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इधर के हुए न उधर के: घर लौटे प्रवासियों के सामने रोजी रोटी का गहराया संकट

काम के खातिर वह ग्राम प्रधान रामबाबू राजपूत व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी प्रेमचंद से मिले और अपनी पीड़ा को बयां की लेकिन उन्हें क्या पता था कि बदकिस्मती यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ेगी। ग्राम पंचायत प्रधान ने तो साफ-साफ कह दिया आप लोगों के लिए यहां काम नहीं है यहां पर केवल हमारे गांव के लोगो को ही काम दिया जाएगा।

SK Gautam
Published on: 24 May 2020 4:35 PM IST
इधर के हुए न उधर के: घर लौटे प्रवासियों के सामने रोजी रोटी का गहराया संकट
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औरैया: लॉक डाउन की वजह से गैर प्रांतों व शहरों से लौट रहे प्रवासियों के लिए प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा तमाम सुविधाओं का दावा किया जा रहा है लेकिन स्थिति इससे इतर है। भाग्यनगर की ग्राम पंचायत टीकमपुर में असलियत कुछ और ही बयां कर रही है। गांव में आए प्रवासियों को काम धंधा न मिलने की वजह से उनके सामने परिवार का भरण पोषण कर पाना कठिन हो रहा है।

ग्राम पंचायत टीकमपुर में प्रधान व सचिव द्वारा प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत नहीं दिया जा रहा काम

लॉक डाउन की यह कहानी विकासखंड भाग्यनगर की ग्राम पंचायत टीकमपुर गांव की है। समाजसेवी प्रशांत त्रिपाठी ने बताया है कि टीकमपुर गांव के दर्जनों गरीब मजदूर परिवार अपने बच्चों का पेट पालने के खातिर हरियाणा, दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, लुधियाना जैसे शहरों से इस आस के साथ अपने गांव वापस लौट आए कि शायद वहां कुछ दिन मनरेगा में काम मिलेगा। जिससे कुछ दिनों तक दो वक्त की रोटी मिल सकेगी।

काम के खातिर वह ग्राम प्रधान रामबाबू राजपूत व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी प्रेमचंद से मिले और अपनी पीड़ा को बयां की लेकिन उन्हें क्या पता था कि बदकिस्मती यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ेगी। ग्राम पंचायत प्रधान ने तो साफ-साफ कह दिया आप लोगों के लिए यहां काम नहीं है यहां पर केवल हमारे गांव के लोगो को ही काम दिया जाएगा।

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मनरेगा में काम न मिलने के कारण परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी के पड़ें लाले

बाहर शहरों से अपने गांव टीकमपुर वापस आए लगभग 20 प्रवासी मजदूरों के परिवार कोरोना जैसी महामारी से तो किसी तरह बच गए लेकिन इन मजदूरों को काम न मिलने के कारण सबसे बड़ी समस्या है। इनके बच्चों की पेट की आग कैसे बुझेगी। समाजसेवी प्रशांत त्रिपाठी ने बताया कि ग्राम पंचायत टीकमपुर निवासी विनोद कुमार, विजय बहादुर, आशा देवी, पवन कुमार, सुभाष चंद्र, सुरजीत कुमार, राम कैलाश, राजेश कुमार, पप्पू सिंह, रामदास, श्याम सुंदर, अनिल कुमार, राजकुमार सहित गांवो के दर्जनों लोग इन शहरों से अपने घर वापस आए।

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जबकि इस संदर्भ में मजदूरों का कहना है हमारे पास मनरेगा जॉब कार्ड उपलब्ध है। ग्राम प्रधान हम लोगों के साथ जान बूझकर भेदभाव कर रहा है जबकि हम लोग काम न मिलने के कारण बहुत परेशान है। उन्होंने जिलाधिकारी से इस आशय के साथ निवेदन किया है कि उन लोगो को भी मनरेगा में काम दिया जाए। जिससे उन सभी लोगो के परिवारों का भरण पोषण कर सके।

रिपोर्टर- प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया



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SK Gautam

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