध विषयों पर तकनीकी व्याख्यान प्रस्तुत किए।

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'विभिन्न औषधियों की क्रिस्टल इंजीनियरिंग'

प्रथम व्याख्यान लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर पूनम टंडन द्वारा प्रस्तुत किया गया। सर्वप्रथम उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस पर के अवसर पर प्रतिभागियों के साथ प्रकाश की महत्वता पर चर्चा की प्रोफेसर टंडन का व्याख्यान विभिन्न औषधियों की क्रिस्टल इंजीनियरिंग विषय पर रहा।

उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि पेरासिटामोल कोक्रिस्टल इंजीनियरिंग तकनीक के द्वारा अधिक प्रभावी रख रमा के रूप में विकसित किया जा सकता है साथ ही उन्होंने पेरासिटामोल के विभिन्न गुण-धर्मों पर विस्तार से चर्चा की।

सत्र का दूसरा तकनीकी व्याख्यान कुवांगवुंन यूनिवर्सिटी सियोल साउथ कोरिया के प्रोफेसर उन हा चोई के द्वारा प्लाज्मा आधारित ड्रग डिलीवरी विषय पर दिया गया प्रोफेसर चाइना विस्तार पूर्वक बताया कि प्लाज्मा का उपयोग करके त्वचा संबंधी विभिन्न प्रकार के रोगों जैसे डर्मेटाइटिस एक्ने आदि का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस तकनीक का प्रयोग करके शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर टिशू को भी खत्म किया जा सकता है।

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जर्मनी से कनेक्ट हुए डॉ विकास राणा

सत्र का तीसरा व्याख्यान यूरिक जर्मनी से कनेक्ट हुए डॉ विकास राणा द्वारा दिया गया। डॉ राणा का व्याख्यान न्यूरोमोरफिक कंप्यूटिंग तकनीक पर केंद्रित रहा। उन्होंने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से ही हम आने वाले समय में कंप्यूटर में इंटरनेट डाटा के सही प्रकार से व्यवस्थित कर सकते हैं। सत्र का चौथा व्याख्यान आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर रमेश चंद्र द्वारा किया गया।

उन्होंने अपने व्याख्यान में गैस सेंसर डिवाइस एवं नैनोस्ट्रक्चर थिन फ़िल्म का उपयोग करके एनर्जी स्टोरेज डिवाइस बनाने पर विस्तार पूर्वक वर्णन किया। सत्र का पांचवा व्याख्यान आजू यूनिवर्सिटी रिपब्लिक ऑफ कोरिया से कनेक्ट हुए डॉक्टर मोहित द्वारा न्यूरोमोरफिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर दिया गया। उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में अपने शोध कार्य को प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया।

प्लाज्मा का उपयोग

उन्होंने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग करके उन्होंने वोर्टेक्स आधारित अधिक प्रभावी कैमरा व टच सेंसर डिवाइस विकसित करने पर शोध कार्य किया है। सत्र का छठा व्याख्यान इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च गांधीनगर के वैज्ञानिक डॉ मुकेश रंजन द्वारा विभिन्न प्लाज्मा तकनीक तकनीकी पर आधारित रहा। उन्होंने अपने व्याख्यान में प्लाज्मा का उपयोग करके विभिन्न क्षेत्रों में करने पर विस्तार से चर्चा की।

सातवां व्याख्यान सियोल यूनिवर्सिटी दक्षिण कोरिया के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नागेंद्र कौशिक द्वारा कोल्ड प्लाजमा आधारित विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार पर प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक वर्तमान में प्रचलित कैंसर के उपचार में प्रयुक्त होने वाली कीमो थेरेपी रेडिएशन थेरेपी आधी से अधिक प्रभावी कारगर सिद्ध हो सकती है।

इसके अलावा कैंसर के उपचार में प्रयुक्त होने वाली दवाइयां भी अधिक महंगी होने के कारण आम आदमी की पहुंच से बाहर होती हैं। ऐसे में ही है तकनीक अधिक प्रभावी व आसानी से उपलब्ध हो सकती है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर से कनेक्ट हुए डॉक्टर संजीव कुमार श्रीवास्तव ने डिपार्टमेंट ऑफ साइंस भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आईएसपीएम प्रोजेक्ट पर विस्तार से प्रतिभागियों को बताया।

सत्र का अंतिम व्याख्यान सेंट्रल कनेक्ट स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए से कनेक्ट हुए डॉ राहुल सिंगल द्वारा सुपर क्या यह सीटर आधारित एनर्जी स्टोरेज डिवाइस पर किए गए शोध कार्य पर विस्तार से चर्चा की गई।

कांफ्रेंस के दूसरे तकनीकी सत्र में देश विदेश के विभिन्न संस्थानों से आए हुए प्रतिभागियों द्वारा ओरल में पोस्टर प्रेजेंटेशन किए गए। जिसमें मुख्य रूप से इलाहाबाद विश्वविद्यालय सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार थापर यूनिवर्सिटी पटियाला गिरिराज कॉलेज फॉर वूमेन चेन्नई आदि रहे।

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ई कांफ्रेंस के अंतिम चरण में वेलेडिक्ट्री फंक्शन का आयोजन किया गया। कार्यक्रमों में डीन फैकल्टी ऑफ साइंस प्रोफेसर मृदुल गुप्ता भी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के शुरुआत में ही कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव प्रोफेसर अनिल मलिक ने कांफ्रेंस की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद प्रतिभागियों ने अपने विचार अनुभव सभी के साथ साझा किए। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रति कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ प्रोफेसर वाई विमला ने कॉन्फ्रेंस को बेहद सफल बताते हुए आने वाले समय में इस तरह के आयोजन की महत्ता के बारे में बताया।

साथ ही उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस पूरी तरह से ग्रीन कॉन्फ्रेंस है और ग्रीन कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन हमें ग्रीन प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। कार्यक्रम के अंत में डॉ अनिल यादव ने सभी विषय विशेषज्ञ अतिथियों व प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया कार्यक्रम का ऑनलाइन संचालन डॉ कविता शर्मा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विभाग के शिक्षक डॉ अनुज कुमार, डॉक्टर संजीव कुमार शर्मा, डॉक्टर योगेंद्र गौतम एवं अन्य विभागों से प्रोफेसर जयमाला प्रोफेसर शिवराज पुंडीर डॉक्टर ईश्वर सिंह प्रोफेसर स्नेह लता जायसवाल आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट: सुशील कुमार

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