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Chhath: व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देकर की परिवार के दीर्घायू की कामना, देखें तस्वीरें

लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना के लिए डूबते सूर्य अर्घ्य देती महिलाएं के चेहरे पर आज अलग ही रौनक दिखी। इन इन महिलाओं ने पर्व का पहला अर्घ्‍य पूरी आस्‍था और श्रद्धा के साथ अर्पि‍त कि‍या।

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Published on: 20 Nov 2020 11:30 PM IST
Chhath: व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देकर की परिवार के दीर्घायू की कामना, देखें तस्वीरें
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लक्ष्मण मेला मैदान में पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य देती महिलाएं

लखनऊ: आस्था के महापर्व छठ पर लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान की छटा देखते ही बनी। इस दौरान कोरोना का खौफ पर आस्था भारी दिखा। नाक से लेकर माथे तक सिन्दूर और हाथों में सूप लिए महिलाएं ज़ब भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए उतरी तो श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ परिवार और समाज की खुशहाली के लिए छठी मईया से कामना की।

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महिलओं ने की पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना

हालांकि कोरोना की वजह से भीड़ कम दिखी। इसके बावजूद कुछ लोग दोपहर से ही तैयारियों में जुट गए। लक्ष्मण मेला मैदान में छठ व्रती महि‍लाओं और उनके परि‍जनों का जुटना शुरू हो गया था। शाम 5 बजकर 3 मि‍नट पर जैसे ही भगवान भास्‍कर अस्‍त होने लगे, व्रती माताओं और उनके परि‍जन सूर्य देवता को अर्घ्‍य देकर पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना की।

महिलओं के चेहरे पर दिखी छठ की रौनक

लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना के लिए डूबते सूर्य अर्घ्य देती महिलाएं के चेहरे पर आज अलग ही रौनक दिखी। इन इन महिलाओं ने पर्व का पहला अर्घ्‍य पूरी आस्‍था और श्रद्धा के साथ अर्पि‍त कि‍या।

वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए शहर के बाहर बनी नयी कॉलोनि‍यों में महि‍लाओं ने घरों के भीतर और बाहर खाली स्‍थान पर छोटे अस्‍थायी जलाशय बनाकर उसी में खड़े होकर छठ पूजा कि‍या और अस्‍ताचलगामी भगवान भास्‍कर अर्घ्‍य दि‍या।

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सूर्य देव को समर्पित उत्सव है छठ

ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के क्रम में सूर्य देव की आराधना की जाती है। किसी भी नदी या सरोवर के तट पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है।

महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की माँ कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरूप पुत्र की प्राप्ति हुई थी। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने के लिए छठ पूजा की थी।



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