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सीतापुर: स्नातक चुनाव में इन उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला

लखनऊ मंडल की स्नातक एमएलसी पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी आखिरी पडाव पर है। कोई भी चुनाव हो, सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपनी बात रखकर उम्मीदवारों के संदर्भ में निर्णय करते हैं।

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Published on: 28 Nov 2020 3:36 PM GMT
सीतापुर: स्नातक चुनाव में इन उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला
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संपादकीय में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि इसके पीछे यह विचार है कि लोकतंत्र के लिए बहुत अधिक चुनाव नहीं, बल्कि शासन अहम है।

सीतापुर: लखनऊ मंडल की स्नातक एमएलसी पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी आखिरी पडाव पर है। कोई भी चुनाव हो, सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपनी बात रखकर उम्मीदवारों के संदर्भ में निर्णय करते हैं। इसी तरह एमएलसी चुनाव में लोगों की राय क्या है, किसके बीच मुकाबला है, किसका पलडा भारी लग रहा है, इस संदर्भ में सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की राय जानी गई तो तमाम लोगों ने अपनी राय प्रकट की।

ज्यादातर लोगों का कहना है कि निवर्तमान एमएलसी कांति सिंह, भाजपा उम्मीदवार इंजीनियर अवनीश सिंह और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ब्रजेश कुमार सिंह के बीच मुकाबला है लेकिन फिलहाल पलडा कांति सिंह का भारी लग रहा है। लोगों ने इसकी वजहें भी गिनाईं। कई लोगों ने सत्ता के बल पर और भाजपा संगठन के सहयोग से अवनीश सिंह के जीतने की उम्मीद कर रहे हैं।

जबकि कई ने ब्रजेश कुमार सिंह को भविष्य का एमएलसी बताने में जुटे रहे। इस राय शुमारी की खास बात ये रही कि किसी ने सपा उम्मीदवार राम सिंह राणा का जिक्र तक नहीं किया। इस चुनाव में कुल 24 उम्मीदवार हैं, एक दिसंबर को मतदान होना है। परिणाम आने पर पता चलेगा कि लोगों की राय कितनी सटीक साबित होगी।

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लोग हैं, बेबाकी से रखते हैं राय..

अनुराग दीक्षित को अवनीश सिंह के सिर पर जीत का सेहरा बंधता नजर आ रहा है तो अंशुमान ंिसह की भी यही राय है। जितेंद्र सिंह को लगता है कि कांति सिंह का पलडा भारी है। इसकी वजह बताते हैं कि कांति सिंह वोटरों के संपर्क में रहतीं हैं जबकि भाजपा उम्मीदवार पार्टी की आंधी में जीतते हैं, अगर इस चुनाव में भी पार्टी आधार पर वोट पडे तो अवनीश को जीतने की उम्मीद करनी चाहिए वरना कांति सिंह एक बार फिर एमएलसी बनेंगी। अभिषेक पांडेय कहते हैं कि अवनीश सिंह ही जीतेंगे। रूचि त्रिपाठी को लगता है ब्रजेश सिंह जीतेंगे, क्योंकि वे दो साल से चुनाव मैदान में हैं। एक एक वोटर से मिलते रहे, बुथ स्तर पर उनकी तैयारी गजब की है।

भाजपा अपना प्रत्याशी जिताने के लिए भरसक प्रयास करती है

अभिषेक सिंह कहते हैं कि सरकार के दम पर अवनीश सिंह भले जीत जाएं, वरना मुश्किल है लेकिन टक्कर अवनीश और कांति के बीच ही है। विभू पूरी लिखते हैं कि भाजपा हर बार अपना प्रत्याशी जिताने के लिए भरसक प्रयास करती है लेकिन हार का सामना करना पडता है। हार के बाद भाजपा नेता एक दूसरे पर दोषारोपण करते हैं। श्री पुरी आरएसएस समर्थक हैं इसके बावजूद उन्हें कांति सिंह का पलडा भारी लग रहा है। भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण है। संगठन के दम पर धमाका करने वाले सुनील बंसल की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।

राघवेंद्र प्रताप सिंह तोमर लिखते हैं कि अवनीश का चुनाव भाजपा संगठन पर निर्भर है, जबकि भाजपा के लोग अपने ही लोगों को वोटर नहीं बनवा सकी। जबकि कांति सिंह अपने वोटर को बांध के रखा है। इसलिए कांति का पलडा भारी लग रहा है। सुरैंचा स्टेट के सूर्य भानू सिंह कहते हैं कि अवनीश सिंह की जीत निश्चित है। पवन कुमार सिंह सेलूमउ को कांति सिंह जीतती नजर आ रहीं हैं।

अभिषेक ठाकुर को अनुमान है कि भाजपा की खामियों का लाभ कांति सिंह को मिलेगा। क्योंकि भाजपा जहां सभा सम्मेलन करती है वहां वोटर 50 ही रहते हैं बाकी सब भीड। अनूप सिंह तो ब्रजेश सिंह के सिर पर जीत का सेहरा दिख रहा है। बलराज सिंह सूर्यवंशी कहते हैं कि कांति सिंह का काकस टूटना जरूरी है। वे लिखते हैं कि अवनीश सिंह की खुद की पकड वोटर्स में नहीं है जबकि ब्रजेश ंिसंह ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। कुल मिलाकर वे कांति सिंह को हारता हुआ देखना चाहते हैं।

एलपीएस के टीचर निभाएंगे अहम भूमिका

गजेंद्र सिंह लिखते हैं कि कांति सिंह छह साल से सक्रिय हैं, एलपीएस के टीचर्स उनकी जीत का कारण बनते रहे हैं इस बार भी यही होगा। दुर्गेश ंिसह का मानना है कि ब्रजेश सिंह का पलडा भारी चल रहा है। शुशील चैबे लिखते हैं ब्रजेश ंिसह जिंदाबाद। शैलेंद्र सिंह की भी यही इच्छा है। मनोज श्रीवास्तव लिखते हैं जिसकी सरकार उसी की जीत होगी। अरूण सिंह राठौर ने कांति सिंह, शिवेंद्र प्रताप सिंह चैहान ने ब्रजेश सिंह और धीरज सिंह ने अवनीश को अव्वल दर्ज का बताया है। अतुल सिंह उम्मीदवार बीके शुक्ल पर दांव लगाते दिखे। अखिलेश सिंह सोमवंशी एक मात्र ऐसे रहे जिन्होंने सपा के राम सिंह राण का पलडा भारी लग रहा है।

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राम सिंह राणा को लेकर आनंद भदौरिया कटघरे में होंगे

सपा उम्मीदवार राम सिंह राणा यदि चुनाव न जीते अथवा तीसरे स्थान से भी नीचे गए तो फिर सपा एमएलसी आनंद भदौरिया कटघरें में होंगे। आनंद भदौरिया सीतापुर जिले से निर्विरोध चुनाव जीते थे। तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे। यादव की बदौलत वे जीते थे। विजयी प्रमाण पत्र उन्होंने सीधे अखिलेश यादव को समर्पित कर दिया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में भदौरिया के कहने पर अखिलेश यादव ने जिले के कई दिग्गज सपा नेताओं को पार्टी से न केवल बाहर कर दिया था बल्कि कई की माली हालत तहस नहस कर दी गई थी।

नतीजा ये हुआ कि नौ में से सिर्फ एक सीट सपा के हाथ लगी। वह भी मामूली मतों से। इस स्नातक चुनाव में राम सिंह राणा की जीत के लिए कम से कम सीतापुर में सपा के अंदर गंभीरता नहीं दिख रही। खासकर आनंद भदौरिया की उदासीनता साफ झलक रही है। ऐसा क्यों है, यह वही बता सकते हैं। बहरबहाल, अगर राणा हार गए तो भदौरया की निष्ठा पर सवाल अवश्य उठेंगे।

रिपोर्ट.पुतान सिंह

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