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देश में नहीं है चीन जैसी स्पेशल इकोनोमिक सुविधाएं: मायावती
मायावती ने कहा कि यह कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि भाजपा के मंत्री व नेता विदेशी कम्पनियों से जितनी आस लगाये बैठे हैं वह देश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को मजबूत करने वाला नहीं लगता है।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि चीन छोड़ कर भारत आने वाली कंपनियों की अंतहीन प्रतीक्षा करने के बजाए केंद्र व यूपी सरकार को अपने बलबूते ही ’’आत्मनिर्भर अभियान’’ को सफल बनने का ठोस प्रयास शुरू कर देना चाहिए। मायावती ने कहा कि चीन के शेनजेन स्पेशल इकोनोमिक जोन जैसी सड़क, पानी, बिजली की फ्री व पोर्ट आदि की आधारभूत सुविधायें व इन कम्पनियों में काम करने वाले श्रमिकों को कार्यस्थल के पास ही रहने की व्यवस्था आदि अपने देश में कहां उपलब्ध हैं।
बसपा सुप्रीमों ने दिया बयान
बसपा सुप्रीमों ने रविवार को एक बयान जारी करके कहा कि वैसे तो विदेशी कम्पनी व पुूंजी को आकर्षित करने का प्रयास बुरा नहीं है, लेकिन यह कोशिश वास्तविकताओं से बहुत दूर अनिश्चितकालीन नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन में स्थापित अमेरिकी कंपनियों का अपने देश में आना इतना आसान नहीं लगता है। खासकर तब जबकि अमेरिकी हुकूमत ने अपनी कम्पनियों को चेतावनी दे रखी है कि वे चीन से विस्थापित होने के बाद कहीं और नहीं बल्कि सीधे अपने देश अमेरिका का ही रूख करें जबकि कुछ कम्पनियां ताइवान व फिलीपिन्स की ओर आकर्षित हुई हैं।
ग्लोबल ब्रांड पर डाला जोर
मायावती ने कहा कि यह कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि भाजपा के मंत्री व नेता विदेशी कम्पनियों से जितनी आस लगाये बैठे हैं वह देश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को मजबूत करने वाला नहीं लगता है। इस सोच में मूलभूत सुधार की जरूरत है, जिसमें भारतीय कम्पनियों को भी काफी डटकर पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ दीर्घकालीन रणनीति बनाकर काम करना होगा ताकि भारतीय उत्पादन उत्कृष्ठ होकर ग्लोबल ब्राण्ड देे सके।
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आत्मनिर्भर बनो
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस मामलें में बसपा का मानना है कि देश की मूलभूत आवश्यकताओं सम्बंधी बड़े उद्योगों को सरकारी क्षेत्र में ही बढ़ावा देने के साथ-साथ निजी क्षेत्र को भी देश की तरक्की के लिए प्रोन्नत करना चाहिए ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि चीन के शेनजेन स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन में उद्यमियों को मिलने वाली बुनियादी सुविधायें अगर भारतीय उद्यमियों को देकर उनका सदुपयोग उत्कृष्ट वस्तुओं के उत्पादन के लिए दृढ़-इच्छाशक्ति के साथ सुनिश्चित किया जाए तो कोराना महामारी के बाद लाॅकडाउन के कारण उजड़े लाखों छोटे व मझोले उद्योग, करोड़ों पीड़ित श्रमिकों का हित व कल्याण तथा भारत को सही मायने में स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनाना थोड़ा जरूर आसान हो जाएगा।
रिपोर्टर- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ
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