×

कोरोना वायरस: सब नार्मल अभी तो नहीं होने वाला

टेस्टिंग, ट्रेसिंग, इलाज आदि सब व्यवस्था होने के बावजूद सब कुछ पहले जैसा फिलहाल तो नहीं किया जा सकता। स्कूल फिर से खुल सकते हैं लेकिन वयस्कों को अभी भी घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

suman
Published on: 13 April 2020 11:42 PM IST
कोरोना वायरस: सब नार्मल अभी तो नहीं होने वाला
X

लखनऊ: टेस्टिंग, ट्रेसिंग, इलाज आदि सब व्यवस्था होने के बावजूद सब कुछ पहले जैसा फिलहाल तो नहीं किया जा सकता। स्कूल फिर से खुल सकते हैं लेकिन वयस्कों को अभी भी घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। खेल और अन्य भीड़ वाले ईवेंट्स शुरू नहीं किए जा सकते। विदेश से नए संक्रमण आ सकते हैं सो आवागमन बंद रखना होगा।

लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने एक और तरीका सुझाया है। प्रतिबंध हटाना फिर कुछ समय बाद लागू करना, फिर हटाना और फिर लागू करना। यह संभवत: महामारी को समाप्त नहीं करेगा, लेकिन यह लंबे समय तक अपना दर्द फैलाएगा। चूंकि इस वायरस के बारे में अभी बहुत सारी चीजें अभी भी ज्ञात नहीं हैं सो कंट्रोल लगे रहने की आवश्यकता है।

अंतिम लक्ष्य

एक महामारी को रोकने में अंतिम लक्ष्य एक सुरक्षित और प्रभावी टीका है जो लोगों को वायरस होने से रोक सकता है। अच्छी खबर यह है कि ये पहले से ही परीक्षण किए जा रहे हैं। बुरी खबर यह है कि किसी एक को खोजने में एक वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है। इलाज खोजने में भी देश लगे हुये हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसी दवाओं की खोज की है जो आईसीयू के समय को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करती हैं। इससे अस्पतालों पर दबाव कम होगा। लेकिन फिर भी उन दवाओं से प्रकोप खत्म होने वाला नहीं है। क्लोरोक्वीन दवा से काफी उम्मीदें हैं लेकिन इस पर भी अभी ट्रायल ही चल रहा है।

यह तैयारी करने का समय है

अभी हमारे पास इस वायरस से होने वाले नुकसान की मात्रा को कम करने का एक मौका है। ये मौका है बीमारी के फैलने की रफ्तार धीमा करने का। ये सोशल डिस्टेन्सिंग और टेस्टिंग से ही होगा। इसके लिए हमें एक राष्ट्र के रूप में मिल कर काम करने की जरूरत है। हमारे पास जो सबसे बड़ी शक्ति धैर्य की है। घबरा कर या ऊब कर सोशल डिस्टेन्सिंग में ढील दे दी तो वायरस फिर तेजी से फैलने लगेगा।

यह पढ़ें....कोविड-19: इतने डॉलर के दान के बावजूद, रोनाल्डो बने फुटबॉल के पहले अरबपति

वैक्सीन की होड़

कोविड-19 कोरोना वायरस को रोकने के लिए दर्जनों वैक्सीन पर काम चल रहा है। इंटरनेशनल वैक्सीन रिसर्च को फ़ंड करने वाले सबसे महत्वपूर्ण ग्रुपों में शामिल ‘कोलीशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्ड्नेस इनोवेशन्स’ या सीईपीआई की ही देन है कि वायरस प्रकोप के तीन महीने के भीतर कोविड-19 के खिलाफ दर्जन भर वैक्सीन पर काम चल ही नहीं रहा बल्कि इनसानों और पशुओं पर परीक्षण की स्टेज पर काम पहुंच चुका है।

  1. अमेरिका का एनआईएड संस्थान बायोटेक कंपनी मोडेरना के साथ मिल कर‘एमआरएनए-1273’ वैक्सीन विकसित कर रहा है। ये वैक्सीन सेफ है कि नहीं यह देखने के लिए पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। उम्मीद की जा रही है कि ‘एमआरएनए’ वैक्सीन कारगर तरीका साबित होगी। इसका निर्माण तेज गति से और सस्ते में हो सकेगा। इसमें किसी जीवित वायरस का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
  2. अमेरिका कीबायोटेक कंपनी ‘इनोविओ फ़ार्मास्यूटिकल्स’ और सहयोगी बीजिंग एडवैक्सीन बायो टेक्नालजी कोविड-19 के खिलाफ ‘इनो-4800’ वैक्सीन विकसित करने में लगी हैं। ‘इनो-4800’ अभी प्रीक्लीनिकल परीक्षण की स्टेज में है। कंपनी का इरादा इसी साल इनसानों पर परीक्षण शुरु करने का है।
  3. बायोटेक कंपनी‘क्योर वैक’ भी ‘एमआरएनए’ वैक्सीन पर काम कर रही है। ये मोडेरना और एनआईड द्वारा डेवलप किए जा रहे वैक्सीन जैसे ही काम करेगी। कंपनी का कहना है कुछ ही महीनों में वो एक असरदार वैक्सीन डेवलप कर लेंगे। कंपनी को उम्मीद है कि कोविड-19 वैक्सीन इस साल लांच कर दी जाएगी।
  4. अमेरिका कीजॉन्सन एंड जॉन्सन की जानसेन कंपनी उसी प्लेटफॉर्म पर काम कर रही जिससे इबोला वायरस की सफल वैक्सीन बनाई गई थी। ये वैक्सीन वायरस से बनाई जाती है। कंपनी का कहना है इस साल ही ट्रायल शुरू हो जाएगा।
  5. फ्रांस कीसनोफी पास्चर कंपनी भी वैक्सीन पर काम कर रही है। उसमें कोशिका में मौजूद प्रोटीन को प्रयोगशाला में बनाया जा रहा है। इसी तरीके से सनोफी फ्लू वैक्सीन बना चुकी है। कंपनी का कहना है कि इनसानों पर टेस्टिंग करने में अभी साल भर का वक्त है।
  6. यूके कीजीएसके कंपनी चीन की क्लोवर बायो फ़ार्मा और क्वींसलैंड यूनीवर्सिटी के साथ मिल कर काम कर रही है। उम्मीद है कि कोविड-19 वैक्सीन की टेस्टिंग काफी जल्दी शुरू कर दी जाएगी।
  7. अमेरिका की तंबाकू कंपनियाँ तंबाकू के पत्तों और पौधों से कोरोना की वैक्सीन बनाने पर रिसर्च कर रही हैं।ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (बैट) के अनुसार, तम्बाकू का उपयोग करके लगभग 6 सप्ताह में वैक्सीन उत्पादन हो सकता है। बैट वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल चला रहा है। कंपनी का कहना है कि मंजूरी मिलने पर वह जून तक प्रति सप्ताह एक से तीस लाख खुराक का उत्पादन कर सकता है। वहीं फिलिप मॉरिस को इस गर्मी में मानव परीक्षण शुरू करने की उम्मीद है।

यह पढ़ें....सबसे दमदार यूपी पुलिस, कोरोना से जंग के बीच इन मामलों पर भी सख्त

हाल जापान, कोरिया और चीन का

अधिसंख्य बूढ़ी और बेहद सघन आबादी वाले देश जापान ने कोरोना वायरस को काफी हद तक कंट्रोल कर रखा है। इसकी वजह है – संक्रमण का पता चलते ही उस इलाके में तत्काल प्रतिबंध, व्यापक टेस्टिंग, मास्क पहनने और निजी साफ-सफाई की पुरानी आदत और परंपरा। लेकिन अभी तक व्यापक लॉकडाउन और सख्त सोशल डिस्टेन्सिंग नहीं की गई है। यही वजह है कि देश में 5 हजार केस सामने आ चुके हैं। अब जा कर राजधानी टोक्यो में इमरजेंसी लगाई गई है।

कोरिया में दस हजार से अधिक संक्रमण पाये गए जिनमें से सात हजार लोग ठीक भी हो चुके हैं। 204 लोगों की मौत हुई है। कोरिया ने देश में लाखों लोगों की टेस्टिंग की और इससे उसे संक्रमण पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है। यही कारण है कि देश में मार्च महीने में प्रतिदिन 100 के करीब मामले ही आए। सबसे ज्यादा 909 मामले 29 फरवरी को आए थे। फरवरी से ही देश में सोशल डिस्टेन्सिंग का अच्छी तरह पालन किया जा रहा है।

चीन ने अपने यहाँ कोरोना पर पूरी तरह काबू पाने का दावा किया है और महामारी के केंद्र वुहान से लॉकडाउन हटा लिया गया है। लेकिन अब चीन में बाहर से आने वाले यात्रियों के साथ वायरस फिर लौट आया है। अब तक ऐसे इंपोर्टेड केस की तादाद एक हजार के करीब हो गई है। इससे आशंका है कि कहीं चीन में कोरोना के प्रकोप का दूसरा दौर न शुरू हो जाये। ऐसी स्थिति में वहाँ लॉकडाउन फिर लगना तय है। चीन ने बेहद सख्ती और निर्दयता की हद तक जा कर लॉकडाउन लागू किया था। लेकिन सफलता भी उसी से मिली।



suman

suman

Next Story