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मातम में बदली खुशियां: उठनी थी बेटी की डोली, घर से निकली पिता की अर्थी
लगभग 20 वर्ष से उसने जिस सपने को संजोया था उस पर कोर्ट का डंडा चलने के बाद उसकी जिंदगी ने साथ छोड़ दिया । नौकरी पर आने वाले खतरे का भय बेटी की शहनाई की खुशी पर भारी पड़ गई और शादी के एक दिन पहले ही जिंदगी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
अम्बेडकरनगर। 69000 शिक्षक भर्ती में याचिकाकर्ता रहे शिक्षा मित्र की हार्ट अटैक से हुई मौत ने सरकार की नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बेटी के हाथ में मेंहदी लगने से महज कुछ घण्टे पहले हुयी शिक्षा मित्र पिता की मौत ने जंहा पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है वंही शिक्षा मित्रों में भी शोक की लहर दौड़ गई है।
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जिंदगी ने छोड़ दिया साथ
व्यवस्था की मार से परेशान शिक्षा मित्र ने कोर्ट का चक्कर लगाते लगाते आखिरकार अपनी अधूरी हसरतों के साथ ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लगभग 20 वर्ष से उसने जिस सपने को संजोया था उस पर कोर्ट का डंडा चलने के बाद उसकी जिंदगी ने साथ छोड़ दिया । नौकरी पर आने वाले खतरे का भय बेटी की शहनाई की खुशी पर भारी पड़ गई और शादी के एक दिन पहले ही जिंदगी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हाईकोर्ट का फैसला शिक्षा मित्रों के हितो के विपरीत आने पर इनके हितों की लड़ाई लड़ने वाले शिक्षा मित्र की मौत हो गई ।
अकबरपुर शिक्षा क्षेत्र के ग्राम कसेरुआ निवासी रमाकांत की वर्ष 2003 में प्राथमिक विद्यालय भिखारीपुर में शिक्षा मित्र के पद पर नियुक्ति हुई थी। पूर्ववर्ती सपा सरकार ने शिक्षा मित्रों को स्थायी अध्यापक बनाने का निर्णय लिया। ऐसे में अन्य शिक्षा मित्रों की तरह रमाकांत ने भी जिंदगी के हसीन सपने संजोये, लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही शिक्षा मित्रों को लेकर बवाल शुरू हो गया।
अरमानों पर फिरा पानी
कभी सरकार ने पेंच फसाया तो कभी कोर्ट में मामला अटक गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके अरमानों पर पानी फिर गया। उसके बाद जब 69000 शिक्षक भर्ती आई तो उससे भी कुछ आस जगी लेकिन उसमें भी निराशा ही हाथ लगी।परिजनों के अनुसार तब से ही रमाकांत सदमे में थे, जिसके चलते शनिवार को उनकी मौत हो गई।रमाकांत की बेटी की शादी रविवार को है।
परिजनों का कहना है कि सरकार ने मेरिट 40-45 से बढ़ाकर 60-65 कर दिया, जिसको लेकर रमाकांत अपने अन्य साथियो के साथ कोर्ट गए थे, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ। इसको लेकर वह काफी तनाव में थे। रविवार को बेटी की बारात तो आएगी लेकिन रमाकांत की जिंदगी डोर बेटी की डोली उठने से पहले ही टूट गयी।
रिपोर्टर- मनीष मिश्रा, अम्बेडकरनगर
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