यूपी: यहां कोरोना से बाद में लेकिन इस पुरानी बीमारी से बड़ी संख्या में लोग तोड़ रहे दम

आगरा में लॉकडाउन के बीच पिछले 54 दिनों के दौरान टीबी के 145 मजदूरों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के डेटा पर नजर डालें तो 1 जनवरी से 19 मार्च के बीच 27 मरीजों ने जान गंवाई।

Aditya Mishra
Published on: 17 May 2020 7:24 AM GMT
यूपी: यहां कोरोना से बाद में लेकिन इस पुरानी बीमारी से बड़ी संख्या में लोग तोड़ रहे दम
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आगरा: पूरा देश जब कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। ऐसे वक्त में आगरा के जो सूरत- ए- हाल हैं। वो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ऐसा हम नहीं बल्कि लगातार बढ़ते टीबी मरीजों के मौत के आंकड़े ये बात कह रहे हैं।

आगरा में लॉकडाउन के बीच पिछले 54 दिनों के दौरान टीबी के 145 मजदूरों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के डेटा पर नजर डालें तो 1 जनवरी से 19 मार्च के बीच 27 मरीजों ने जान गंवाई।

जबकि 20 मार्च से 12 मई के बीच आगरा जिले में 99 टीबी मरीजों की मौत हुई थी। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन में मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हुआ। इस वजह से उनके अपनों की जान चली गई।

टीबी मरीजों की मौत के आंकड़े इसलिए गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं क्योंकि पिछले दो साल में इसी मियाद के बीच मृतकों की संख्या कम थी। 2019 में 20 मार्च से 12 मई के बीच 99 टीबी मरीजों की मौत हुई थी।

2018 में टीबी की बीमारी से 44 लोगों ने गंवाई जान

वहीं इसी अवधि के दौरान 2018 में 44 टीबी मरीजों ने जान गंवाई थी। आगरा में टीबी मरीजों के आंकड़े पर नजर डालें तो 1 जनवरी से 12 मई के बीच जिले में 5,817 मरीज मिले थे। इनमें से 172 की मौत हो गई। 145 मरीजों की मौत लॉकडाउन के दौरान हुई। सूत्रों के मुताबिक 123 मरीजों पर टीबी के फर्स्ट स्टेज का ट्रीटमेंट नाकाम रहा।

गत माह टीबी से जान गंवाने वाले 35 साल के एक टीबी मरीज की पत्नी का कहना है, 'मेरे पति छह महीने से टीबी से पीड़ित थे। 18 अप्रैल को उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उनके पास दवाएं भी खत्म हो गई थीं। उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वॉर्ड में ले गए लेकिन वहां इलाज से इनकार कर दिया। 20 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।'

मेडिकल डिपार्टमेंट के एक ऑफिसर ने बताया, 'लॉकडाउन के दौरान जिन मरीजों की मौत हुई, उनमें से ज्यादातर प्राइवेट सेंटर्स पर इलाज करा रहे थे। चूंकि ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक बंद हैं, इसलिए इन टीबी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल सका।

एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी (वाह्य रोगी विभाग) भी बंद है। केवल इमरजेंसी मामलों में मरीज को भर्ती करके इलाज हो रहा है।'

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क्या कहना है डॉक्टर्स का

टीबी विंग के एचओडी डॉ संतोष कुमार ने बताया कि टीबी के मरीजों को भर्ती किया गया है। उनका इलाज पूरी तरह से किया जा रहा है। एमडीआर श्रेणी के मरीजों की स्थिति चिंताजनक होती है, लेकिन फिर भी पूरी तरह से सभी का इलाज किया जा रहा है।

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लापरवाही पर होगी कार्रवाई

जिलाधिकारी आगरा प्रभु एन सिंह ने बताया कोविड में और स्टाफ की ड्यूटी लगी है, लेकिन फिर भी टीबी के मरीजों का इलाज पूरी तरह से किया जा रहा है। जिस किसी भी स्टाफ ने लापरवाही दिखाई होगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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