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कांग्रेसः न वोटर, न सपोर्टर, फिर भी थी खेमेबन्दी

आजमगढ़ जिलेे में कांग्रेस के तीन बड़े नेता थे। इन तीन नेताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व चन्द्रजीत यादव, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री स्व रामनरेश यादव व पूर्व सांसद डा संतोष सिंह शामिल थे। स्व चन्द्रजीत यादव तो इस जिले के होते हुए भी कभी इस जिले के नहीं रहे।

SK Gautam
Published on: 26 Nov 2019 5:21 PM IST
कांग्रेसः न वोटर, न सपोर्टर, फिर भी थी खेमेबन्दी
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़: कांग्रेस केे पास न तो वोटर है, न ही सपोर्टर हैं। बावजूद इसके इस जिले में खेमेबन्दी अपने चरम पर थी। इस दल में शेष रह गये चन्द नेताओं के बीच एक-दूसरे को काटने की होड़ लगी रहती थी। ऐेसे में यदि कोई नौजवान कांग्रेस की सियासत करने का मन बनाता था तो उसको इन्ट्री ही नहीं दी जाती थी।

यही वजह रही कि कांग्रेस का इस जिले में जनाधार लगातार खिसकता चला गया। पूर्व सांसद डा संतोष सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाये जानेे के साथ ही इस जिलेे में कांग्रेस की खेमेबन्दी की राजनीति का पटाक्षेप हो गया।

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आजमगढ़ जिलेे में कांग्रेस के तीन बड़े नेता थे। इन तीन नेताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व चन्द्रजीत यादव, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री स्व रामनरेश यादव व पूर्व सांसद डा संतोष सिंह शामिल थे। स्व चन्द्रजीत यादव तो इस जिले के होते हुए भी कभी इस जिले के नहीं रहे। यहां की गतिविधियों में वह कम ही हिस्सा लेते थे। जिले में रहते भी थे तो उनकी बातें रूस से शुरू होकर अमेरिका या चीन पर जाकर खत्म हो जाती थी।

पूर्व पालिकाध्यक्ष स्व गिरीश चन्द श्रीवास्तव, पत्रकार बनवारी लाल जालान सहित आधा दर्जन लोग उनके खासमखास थे और उनकी इस जिले की कांग्रेस अपने इन्हीं खास लोगों तक ही सिमटी हुई थी। उनके में यह खासियत जरूर थी कि वह किसी भी कांग्रेसी की कभी शिकवा-शिकायत नहीं करते थे।

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इसके विपरीत पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का तो एक बड़ा गुट था। पूर्व मुख्यमंत्री होने के कारण दल के शीर्ष नेतृत्व तक उनकी पकड़ थी। इसी का लाभ उनके अपने लोग हमेशा उठाते थे और कोई जनाधार न होने के बावजूद रामनरेश यादव की गणेश परिक्रमा करके पार्टी का बड़ा-बड़ा पद व लोकसभा तथा विधानसभा का टिकट हथिया लेते थे। जिला कमेटी पर भी हमेशा इसी गुट का कब्जा होता था।

संतोष गुट के लोग पार्टी की बैठकों व कार्यक्रमों में नहीं जाते थे

इसके साथ ही एक गुट पूर्व सांसद डा संतोष सिंह का भी था। वह कभी दल नहीं बदले, इस वजह से केन्द्रीय नेतृत्व उनका भी सम्मान करता था। यही वजह थी कि उनके गुट के लोग भी मजबूती के साथ दल में डटे हुए थे और देश व प्रदेश स्तर का कुछ पद झटक लेते थे। संतोष गुट के लोग पार्टी की बैठकों व कार्यक्रमों में नहीं जाते थे। जयंती, पुण्यतिथि जैसे कार्यक्रम यह लोग संतोष सिंह के नगर पालिका परिसर स्थित आवास पर ही मना लेते थे। साथ ही कुछ कांग्रेसी ऐसे भी थे, जो किसी गुट में नहीं थे। यह अपने आपको कांग्रेस के ही गुट का मानते थे और निःस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम करते थे।

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इस तरह के कांग्रेसियों का नेतृत्व डीएवी पीजी कालेज के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण सिंह कर रहे थे। यह खेमाबाजी उस समय कुछ कम हो गयी जब राम नरेश यादव को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया। ऐसे में राम नरेश गुट कुछ कमजोर हुआ और डा0संतोष गुट उभार पर आया।

बावजूद इसके राम नरेश यादव अपने लोगों को प्रश्रय दिये हुए थे। यही वजह रही कि उनका भी गुट अपने तरीके से काम करता चला गया। इसी बीच राम नरेश यादव का निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनका गुट पूरी तरह से असहाय हो गया।

गुटबाजी की राजनीति में कांग्रेस हुई बर्बाद

संतोष गुट कांग्रेस की राजनीति में इस जिले में छा गया और उनके ही गुट के चुन्नन राय तथा उसके बाद हवलदार सिंह जिलाध्यक्ष बना दिये गये। इन लोगों ने गुटबाजी की राजनीति में कांग्रेस को ऐसा बर्बाद किया कि नए लोगों को दल में प्रवेश का मौका ही नहीं दिये। इसी बीच संघर्ष करते हुए बिना किसी गुट में रहे अपने काम के बल पर प्रवीण सिंह कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हो गये।

संतोष गुट के लोगों ने अपने तरीके से इसका विरोध भी किया मगर वह लोग कुछ कर नहीं पाये। यह जरूर किया कि जिस तरह से राम नरेश गुट के हावी रहते यह लोग पार्टी कार्यालय से अलग हटकर अपना कार्यक्रम करते थे। उसी तरह से यह लोग अपना कार्यक्रम फिर करने लगे।

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इस बार इन गतिविधियों को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया और अनुशासनहीनता के आरोप में डा0संतोष सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन स्थितियों के बीच इस जिले में कांग्रेस की गुटीय राजनीति का पटाक्षेप हो गया।

निश्चित रूप से उभरेगी कांग्रेस

अब जबकि कांग्रेस गुटों से मुक्त हो गयी है और प्रवीण सिंह जैसा बिना किसी गुट वाला जिलाध्यक्ष हो गया है तो यह संभावना व्यक्त की जाने लगी है कि निश्चित रूप से कांग्रेस उभरकर सामने आयेगी। उन्होंने सभी गुटों के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है और सभी गुटों के अधिकांश लोग उनके नेतृत्व में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा भी लेने लगे हैं। साथ ही वह नये लोगों को भी पूरा तरजीह दे रहे हैं। यही वजह है कि नए लोग भी पूरे निष्ठाभाव से कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।

प्रवीण सिंह का कहना है कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस में कोई गुट नहीं होगा। जो लोग पार्टी के लिए काम करेंगे वह विभिन्न पदों पर रहेंगे तथा उन्हें ही टिकट मिलेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर किसी का है और हर कोई कांग्रेस को अपना समझकर कांग्रेस के लिए काम करे।



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