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धन्यवाद प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री का जवाब अहंकार की पराकाष्ठा: अजय कुमार लल्लू

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था पर कोई परिन्दा पर नहीं मार सकता, अपराध पूरी तरह नियंत्रण में है, पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आये दिन बलात्कार, लूट, हत्या जैसी जघन्य घटनाएं प्रदेश में कौन कर रहा है और सरकार उस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है।

SK Gautam
Published on: 19 Feb 2020 2:58 PM GMT
धन्यवाद प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री का जवाब अहंकार की पराकाष्ठा: अजय कुमार लल्लू
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये जवाब को झूठ का पुलिन्दा, अहंकार की पराकाष्ठा और तथ्यहीन करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा आरक्षण पर विपक्ष द्वारा उठाये गये सवाल का जवाब देते हुए यह कहना कि हमने अपने कार्यकाल में मार्च 2017 के बाद दो लाख पचास हजार युवाओं को नौकरियां दी हैं और उसमें आरक्षण के नियम का पूरी तरह पालन किया गया है, यह बयान पूरी तरह असत्य और गुमराह करने वाला है।

बेरोजगार युवाओं का अपमान

क्योंकि सरकारी विभाग की नौकरियों के बाकायदा विज्ञापन आते हैं, परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, परिणाम घोषित होते हैं और इतनी संख्या में सरकारी नौकरियां दिये जाने का साक्ष्य न तो सरकार के पास है और न ही किसी संस्था के पास है। यह जवाब उप्र. की विधानसभा, विपक्ष और बेरोजगार युवाओं का अपमान है।

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आये दिन बलात्कार, लूट, हत्या जैसी जघन्य घटनाएं

इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था पर कोई परिन्दा पर नहीं मार सकता, अपराध पूरी तरह नियंत्रण में है, पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आये दिन बलात्कार, लूट, हत्या जैसी जघन्य घटनाएं प्रदेश में कौन कर रहा है और सरकार उस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। उन्नाव में बलात्कार की तीन घटनाएं जिसमें हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट को दखल देना पड़ा।

इसी प्रकार शाहजहांपुर की घटना, अयोध्या, कानपुर, कानपुर देहात, गोण्डा की घटना, मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र गोरखपुर की घटना सहित प्रदेश के लगभग हर जिलें में बलात्कार की घटनाएं समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं। अभी कानपुर देहात में दबंगों द्वारा भीम कथा के आयोजकों की पिटाई करना, घर में घुसकर महिलाओं और बच्चों को पीटना, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ महीने के अंदर ही हिन्दू संगठन से जुड़े दो-दो प्रदेश स्तरीय नेताओं की हत्या, लखनऊ कचेहरी में बम से मारने की घटना, प्रयागराज तथा लखनऊ में वकीलों की गोली मारकर हत्या, यह सब घटनाएं कानून व्यवस्था के नाम पर बदनुमा दाग हैं और मुख्यमंत्री के विधानसभा में दिये गये जवाब पर खुद ब खुद सवाल बनकर खड़े हैं।

अजय कुमार ने कहा कि सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में पूरे प्रदेश के लगभग हर जिलें में हुए विरोध प्रदर्शनों पर जिस बर्बरता के साथ पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही की है, लोगों पर पुलिस ने गोली चलाई जिसमें तमाम लोगों की जानें गयीं। महिलाओं और बच्चों के साथ बर्बर कार्यवाही की गयी तथा तमाम धाराएं लगाकर जेल भेजा गया। यह असहमति को क्रूरता से कुचलने जैसा है। जबकि मुख्यमंत्री स्वयं कह रहे हैं कि असहमति लोकतंत्र का आधार है। बिजनौर, मेरठ, लखनऊ, अलीगढ़, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद आदि तमाम जिलों में की गयी पुलिसिया ज्यादती खुद मुख्यमंत्री के जवाब पर प्रश्नचिन्ह हैं।

मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उप्र. में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर की गयी पुलिसिया ताण्डव के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की गयी तथ्यपूर्ण शिकायत पर खुद मानवाधिकार आयोग ने उप्र. के पुलिस और प्रशासन से जवाब तलब किया है तथा राज्य सरकार द्वारा लोगों पर लगाये गये जुर्माने पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में कानून का शासन नहीं है मुख्यमंत्री सरासर विधानसभा और प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि जबसे भाजपा की सरकार बनी है यूपी का किसान पूरी तरीके से परेशान और निराश है क्योंकि उर्वरक, कीटनाशक, पानी, बिजली तथा डीजल के दामों में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो चुकी है उस अनुपात में किसानों की फसलों की खरीद नहीं हो पा रही हैं न ही छत्तीसगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान की भांति फसलों पर बोनस का कोई प्रावधान है।

जिसका नतीजा यह है कि लागत अधिक और मूल्य कम मिल पाने से हमारे प्रदेश का किसान घाटे में कृषि करने को विवश है। रही-सही कसर अवारा पशु फसलों को बर्बाद कर किसानों पर बोझ बन रहे हैं। विधानसभा में खुशहाली के बारे में मुख्यमंत्री का दिया गया बयान अन्नदाता किसानों का अपमान करना है।

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