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यूपी के इस जिले में टूटे कोरोना के सारे रिकार्ड, 24 घंटे में सामने आए इतने नए केस
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के मरीजों के मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मरीजों की तादाद दिनों-दिन बढती ही जा रही है। मंगलवार तक कोरोना संक्रमितों की संख्या उत्तर प्रदेश में बढ़कर 1 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के मरीजों के मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मरीजों की तादाद दिनों-दिन बढती ही जा रही है। मंगलवार तक कोरोना संक्रमितों की संख्या उत्तर प्रदेश में बढ़कर 1 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। जबकि पूरे देश में रोज 50 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,00,310 हो चुकी है। जबकि मृतकों की संख्या का कुल आंकड़ा 1,817 पहुंच गया है। राजधानी लखनऊ में अब तक 124 कोरोना पॉजिटिव लोगों की मौत हो चुकी है।
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इस तरह यूपी में राजधानी लखनऊ कोरोना संक्रमितों के मामले में पहले नम्बर पर है। यहां पर कोरोना संक्रमण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बीते 24 घंटों में 611 नए कोरोना पॉजिटिव केस पाए गये हैं। यहां एक दिन में कोरोना के 2983 नए मामले सामने आने के बाद एक्टिव मामलों की संख्या 41222 पहुंच चुकी है।
यूपी में अब तक 57,271 कोरोना संक्रमित मरीज इलाज के बाद ठीक हुए हैं जिन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। पिछले 24 घंटों में 41 कोरोना पॉजिटिव लोगों की मौत हुई है।
कोरोना की शुरुआत
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुए आधा साल बीत चुका है। पिछले छह महीनों से वैज्ञानिक इस नए वायरस को समझने में लगे हुए हैं और काफी कुछ समझ भी चुके हैं। इस वायरस ने काए नए आयाम भी दिखा दिये हैं।
बातें चाहे जो बताईं जा रहीं हों लेकिन सच्चाई यही है कि आज तक ठीक तरह से इस बात का पता नहीं चल सका है कि इस बीमारी की शुरुआत कहां से हुई। बताया जाता है कि शुरुआत चीन के एक मीट बाजार से हुई लेकिन जानवर से इंसान में संक्रमण का पहला मामला कौन सा था, यह आज भी रहस्य ही बना हुआ है।
वायरस की शक्ल
इस नए कोरोना वायरस के जेनेटिक ढांचे का पता तो चीनी वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड समय में लगा लिया था। 21 जनवरी को उन्होंने इस जानकारी को वैज्ञानिक जर्नल्स में प्रकाशित किया और तीन दिन बाद विस्तृत जानकारी भी दी। इसी के आधार पर दुनिया भर में वायरस को मारने के लिए टीके बनाने की मुहिम शुरू हुई है।
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कैसी होगी वैक्सीन
कोरोना वायरस की सतह पर एस-2 नाम के प्रोटीन होते हैं जो इनसान के शेरी में प्रवेश करने के बाद सेल्स यानी कोशिकाओं से चिपक जाते हैं और संक्रमित व्यक्ति को बीमार करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। किसी भी तरह की वैक्सीन हो, उसका काम इस प्रोटीन को निष्क्रिय करना या किसी तरह ब्लॉक करना होगा।
फिलवक्त, 6 से 18 महीने के बीच टीका आने की बात कही जा रही है। लेकिन अगर टीका इतनी बन भी जाए तो पूरी आबादी तक उन्हें पहुंचाने में भी वक्त लग जाएगा।
फिलहाल अलग अलग देशों में 160 वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। टीबी की वैक्सीन को बेहतर बना कर इस्तेमाल लायक बनाने की कोशिश भी चल रही है।
भारत के सीरम इंस्टीइट्यूट ने प्रोडक्शन की तैयारी कर ली है। इंतजार है तो सही फॉर्मूला मिल जाने का। जून 2020 के अंत तक पांच टीकों का ह्यूमन ट्रायल हो चुका है।
इंसानों पर टेस्ट का मकसद होता है यह पता करना कि इस तरह के टीके का इंसानों पर कोई बुरा असर तो नहीं होगा। हालांकि यह असर दिखने में भी काफी लंबा समय लग सकता है।
दवाई की स्थिति
अब तक कोरोना वायरस से निपटने का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। पहले मलेरिया की दवा काफी चर्चा में रही फिर अब रेमदेसिविर का नाम लिया जा रहा है। बहरहाल, डॉक्टर कुछ दवाओं का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं लेकिन ये सभी दवाएं लक्षणों पर असर करती हैं।
हर्ड इम्यूनिटी
जब आबादी के एक बड़े हिस्से को किसी बीमारी से इम्यूनिटी मिल जाती है तो उसके फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है। जून के अंत तक दुनिया के एक करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके थे लेकिन 7.8 अरब की आबादी में एक करोड़ हर्ड इम्यूनिटी बनाने के लिए काफी नहीं है।
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