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जीरो टॉलरेंस नीति के तहत योगी चला चुके हैं कई दागी अधिकारियों के खिलाफ हंटर
प्रदेश के तीन आईपीएस अधिकारियों अमिताभ ठाकुर, राजेश कृष्ण और राकेश शंकर को को वीआरएस देने के बाद प्रदेश के आलाधिकारियों में हडकम्प मच गया है।
लखनऊ: प्रदेश के तीन आईपीएस अधिकारियों अमिताभ ठाकुर, राजेश कृष्ण और राकेश शंकर को को वीआरएस देने के बाद प्रदेश के आलाधिकारियों में हडकम्प मच गया है। पूरे प्रदेश में इस बात का सन्देश एक बार फिर चला गया है कि योगी सरकार अपनी जीरो टालरेंस नीति से किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है।
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योगी राज में दागी अधिकारियों पर कार्रवाई जारी
यूपी में अब यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हर विभाग पर पैनी नजर है और वह किसी भी ऐसे अधिकारी और कर्मचारी को सरकार में रखना नहीं करना चाहते हैं जिस पर कोई दाग हो। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भ्रष्टाचार तथा भ्रष्टाचारी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। अपने चार साल के कार्यकाल योगी आदित्यनाथ ने हर विभाग को देखा और परखा। इसके बाद भ्रष्टाचारी को सख्त से सख्त सजा दी।
यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें इस तरह प्रदेश के तीन बडे अधिकारियों को वीआरएस दिया गया हो। इससे पहले लगभग 325 अफसर व कर्मियों को जबरन रिटायर किया जा गया था। इसके अलावा भ्रष्ट लोगों पर निलम्बन और डिमोशन की कार्रवाई की गई है। जुलाई 2019 में योगी सरकार ने 200 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन वीआरएस दिया है, जबकि 400 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को बृहद दंड दिया है।
नपे कई अधिकारी
योगी आदित्यनाथ ने मार्च, 2017 को यूपी की सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को सरकारी की नीति घोषित की थी। इसके तहत प्रदेश में पहली बार भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने की नीति पर अमल करना शुरू किया गया।
सत्ता में आने के बाद से योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिन 15 आईपीएस अधिकारियों को सस्पेंड किया है, उनमें से 6 पर कार्रवाई की गई है। योगी सरकार के कार्यकाल में सस्पेंड होने वाले पहले आईपीएस अफसर थे हिमांशु कुमार जबकि जिन दो पर गाज गिराई गई है। वे हैं महोबा के एसपी मणिलाल पाटिदार और प्रयागपाज के एसपी अभिषेक दीक्षित। हिमांशु कुमार (1) को सत्ता में आने के तत्काल बाद ही योगी सरकार ने 25 मार्च, 2017 को निलंबित कर दिया गया था।
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पिछले चार वर्षो में भ्रष्टाचार में लिप्त अलग-अलग विभागों के 325 अफसर व कर्मियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। इसके साथ 450 अधिकारियों और कर्मचारियों पर निलंबन और डिमोशन की कार्रवाई की जा चुकी है।
इससे पहले भी योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के सात अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त थी।
एक साथ कई पुलिस अधिकारियों को जबरन रिटायर
यूपी में यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ पुलिस अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया हो। सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रान्तीय सेवा संवर्ग के सात पुलिस उपाधीक्षकों (जिनकी उम्र 31-03-2019 को 50 वर्ष अथवा इससे अधिक थी) को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी गई थी। इन अफसरों के खिलाफ लघु दंड, वृहद दंड, अर्थदंड, परिनिन्दा, सत्यनिष्ठा अप्रमाणित करने वेतनवृद्धि रोके जाने और वेतनमान निम्न स्तर पर किए जाने जैसी कार्रवाई पहले हो चुकी थी। इसके साथ ही इन अफसरों की उम्र 31 मार्च 2019 को 50 वर्ष या इससे अधिक हो चुकी थी।
इससे पहले पिछले साल ही योगी आदित्यनाथ ने कमाऊ माने जाने वाले ऊर्जा विभाग के 169, गृह विभाग के 51, परिवहन विभाग के 37, राजस्व विभाग के 36, बेसिक शिक्षा विभाग के 26, पंचायती राज विभाग के 25, पीडब्ल्यूडी के 18, श्रम विभाग 16, संस्थागत वित्त विभाग के 16, कॉमर्शियल टैक्स विभाग व मनोरंजन कर विभाग के 16-16, ग्राम्य विकास विभाग 15 और वन विभाग के 11 अधिकारी कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है।
श्रीधर अग्निहोत्री