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नवरात्रि में बदला इतिहास: भक्तों के लिए बंद रहेंगे इन मंदिरों के कपाट

मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब नवरात्र में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहेंगे और यहां लगने वाला 70 साल पुराना मेला भी नहीं लगेगा।

Shivani Awasthi
Published on: 24 March 2020 4:50 PM GMT
नवरात्रि में बदला इतिहास: भक्तों के लिए बंद रहेंगे इन मंदिरों के कपाट
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रजनीश कुमार मिश्र बाराचवर

गाजीपुरः कोरोना वायरस के चलते पूरे प्रदेश को लॉक डाउन कर दिया गया हैं। इस महामारी के चलते भीड़ भाड़ वाली जगह पहले ही बंद कर दी गईं थीं। वहीं अब मंदिरों के भी कपाट बंद कर दिए गए हैं। गाजीपुर के कुछ प्रमुख स्थानों जैसे मां कष्हरणी भवानी करीमुद्दीनपुर, कामाख्या धाम गहमर, सती मां अमवां सिंह जैसे मंदिरों पर नवरात्रि में पूर्वांचल के साथ साथ बिहार के भी लोग आते हैं। इस महामारी के चलते इन प्रमुख मंदिरों के कपाट अगले आदेश आने तक बंद कर दिए गए हैं।

नवरात्र में बन्द हुआ, कष्टहरणी भवानी का कपाट

मंदिर समिति के सदस्य राजू पान्डेय ने बताया कि शासन के आदेश व मंदिर समिति के सदस्यों के आपसी राय के बाद मंदिर के कपाट को 25 मार्च से लेकर 3 अप्रैल तक इस महामारी से बचाव के लिए बंद कर दिया गया हैं।

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मंदिर के इतिहास में पहली बार नवरात्र में बंद हुए कपाट

वही मंदिर प्रशासन के अन्य सदस्यों ने बताया कि मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब नवरात्र में मंदिर के कपाट को भक्तों के लिए बंद किया गया हो और यहां लगने वाले 70 साल पुराने मेले को अग्रिम आदेश तक बंद किया गया हैं। करीमुद्दीनपुर थानाध्यक्ष दिव्य प्रकाश सिंह ने बताया कि मंदिर प्रशासन को इसकी सूचना दे दिया गया था।

दुकानें बंद, रोजी रोटी का संकट

स्थानीय व दूर से आए हुए दुकानदारों ने बताया कि इस महामारी के चलते रोजी रोटी के भी लाले अब पड़ गए हैं। क्योंकि इस महामारी के चलते मंदिर बंद होने से भक्त नहीं आएंगे जिसके वजह से दुकानें भी बंद रहेंगी और रोजी रोटी का संकट अब हम लोगों के सामने खड़ा हो गया है।

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कोविड 19 के चलते सत्ती धाम का कपाट किया गया बन्द

पूर्वांचल से लेकर बिहार तक मशहूर जहां सांपों के काटे रोगी ठीक हो जाते हैं। वह स्थान अमवा के सती धाम के मंदिर को भी बंद कर दिया गया हैं। इस सती स्थान पर चैत की नवरात्रि हो या सावन का माह या अश्वनी माह का नवरात्रि हों हर समय भक्तों का रोज हजारों की भीड़ लगी रहती थी। लेकिन इस महामारी के चलते मंदिर के कपाट को मंदिर प्रशासन ने अग्रिम आदेश तक बंद रखने का निर्णय लिया हैं।

नवरात्र में होने वाले सभी आयोजन रद्द

मंदिर प्रशासन ने बताया कि यहां होने वाले सभी आयोजन रद्द कर दिया गया हैं। वहीं बरेसर थानाध्यक्ष संजय मिश्रा ने बताया कि मंदिर समिति को इसकी जानकारी दे दिया गया हैं। किसी प्रकार का कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा ना ही कोई पूजा पाठ होगी। जब तक शासन की तरफ से अग्रिम आदेश ना हो।

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ऐतिहासिक व पौराणिक मां कामख्या धाम का भी कपाट बंद

पौराणिक जगहं में स्थान रखने वाले एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर, गहमर थाना क्षेत्र में पढ़ने वाले कामाख्या धाम जहां प्रदेश के साथ-साथ बिहार के लोग भी दर्शन करने आते हैं नवरात्रि में यहां पूरे नौ दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती थी। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस पौराणिक मंदिर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया हैं।

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सैकड़ों दुकानदार भुखमरी के कगार पर

यहां के पुजारी ने बताया कि इस महामारी के चलते ऐसा पहली बार हुआ हैं, जब नवरात्रि में मंदिर को भक्तों के लिए बंद करना पड़ा हैं। इस महामारी के चलते यहां के सैकड़ों दुकानदार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। गहमर थानाध्यक्ष ने बताया कि शासन के आदेश आने के बाद मंदिर प्रशासन को सूचना भेज दिया गया था। यहां होने वाले सभी आयोजनों को अब रद्द कर दिया गया है मंदिर आने वाले हर रास्ते पर बैरिकेडिंग कर नोटिस लगा दिया गया हैं।

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दुकानदारों के सामने खड़ा हुआ संकट

धार्मिक स्थानों पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों का कहना हैं। कि करोना जैसे संकट में हम छोटे दुकानदारों को भूखे मरने पर विवश कर दिया हैं। नवरात्री के लिए हम लोग प्रसाद लाए थे कि इससे हम दो पैसा कमा कर अपने परिवार का पेट पालेगें। लेकिन अब तो दुकानें बंद हो गई हैं, और हम लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया हैं। वहीं दुकानदार कृष्णानंद कुशवाहा ने बताया कि इस संकट की घड़ी में हम सारे दुकानदार देश के साथ खड़े हैं। भले ही हम लोगों का व्यापार चौपट हो जाये।

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