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कोर्ट का सरकार से सवाल: सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की कमी पर 3 साल में क्या किया?
साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी 26 अप्रैल को नियत करते हुए सरकारी अफसरेां को ताकीद किया है कि यदि आदेश का अनुपालन न हुआ तो केार्ट उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी।
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य सरकार,पीजीआई व केजीएमयू से पूछा है कि वेटिंलेटर की कमी केा पूरा करने के बावत अप्रैल 2016 से अब तक क्या कदम उठाये गये हैं। कोर्ट ने चिकित्सा एंव स्वास्थ्य सहित अन्य आला अधिकारियों से इस बारे में अपना व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है।
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साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवायी 26 अप्रैल को नियत करते हुए सरकारी अफसरेां को ताकीद किया है कि यदि आदेश का अनुपालन न हुआ तो केार्ट उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस रजनीश कुमार की बेचं ने 2016 में वी द् पीपुल नामक एनजीओ की ओर से दायर एक रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवायी के दौरान पारित किया। केार्ट ने पूर्व में 20 अप्रैल 2016 को याचिका पर सुनवायी करते हुए प्रदेश के पीजीआई, केजीएमयू सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की कमी पर गंभीर रूख अख्तियार किया था। 20 अप्रैल 2016 को सुनवायी के समय सामने आया था कि पीजीआई में 87 वेंटिलेटर थे।
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इस पर कोर्ट ने पीजीआई से पूंछा था कि क्या 87 वेंटिलेटर उसकी आवश्यकता के पर्याप्त थे और यदि नहीं तो क्या उसने सरकार से अधिक वेंटिलेटरों की मांग की थी। वहीं केजीएमयू की ओर से कहा गया था कि उसके पास 83 वेंटिलेटर थे। बारह वेंटिलेटरों की ओर डिमांड की गयी थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि उसे 35 और वेंटिलेटरेां की आवश्यकता है।
इस पर केार्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एंव स्वास्थ्य केा आदेश दिया था कि वेंटिलेटरों की कमी पूरा करने के लिए उचित कदम उठाये जायें और अगली तारीख पर स्टेटस रिपेार्ट पेश की जाये। केार्ट ने प्रमुख सचिव मेडिकल एंव चिकित्सा केा यह भी आदेश दिया था कि प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालेां में वेंटिलेटरेां की कमी हो तो इस पर तत्काल संज्ञान लेकर तुरंत कार्यवाही की जाये।
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इस याचिका पर सुनवायी के समय शुक्रवार को याची की ओर से कहा गया कि स्थितियेां में कोई खास सुधार अभी तक नहीं आया है और आये दिन वेंटिलेटरेां की कमी से बच्चों व बड़ो की मौतें हो रहीं हैं। मामले पर चिन्ता जताते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव मेडिकल एवं चिकित्सा सहित अन्य आला अफसरों केा आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर बतायें कि 20 अप्रैल 2016 के आदेश को कितना अनुपालन किया गया है।