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'आम आदमी की खाने की थाली खरीदने की क्षमता बढ़ी, इस राज्य में है सबसे किफायती'

पहली फरवरी को बजट से पूर्व 31 जनवरी को वर्ष 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया है कि आम आदमी खाने की थाली पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा आसानी से खर्च कर पा रहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 31 Jan 2020 7:38 PM IST
आम आदमी की खाने की थाली खरीदने की क्षमता बढ़ी, इस राज्य में है सबसे किफायती
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: पहली फरवरी को बजट से पूर्व 31 जनवरी को वर्ष 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया है कि आम आदमी खाने की थाली पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा आसानी से खर्च कर पा रहा है। इसके साथ ही सर्वेक्षण में यह भी जानकारी आयी है कि मौजूदा समय में खाद्य पदार्थो के मूल्य गिरने के कारण लोगों की थाली पर खर्च करने की क्षमता बेहतर हुई है।

आर्थिक सर्वेक्षण के थालीनामिक्स का निष्कर्ष है कि वर्ष 2015-16 से शाकाहारी थाली की कीमतों में अखिल भारतीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर गिरावट देखी गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस वर्ष थाली की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसा सब्जियों और दालों की कीमतों में पहले के सालों के मुकाबले आई गिरावट के कारण हुआ है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि सभी अन्य घटकों व थाली की कीमतों में गिरावट के कारण इस दौरान गिरावट देखने को मिलती है। थाली खरीदने की क्षमता में कामगारों के वेतन के मुकाबले सुधार से आम आदमी के कल्याण में बेहतरी का संकेत मिलता है।

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सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि 2015-16 के बाद शाकाहारी थाली के मामलों में खाद्य मूल्यों में कमी होने से औसत परिवार को औसतन 10 हजार 887 रुपये का तथा मांसाहारी थाली के मामले में औसतन 11 हजार 787 रुपये का लाभ हुआ है।

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सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि एक औसत औद्योगिक कामगार की वार्षिक आमदनी का उपयोग करते हुए वर्ष 2006-07 से वर्ष 2019-20 तक लोगों की शाकाहारी थाली खरीदने की क्षमता में 29 प्रतिशत तथा मांसाहारी थाली खरीदने की क्षमता में 18 प्रतिशत का सुधार हुआ है।

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सर्वेक्षण मे पता चला है कि वर्ष 2019-20 में सबसे ज्यादा किफायती थाली झारखंड में थी। झारखंड में पांच सदस्यों के परिवार में दो थालियों के लिए श्रमिक की मजदूरी का करीब 25 प्रतिशत ही खर्च था। इसी तरह मांसाहारी थाली भी झारखंड में ही सबसे सस्ती थी। मांसाहारी थाली के मामलें में बिहार और महाराष्ट्र को छोड़ कर सभी राज्यों में इसको खरीदने की क्षमता बढ़ी है। बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण में पूरे देश में थाली के लिए आम आदमी कितना भुगतान करता है उसका ब्यौरा थालीनामिक्स के जरिए पेश किया जाता है।

Dharmendra kumar

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