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CM Yogi Adityanath Birthday: काफी दिलचस्प रहा योगी का सियासी सफर, अजय सिंह बिष्ट से महंत और फिर सियासी मैदान में यूं हासिल किया बड़ा मुकाम

CM Yogi Birthday: 1972 में आज ही के दिन पैदा होने वाले योगी ने आज लोकप्रियता के मामले में तमाम कद्दावर नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश पर योगी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और कई मौकों पर योगी इस बात को साबित कर चुके हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 5 Jun 2023 11:30 AM IST
CM Yogi Adityanath Birthday: काफी दिलचस्प रहा योगी का सियासी सफर, अजय सिंह बिष्ट से महंत और फिर सियासी मैदान में यूं हासिल किया बड़ा मुकाम
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CM Yogi Adityanath Birthday (Photo - Social Media)

CM Yogi Birthday 5 June 2023: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गिनती देश के लोकप्रिय नेताओं में की जाती है। वे उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी काफी लोकप्रिय हैं और यही कारण है कि भाजपा की ओर से योगी का उपयोग विभिन्न राज्यों में किया जाता रहा है। योगी ने पिछले साल 25 मार्च को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभालकर योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद इतिहास रचा था। देश में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद सियासी मैदान में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। 1972 में आज ही के दिन पैदा होने वाले योगी ने आज लोकप्रियता के मामले में तमाम कद्दावर नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश पर योगी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और कई मौकों पर योगी इस बात को साबित कर चुके हैं। अपने छह साल के शासनकाल में उन्होंने कई जनप्रिय फैसले लिए हैं और इसके साथ ही विपक्ष को हाशिए पर धकेलने में भी कामयाब हुए हैं। योगी के जन्मदिन के मौके पर उनका सियासी सफर जानना काफी दिलचस्प है।

छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद से लगाव

योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को हुआ था। उनका जन्म उत्तराखंड के एक बहुत ही सामान्य राजपूत परिवार में हुआ था और योगी का पूर्व का नाम अजय सिंह बिष्ट था। आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी की संतान अजय सिंह बिष्ट ने अपनी शुरुआती पढ़ाई के बाद ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

इंटर की परीक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही उनके भीतर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रति लगाव पैदा हुआ और उन्होंने विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

महंत अवैद्यनाथ से ली गुरु दीक्षा

देश की सियासत में उस समय राम मंदिर आंदोलन की जबर्दस्त गूंज थी और योगी भी इस आंदोलन से जुड़ गए थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम के दौरान अजय सिंह बिष्ट की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से हुई। महंत अवैद्यनाथ से इस मुलाकात ने अजय सिंह बिष्ट के दिलो दिमाग पर गहरा असर डाला और उन्होंने महंत अवैद्यनाथ से गुरु दीक्षा लेने का फैसला कर लिया।

महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे और उनसे गुरु दीक्षा लेने के बाद अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ का नया नाम मिल गया। इसके बाद योगी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे।

अपने गुरु की राजनीतिक विरासत संभाली

गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के लिए महंत अवैद्यनाथ की राजनीतिक विरासत संभालने का रास्ता भी खुल गया। महंत अवैद्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के सबसे सम्मानित नेताओं में एक थे और गोरखपुर संसदीय सीट पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी।

यही कारण था कि वे इस संसदीय सीट से चार बार लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। बाद में योगी आदित्यनाथ ने भी अपने गुरु की तरह ही सियासी मैदान में बड़ी कामयाबी हासिल की।

26 साल की उम्र में जीता लोकसभा चुनाव

महंत अवैद्यनाथ का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के चुनावी अखाड़े में पहली बार 1998 में उतरे और पहला चुनाव जीतकर 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने 2017 तक लगातार पांच बार लोकसभा में गोरखपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया।

अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की तरह ही योगी आदित्यनाथ की भी गोरखपुर सीट पर मजबूत पकड़ बन गई जिसे उन्होंने लगातार पांच चुनाव जीतकर साबित भी किया। 1998 में 12वीं लोकसभा का सबसे कम उम्र में सांसद बनने के बाद योगी ने 1999, 2004, 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी ताकत दिखाई।

इस तरह बने सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत हासिल करने में कामयाब हुई थी। इस चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से किसी भी नेता को सीएम का चेहरा नहीं घोषित किया गया था और पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की थी। भाजपा की इस जीत के बाद मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर कई नाम उभरे मगर आखिरकार शीर्ष नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ के नाम पर ही मुहर लगा दी। हालांकि शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से भाजपा के कई कद्दावर नेता भी हैरान रह गए थे।

26 साल की कम उम्र में सांसद बनने वाले योगी आदित्यनाथ महज 45 साल की उम्र में ही देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। योगी आदित्यनाथ की पहचान शुरुआत से ही फायर ब्रांड नेता और हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में होती रही है। सांसद के बाद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर योगी को अपनी प्रशासकीय क्षमता दिखानी थी और इस मोर्चे पर योगी पूरी तरह खरे उतरे। उत्तर प्रदेश की कमान संभालते ही योगी ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए और इसी का नतीजा था कि उनके कार्यकाल के दौरान अभी तक उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त रही है।

माफिया राज से मुक्ति दिलाने का प्रयास

मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पारी की शुरुआत के बाद योगी आदित्यनाथ ने भयमुक्त समाज की अवधारणा पर सबसे ज्यादा जोर दिया और प्रदेश के लोगों को माफियाराज और गुंडाराज से मुक्ति दिलाने की मुहिम छेड़ दी। योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी कानून का राज स्थापित करने की थी। वे इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि प्रदेश के माहौल को सुधारे बिना इसे विकास के रास्ते पर नहीं ले जाया जा सकता।

यही कारण था कि अपराधियों, माफियाओं और असामाजिक तत्वों को का भय समाप्त करने और कानून का राज स्थापित करने के लिए योगी ने कई कड़े फैसले लिए। योगीराज के दौरान मुख्तार अंसारी समेत कई बड़े माफियाओं पर शिकंजा कसा गया। विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधी का खात्मा भी योगी के राज में ही हुआ। मुख्यमंत्री के रूप में योगी की दूसरी पारी के दौरान माफिया अतीक अहमद और उसके गुर्गों के खिलाफ भी ताबड़तोड़ एक्शन लिया गया। आखिरकार पिछले दिनों पुलिस हिरासत में हमलावरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी।

भयमुक्त समाज बनाने की कोशिश

योगी सरकार की ओर से भूमाफियाओं और बड़े अपराधियों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई और अपराधों के जरिए कमाई गई बड़ी-बड़ी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया। यही कारण था कि बड़ी संख्या में अपराधियों ने या तो सरेंडर कर दिया या पूरी तरह निष्क्रिय होकर दुबक गए जिससे भयमुक्त समाज के सपने को साकार करने में काफी हद तक कामयाबी मिली। प्रदेश के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किए जाने से मनचलों पर नकेल कसने में भी सफलता मिली। योगी सरकार के इस कदम को महिलाओं की ओर से अच्छा खासा समर्थन मिला।

अयोध्या, काशी और मथुरा का विकास

प्रदेश की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक उत्थान और पर्यटन के विकास पर भी काफी जोर दिया। योगी की अगुवाई में प्रयागराज में कुंभ का सफल आयोजन किया गया जिसमें करीब 25 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इतनी भारी संख्या में लोगों के आने के बावजूद कहीं भी कोई अव्यवस्था नहीं दिखी। योगीराज में काशी, मथुरा और अयोध्या के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर तेजी से अमल हुआ।

धार्मिक नजरिए से पूरी दुनिया में विख्यात इन तीनों स्थलों के विकास के लिए योगी ने प्रदेश सरकार का खजाना खोल दिया और इसका नतीजा भी सबके सामने दिखने लगा है। योगी आदित्यनाथ अयोध्या, मथुरा और काशी को विश्व पटल पर लाने में कामयाब रहे हैं। इन तीनों शहरों में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। अपनी दूसरी पारी के दौरान योगी इन तीनों धार्मिक स्थलों की चमक-दमक और बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला विराजमान होंगे।

बड़े अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन

प्रदेश विधानसभा के हाल में हुए चुनाव के दौरान विपक्षियों की ओर से योगी को बुलडोजर बाबा का नया नाम दिया गया। दरअसल योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पारी के दौरान अवैध निर्माणों, अतिक्रमण और अपराधियों की संपत्ति पर जमकर बुलडोजर चलवाए। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद समेत कई बाहुबली भी योगी सरकार के निशाने पर रहे जिनकी संपत्ति रातों-रात बुलडोजर से ढहा दी गई।

बाहुबलियों और अपराधियों की ओर से कब्जा की गई सरकारी जमीन को मुक्त कराने में भी योगी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली। यही कारण था कि योगी सरकार की इस मुहिम को आम जनता के बीच खासा समर्थन मिला। विपक्षी दलों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान योगी को बुलडोजर बाबा कहकर जुमला कसने की कोशिश तो की गई मगर चुनाव में भाजपा को मिली भारी जीत से साफ हो गया कि योगी की इस मुहिम को जनता ने काफी पसंद किया।

लव जिहाद के खिलाफ सख्त रुख

योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून पर भी मुहर लगाई। इसके तहत धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा होगी। इसके साथ ही धर्म परिवर्तन करने के लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले ही सूचना देनी होगी। योगी ने पहले ही छल, फरेब, दबाव या धमकी के जरिए शादी की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की बात कही थी।

इस बाबत बनाए गए कानून में धर्म परिवर्तन में 15000 रुपए के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं या नाबालिगों के साथ ऐसी घटना होने पर 25000 रुपए के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल की सजा होगी। लव जिहाद की घटनाओं पर योगी का शुरुआत से ही कड़ा रुख रहा है और इसीलिए उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़ा कानून भी बनाया है।

जनप्रिय फैसलों से लूट रहे वाहवाही

योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कई जनप्रिय फैसले लेकर खूब वाहवाही लूटी। यही कारण था कि 2022 के चुनावों में भाजपा पीएम मोदी की अगुवाई में योगी आदित्यनाथ के चेहरे को आगे करके चुनावी अखाड़े में कूदी। 2022 के चुनाव में एक बार फिर बहुमत हासिल करके योगी ने साबित कर दिया है कि सूबे की जनता ने उनकी नीतियों को कितना पसंद किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमेशा डबल इंजन की सरकार के जरिए यूपी के विकास पर जोर दिया है। 2017 से 2022 की अवधि के दौरान डबल इंजन की सरकार की वजह से यूपी का खूब विकास हुआ। अब अपनी दूसरी पारी के दौरान भी योगी जनप्रिय फैसलों के जरिए खूब वाहवाही लूट रहे हैं। योगी के सशक्त नेतृत्व में भाजपा निकाय चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में कामयाब रही है। प्रदेश की जनता की सेवा में योगी समर्पित भाव से जुड़े हुए हैं और यही कारण है कि लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।



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