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राजनीति के दलदल में फंसे शिक्षक-स्नातक चुनाव, सभी दलों ने झोंकी ताकत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 11 सदस्यों (एमएलसी) के चुनाव पर सबसे ज्यादा जोर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगा रखा है। इसकी बड़ी वजह प्रदेश के उच्च सदन विधानपरिषद में भाजपा की कमजोर स्थिति है।

Newstrack
Published on: 28 Nov 2020 2:58 PM GMT
राजनीति के दलदल में फंसे शिक्षक-स्नातक चुनाव, सभी दलों ने झोंकी ताकत
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राजनीति के दलदल में फंसे शिक्षक-स्नातक चुनाव, सभी दलों ने झोंकी ताकत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की विधानपरिषद में शिक्षक एवं स्नातक कोटे की 11 सीटों पर एक दिसंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों को राजनीति के दलदल से अलग रखने के लिए दलीय चुनाव की मनाही है लेकिन सत्ता का लालच और सभी को राजनीति के चश्मे से देखने में माहिर राजनीतिक दलों ने इस चुनाव को भी राजनीति के रंग में पूरी तरह रंग दिया है। चुनाव चिह्न पर चुनाव लडऩे की छूट नहीं मिलने के बावजूद प्रदेश के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने ऐलानिया तौर पर प्रत्याशी मैदान में उतार डाले हैं।

सबसे ज्यादा जोर सत्ताधारी दल भाजपा का

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 11 सदस्यों (एमएलसी) के चुनाव पर सबसे ज्यादा जोर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगा रखा है। इसकी बड़ी वजह प्रदेश के उच्च सदन विधानपरिषद में भाजपा की कमजोर स्थिति है। उसे उच्च सदन में बहुमत हासिल नहीं है। अब तक शिक्षक व स्नातक दल के मौके- बेमौके मिलने वाले समर्थन के बूते पर ही पार्टी उच्च सदन में विधायी कार्य पूरे कराती रही है।

ऐसे में भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इन 11 सीटों में ज्यादातर अपने पक्ष में कर ले जिससे विधानपरिषद में भी उसकी ताकत बढ़ जाए। हालांकि विधान परिषद की शिक्षक और स्नातक कोटे की सीटों पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए हमेशा से सपना रहा है. स्नातक कोटे की जिन पांच सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें दो वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी सीट भाजपा के पास थीं.

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आगरा सीट पर सपा, मेरठ पर शिक्षक दल और लखनऊ सीट पर शिक्षक दल का कब्जा था जबकि शिक्षक वर्ग की छह छह सीटों में 3 पर शिक्षक दल शर्मा गुट, एक पर सपा समर्थित और दो पर निर्दलीय काबिज थे. परिषद की इन सीटों पर कब्जा करने की कोशिश में राजनीतिक दलों ने अपनी विचारधारा को आगे कर रखा है।

राजनीति के गंदे दलदल में धंसता दिखाई दे रहा यह चुनाव

यह अलग बात है कि शिक्षक एवं स्नातक वर्ग के प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए संविधान निर्माताओं ने तय किया था कि इन्हें राजनीति से अलग रहकर उच्च सदन को समृद्ध करना है लेकिन जिस तरह से राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है उससे अब यह चुनाव में राजनीति के गंदे दलदल में धंसता दिखाई दे रहा है। तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के साथ ही प्रदेश के शिक्षक एवं स्नातक वर्ग की राजनीतिक पसंद का भी ऐलान हो जाएगा।

शर्मा गुट का है अब तक वर्चस्व

शिक्षक एवं स्नातक वर्ग की सीटों पर पिछले कई दशक से शिक्षक संघ के नेताओं का कब्जा बना हुआ है। मेरठ में शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के एमएलसी चुनाव में अब तक ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी रहा है. शिक्षक सीट पर ओम प्रकाश शर्मा पिछले 48 साल से चुनाव जीतते आ रहे हैं। वह अब तक आठ बार लगातार एमएलसी निर्वाचित हो चुके हैं। मेरठ की स्नातक सीट से भी उनके ही गुट के हेम सिंह पुंडीर लगातार चार बार से एमएलसी चुने जाते रहे हैं.

इस सीट पर पिछले चुनाव में जरूर राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी उतारने की कोशिश की थी लेकिन इससे पहले राजनीतिक दल भी इन चुनावों को शिक्षक व स्नातक वर्ग के लोगों तक ही सीमित रखते थे। राजनीतिक दलों के समर्थित शिक्षक गुट जरूर चुनाव लड़ते रहे हैं। इसके बावजूद अब तक देखा गया है कि इन 11 सीटों से निर्वाचित सदस्यों की निष्ठा राजनीतिक दलों के साथ कम और शिक्षक वर्ग के साथ अधिक रहती आई है। इस बार जरूर सीन बदला हुआ है। बताया जाता है कि भाजपा ने अभियान चलाकर इस बार नए वोटर बनाए हैं. स्नातक सीट पर करीब एक लाख और शिक्षक सीट पर करीब 10 हजार वोटर बढ़े है

सीटवार चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दल

आगरा स्नातक सीट- इस सीट पर पिछले चुनाव में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के डॉ असीम यादव चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। इस बार भी सपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है जबकि जबकि भाजपा से मानवेंद्र सिंह और कांग्रेस से राजेश द्विवेदी प्रत्याशी हंै. इस सीट पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी भी ताल ठोंक रहे हैं। कर्मचारियों के समर्थन से उन्होंने इस सीट पर दावेदारों के होश उड़ा रखे हैं।

आगरा शिक्षक सीट- इस सीट पर पिछले कई चुनाव से शिक्षक दल शर्मा गुट के जगवीर किशोर जैन चुनाव जीतते आ रहे हैं। शर्मा गुट ने उन्हें फिर मैदान में उतारा है। भाजपा ने दिनेश वशिष्ठ व सपा ने हेवेंद्र सिंह चौधरी को मैदान में उतारा है.

लखनऊ स्नातक सीट- लखनऊ विवि के कुलपति प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी लगभग 36 साल इस सीट से एमएलसी रहे. पिछले लगभग डेढ़ दशक से एसपी सिंह और उनकी पत्नी कांति सिंह का इस सीट पर कब्जा है. वह इस बार भी मैदान में हैं। भाजपा ने अवनीश पटेल को उम्मीदवार बनाया है. सपा ने छात्र राजनीति से निकले राम सिंह राणा और कांग्रेस ने बृजेश सिंह को मैदान में उतारा है. इस सीट पर बसपा समर्थित डॉ आशीष कुमार भी ताल ठोंक रहे हैं।

लखनऊ शिक्षक सीट-

इस सीट से भाजपा ने निवर्तमान एमएलसी उमेश द्विवेदी को मैदान में उतारा है. पिछले चुनाव में द्विवेदी ने बतौर निर्दलीय यह चुनाव जीता था, सपा ने उमा शंकर चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.

मेरठ स्नातक सीट-

शिक्षक दल के नेता ओमप्रकाश शर्मा का गृहक्षेत्र होने की वजह से शर्मा गुट ने स्नातक कोटे की सिर्फ इसी सीट पर प्रत्याशी उतारा है। यहां उसने हेमसिंह पुंडीर को ही फिर उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने दिनेश गोयल को उम्मीदवार बनाया है. उन्हें माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) भी समर्थन दे रहा है. सपा ने शमशाद अली तथा कांग्रेस ने जितेंद्र गौड़ को मैदान में उतारा है.

मेरठ शिक्षक सीट-

शिक्षक दल के नेता व विधानपरिषद में भीष्म पितामह कहे जाने वाले ओमप्रकाश शर्मा लगातार आठ बार इस सीट को जीतकर रिकार्ड बना चुके हैं। वह एक बार फिर मैदान में हैं. भाजपा से श्रीश चंद्र शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं जिन्हें माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट का समर्थन है. सपा ने धर्मेंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है.

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वाराणसी स्नातक सीट -

भाजपा ने इस सीट से कई बार से चुनाव जीत रहे केदारनाथ सिंह को ही फिर मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने संजीव सिंह और सपा ने आशुतोष सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है.

वाराणसी शिक्षक सीट-

इस सीट पर शिक्षक संघ शर्मा गुट ने डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र को प्रत्याशी बनाया है. यहां पिछली बार चुनाव जीते चेतनारायण सिंह भी मैदान में हैं. सपा ने लाल बिहारी को और शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने डॉ. जितेंद्र सिंह पटेल को मैदान में उतारा है.

इलाहाबाद-झांसी स्नातक सीट-

इलाहाबाद-झांसी स्नातक सीट पर भाजपा का कब्जा है। डॉ. यज्ञदत्त शर्मा इस सीट से चुनाव जीते हैं भाजपा ने उन पर ही फिर भरोसा जताया है. उन्हें माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) समर्थन दे रहा है. सपा ने डॉ. मान सिंह और कांग्रेस ने अजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बना रखा है।

बरेली-मुरादाबाद शिक्षक सीट-

शिक्षक संघ (शर्मा गुट) का इस सीट पर मजबूत दावा है लेकिन पिछली बार शर्मा गुट के उम्मीदवार सुभाष चंद्र शर्मा को संजय मिश्र से पटखनी मिल चुकी है। संजय मिश्र गैरअनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों के लिए संघर्ष करते रहे हैं। सपा ने उन्हें समर्थन दे रखा है। इस सीट पर वह एक बार फिर जीत की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा जरूर इस सीट को हथियाना चाहती है। भाजपा ने पूर्व एमएलसी हरि सिंह ढिल्लो को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने यहां डॉ. मेंहदी हसन को मैदान में उतारा है.

गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक सीट-

शिक्षक संघ शर्मा गुट ने यहां से पूर्व एमएलसी धुव कुमार त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. वह विधानपरिषद में शिक्षकों के मुद्दे जोर-शोर से उठाते रहे हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट ने राम जनम सिंह, कांग्रेस ने नागेंद्र दत्त त्रिपाठी तथा सपा ने अवधेश कुमार को उम्मीदवार बनाया है.

अखिलेश तिवारी

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