तीसरी लहर हो सकती है विनाशकारी, 1000 गुना ज्यादा खतरनाक है वेरिएंट

प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। प्रतिदिन 25 हजार से ज्यादा संक्रमित सामने आ रहे हैं।

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Newstrack Network NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 5 May 2021 1:00 PM GMT (Updated on: 5 May 2021 2:56 PM GMT)
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फोटो— (साभार— सोशल मीडिया)

नोएडा। प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। प्रतिदिन 25 हजार से ज्यादा संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में लोग मर रहे हैं। यह सरकारी आंकड़े हैं हकीकत इससे कोसो दूर है। पॉजिविटी दर तेजी से बढ़ रही है। मध्य मई तक प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर का पीक होगा। मौजूदा हालातों को देख भय दूसरी का नहीं बल्कि आने वाली तीसरी लहर का है। यह लहर अक्टूबर या उससे पहले भी आ सकती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीसरी लहर का स्ट्रेन इतना घातक है कि वह मरीज को तीन से चार दिन का ही समय दे रहा है। ऐसे में शासन—प्रशासन के लिए तीसरी लहर से लड़ना चुनौती पूर्ण होगा। हालांकि दावा यह भी है कि अक्टूबर तक देश की करीब 15 फीसद आबादी को कोरोना का टीका दिया जा चुका होगा।

दूसरी लहर में देश की युवा पीढ़ी सबसे अधिक संक्रमित हो रही है। इसके पूर्व, पहली लहर के दौरान कोरोना ने बुजुर्गों को अपने संक्रमण की चपेट में लिया था। कोरोना की तीसरी लहर भी आने वाली है और इस दौरान 18 साल से कम उम्र के बच्चे वायरस के प्रकोप से सबसे अधिक संक्रमित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं को कोरोना वायरस का जो नया वेरिएंट मिला है, वह पहली और दूसरी लहर वाले वेरिएंट से करीब 1000 गुना ज्यादा खतरनाक है और यह बच्चों में तेजी से संक्रमण फैलाता है। हालांकि, शोधकर्ता और देश के वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को तीसरी लहर को लेकर केंद्र सरकार को पहले ही आगाह भी कर दिया है।

तीसरी लहर हो सकती है भयावह अंदाजा लगाना भी मुश्किल

डॉक्टर डीके गुप्ता निदेशक फेलिक्स अस्पताल ने बताया कि दूसरी लहर में इंग्लैंड, ब्राजील व साउथ अफ्रीका के साथ इंडिया के दो नए स्ट्रेन (डबल म्यूटेंट व ट्रिपल म्यूटेंट) देखने को मिल रहा है। संक्रमण दर भी तेज हैं। पहली लहर में इनकी वैल्यू 1.0 थी लेकिन अब इनकी वैल्यू 1.8 हो चुकी है। यानी एक व्यक्ति कम से कम 18 व्यक्तियों को संक्रमित कर रहा है। यदि कोई और म्यूटेशन होता है। यहा वायरस अपनी प्रकृति में बदलाव करता है तो वह काफी खतरनाक होगा। उसकी संक्रमण की दर ज्यादा भी हो सकती है। हालांकि वैक्सीन इसका एक उपाय है।


छह घंटे तक हवा में रह सकता है वायरस

उन्होंने बताया कि बंद स्थान या जहा वैंटिलेशन की संभावना काफी कम है। या भीड़ भाड़ वाले इलाकों में यदि यह म्यूटेंट किसी सोर्स के जरिए हवा में आया तो यह करीब छह घंटे तक हवा में अपने आप को रख सकता है। ऐसे में किसी के संपर्क में आने पर यह उसे संक्रमित करने की क्षमता रखता है। मौजूदा हालत में जो स्थिति है उससे यही देखने को मिल रहा है तीसरी लहर 18 साल के कम के उम्र के लोगों व बच्चों के लिए घातक हो सकती है। क्योंकि पहली लहर में बुजुर्ग और दूसरी लहर में युवाओं के संक्रमित होने का प्रतिशत बहुत ज्यादा है।

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बच्चों के लिए टीका विकसित करना बेहद जरूरी

विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान में 18 साल से अधिक के उम्रर के लोगों में टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। ऐसे में शिशुओं के लिए टीका विकसित करना बेहद महत्वपूर्ण है। अगर टीका विकसित नहीं किया गया, तो तीसरी लहर के दौरान बड़े पैमाने पर 18 साल के कम उम्र के बच्चे संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। 18 से 44 साल की उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। इस आयुवर्ग के कई लोग अपनी सुरक्षा के लिए टीका पहले ही लगवा चुके हैं। इसलिए, वायरस अब उन लोगों पर सबसे ज्यादा हमला कर सकता है, जिन्हें उनकी सुरक्षा के लिए टीका नहीं लगाया गया है।

प्रदेश की आर्थिक राजधानी में बच्चों के लिए नहीं व्यवस्था

यहां बच्चों के लिए एक मात्र चाइल्ड पीजीआई बनाया गया है। इसमें चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टॉफ की बेहद कमी है। 220 बेड के इस अस्पताल में वर्तमान में कोविड के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यदि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होती है प्रशासन को उस पर अभी से काम करना होगा। यहा अस्पताल में एनआईसीयू की व्यवस्था करनी होगी। पिड्रायटिक अस्पतालों का दायरा बढ़ाना होगा। इसके अलावा ईएसआईसी अस्पताल में 30 बेड का बच्चों के लिए एनआईसीयू है।

अक्टूबर तक लग सकती है 15 फीसद को डोज

देश में 15-20 फीसद जनसंख्या को दोनों डोज लग जाने के बाद संक्रमण की रफ्तार स्थिर हो जाती है। भारत में वैक्सीन के उत्पादन की मौजूदा स्थिति और भविष्य की तैयारियों के आधार पर एसबीआई ने अक्टूबर तक देश में लगभग 105 करोड़ डोज उपलब्ध होने का दावा किया है। इतने डोज से भारत की 15 फीसद जनसंख्या को दोनों डोज और 63 फीसद को पहला डोज लग चुका होगा। यानी करीब 70 फीसद आबादी को सुरक्षित हो चुकी होगी। यदि ऐसा होता है तो तीसरी लहर से बचा जा सकेगा।

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रिपोर्ट: दीपांकर जैन


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