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यूपी में सपा-बसपा को पीछे छोड़ कांग्रेस ने फिर निभाई मुख्य विपक्षी दल की भूमिका

लाकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फंसे यूपी के मजदूरों को वापस लाने के लिए प्रियंका गांधी की बसों से भले ही एक भी मजदूर अपने घर तक न पहुंचा हो लेकिन इस पूरे प्रकरण ने कांग्रेस को एक बार फिर यह साबित करने का मौका दे दिया कि विधानसभा में संख्याबल में कम होने के बावजूद असली विपक्ष की भूमिका वहीं निभा रही है।

Aditya Mishra
Published on: 21 May 2020 4:02 PM IST
यूपी में सपा-बसपा को पीछे छोड़ कांग्रेस ने फिर निभाई मुख्य विपक्षी दल की भूमिका
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: लाकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फंसे यूपी के मजदूरों को वापस लाने के लिए प्रियंका गांधी की बसों से भले ही एक भी मजदूर अपने घर तक न पहुंचा हो लेकिन इस पूरे प्रकरण ने कांग्रेस को एक बार फिर यह साबित करने का मौका दे दिया कि विधानसभा में संख्याबल में कम होने के बावजूद असली विपक्ष की भूमिका वहीं निभा रही है।

दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में यूपी सरकार भी अप्रत्यक्ष तौर पर प्रियंका की मददगार ही दिखी है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने शायद इसे भांप लिया और उन्होंने बयान जारी कर इसकी आशंका भी व्यक्त की कि कही यह भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत तो नहीं है।

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कांग्रेस ने सपा -बसपा को ऐसे छोड़ा पीछे

बसों की सियासत का यूपी के वोटों केे गणित में कितना नफा-नुकसान होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन यह तय है कि प्रियंका ने अपने इस एक प्रहार से राज्य में मुख्य विपक्षी दल सपा और दूसरी ताकतवर पार्टी बसपा को पीछे छोड़ दिया है।

प्रियंका और कांग्रेस का यूपी की राजनीति में उभरना सत्तारूढ़ दल भाजपा को भी रास आ रहा है। दरअसल,यूपी में कांग्रेस के सक्रिय होने का लाभ भाजपा के हिस्से ही आयेगा। कांग्रेस के आगे आने से यूपी में दो अन्य प्रमुख विपक्षी दल सपा और बसपा पीछे होंगे।

भाजपा के रणनीतिकारों का यह मानना है कि विपक्षी दलों जितने ज्यादा और मजबूत होंगे सियासी गुणा-गणित के लिहाज से उसके लिए उतना ही बेहतर होगा। यहीं कारण है कि बसों के इस विवाद को लेकर दोनों ओर से मीडिया में जरूरत से ज्यादा बयानबाजी की गई।

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यूपी की जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं प्रियंका

बता दे कि प्रियंका यूपी में कांग्रेस की जमीनी हकीकत से भी अच्छी तरह से वाकिफ है। उनका मानना है कि यूपी में कांग्रेस को पुरानी स्थिति में पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी होगी और बिना मजबूत संगठन के यह नहीं हो सकता है।

यूपी का प्रभार मिलने के बाद उन्होंने संगठन के पेंच कसे और युवाओं को संगठन से जोड़ने की मुहिम भी चलायी। यूपी की राजनीति में सक्रिय होने के बाद से ही प्रियंका गांधी पार्टी को मुख्यधारा में लाने के लिए किसी भी मुद्दे को लपकने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।

सोनभद्र हत्याकांड हो या उन्नाव का बलात्कार कांड या फिर सीएए का विरोध प्रियंका मौंके पर पहुंच कर पार्टी को आगे लाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।

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Aditya Mishra

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