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NPCL का लाइसेंस निरस्त करने की मांग, हुआ ये बड़ा फैसला

उपभोक्ता परिषद के सवालों पर गंभीर होते हुए आयोग ने तुरंत ही उच्चाधिकारियों की बैठक बुला कर कहा कि यह गंभीर मामला है इसकी पूरी जांच होगी फिर अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

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Published on: 8 July 2020 5:59 PM IST
NPCL का लाइसेंस निरस्त करने की मांग, हुआ ये बड़ा फैसला
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लखनऊ। उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में नोयडा पावर कम्पनी लि. (एनपीसीएल) के खिलाफ 20 पन्नों की रिपोर्ट राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंपते हुए एनसीपीएल द्वारा गंभीर अनियमिता का आरोप लगाया है। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग से एनपीसीएल की वर्तमान लागू दर में 15 प्रतिशत की कमी और जल्द से जल्द उसका लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है।

नियामक आयोग में बुधवार को वर्ष 2020-21 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता व बिजली दर सहित टूªअप याचिका पर आनलाइन सार्वजनिक सुनवाई आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्यगण कौशल किशोर शर्मा व विनोद कुमार श्रीवास्तव की उपस्थित में हुई। सुनवाई के दौरान एनपीसीएल के एमडी आरसी अग्रवाल ने मौजूदा लागू टैरिफ को आगे भी लागू रखने की मांग उठायी। इस पर उपभोक्ता परिषद ने एनपीसीएल के एमडी से सवालों की झड़ी लगा दी।

उपभोक्ता परिषद के सवालों पर गंभीर होते हुए आयोग ने तुरंत ही उच्चाधिकारियों की बैठक बुला कर कहा कि यह गंभीर मामला है इसकी पूरी जांच होगी फिर अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

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केवल 5 प्रतिशत लाइन लॉस माना जाए

इसके बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से उपभेाक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एक 20 पेज की रिपोर्ट आयोग में प्रस्तुत करते हुये कहा कि जिस प्रकार से एनपीसीएल द्वारा वर्तमान 8 प्रतिशत लाइन हानियों को लाभ लेने के लिए बढाकर 9 प्रतिशत प्रस्तावित किया गया वह गलत है केवल 5 प्रतिशत लाइन लॉस माना जाए। एनपीसीएल ने बडे पैमाने पर कैपेक्स में विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय दरों के विपरीत जाकर 100 से 500 प्रतिशत तक अधिक दरों पर ट्रांसफार्मर सहित इत्यादि उपभोक्ता सामग्री की खरीद की। वर्मा ने कहा कि फिजूलखर्ची का आलम यह है कि उपभोक्ताओं की टैरिफ में पासआन करके एननपीसीएल के अधिकारी मर्सडीज बेंज गाड़ी खरीद कर चल रहे हैं और भी अनेकों मंहगी गाडियां खरीदी गयी जो जांच का मामला है।

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कम भार पर मल्टीस्टोरी इमारतों में कनेक्शन देता है

वर्मा ने कहा कि शार्ट टर्म में 251 करोड रुपये की बिजली में केवल नाममात्र आयोग से स्वीकृत से खरीदी गयी जबकि ज्यादातर बिना स्वीकृत के खरीद की गयी। उन्होंने कहा कि एनपीसीएल बिल्डरों से सांठ-गांठ करके उन्हें कम भार पर मल्टीस्टोरी इमारतों में कनेक्शन दे देता है फिर बिल्डर उपभोक्ताओं को ज्यादा भार पर कनेक्शन देकर लाभ कमाते हैं और वहां की जनता बे्रकडाउन में फंसी रहती है। सिंगल प्वाइंट के मामले में बिल्डरों के साथ एनपीसीएल मिला हुआ है और बिल्डर उपभोक्ताओं का लगातार उत्पीडन कर रहे हैं। एनपीसीएल को 10 करोड रुपये से ऊपर सभी खर्चों का अनुमोदन आयोग से लेना था लेकिन अनेकों मामलों में अनुमोदन नही लिया गया और ज्यादातर मामलों में स्कीम को टुकडांे में करके आयोग के अनुमोदन से लिया।

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उपभोक्ता शिकायत 30.6 प्रतिशत हुई

आगे उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा एनपीसीएल क्षेत्र में पहले जो उपभोक्ता शिकायत 23.6 प्रतिशत थी अब वह बढकर 30.6 प्रतिशत हो गयी। वहां के गांव को 10 से 12 घण्टे बिजली मिलती है और कागजों में 18 घण्टे दिखायी जाती है। एनपीसीएल की कारगुजारी का बडा मामला यह है कि उसने पश्चिमाचंल विद्युत वितरण निगम में घुसकर 02 विश्वविद्यालयों और 01 बडे बिल्डर को एचटी का कनेक्शन दे दिया और वहीं दूसरी ओर अपने क्षेत्र के 04 गांवों रोजा, जलालपुर, इटेरा और पथवारी को बिजली नही दी। इन गांवों को पश्चिमाचंल विद्युत वितरण निगम को बिजली देनी पडी।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि एनपीसीएल ने बैंकिंग की 200 मिलियन यूनिट व एक्सचेंज की 22 मिलियन यूनिट बिजली लगभग 86 करोड रुपये में बेचकर लाभ कमाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में प्रमुख सचिव ऊर्जा ने एनपीसीएल को गांव मेें कम विद्युत आपूर्ति करने पर लाइसेंस की शर्तों का उलंघन माना था लेकिन आगे कार्यवाही नही की गयी।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

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