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कब देंगे दर्शन: लॉकडाउन में नहीं दिखे सांसद-विधायक, राह तकते रह गए गरीब ग्रामीण

कटरा विधानसभा से बीजेपी विधायक वीर विक्रम सिंह है। उनका पैतृक गांव डभौरा है। इस गांव से महज दो किलोमीटर दूर ईमईपुर संडा गांव है । इस गांव में लॉकडाउन के 27 दिन के बाद भी किसी अधिकारी ने जाने की जहमत नही उठाई है।

SK Gautam
Published on: 21 April 2020 2:36 PM GMT
कब देंगे दर्शन: लॉकडाउन में नहीं दिखे सांसद-विधायक, राह तकते रह गए गरीब ग्रामीण
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आसिफ अली

शाहजहांपुर: कोरोना महामारी से गरीबों को राहत दिलाने के लिए देश के पीएम और सीएम ने तमाम योजनाओं का लाभ पहुचाने के लिए सांसद विधायक से लेकर अधिकारियों को आदेश दिये है कि गांव गांव जाकर गरीबों को सामग्री बांटे। लेकिन यूपी के शाहजहांपुर में बीजेपी सांसद और बीजेपी विधायक के पैतृक गांव से महज एक किलोमीटर दूर गांव मे लॉकडाउन में 27 दिन के बाद भी कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है। स्थानीय विधायक से लेकर बीजेपी सांसद ने भी उनकी सुध नही ली है। फिलहाल गांव जाकर पता चाल कि सिर्फ कागजों पर ही अधिकारी काम कर रहे हैं ज़मीनी हकीकत कुछ और है।

लॉकडाउन के 27 दिन के बाद भी नहीं दिखा कोई अधिकारी

कटरा विधानसभा से बीजेपी विधायक वीर विक्रम सिंह है। उनका पैतृक गांव डभौरा है। इस गांव से महज दो किलोमीटर दूर ईमईपुर संडा गांव है । इस गांव में लॉकडाउन के 27 दिन के बाद भी किसी अधिकारी ने जाने की जहमत नही उठाई है। इतना ही नही स्थानीय बीजेपी विधायक वीर विक्रम सिंह ने भी गांव में इन गरीबों का दर्द जानने की कोशिश नही की। जब newstrack की टीम ने इन गरीबों के गांव में जाकर उनसे उनकी परेशानियों के बारे जाना तो विधायक के खिलाफ सभी गुस्सा फूट गया। सभी ने जमकर नेताओं और अधिकारियों को कोसना शुरू कर दिया।

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हालांकि इसी बीच इस गांव मे एक समाजसेवी से जो घर-घर जाकर खाना बांटते दिखाई दिये। जब उस समाजसेवक से बात की तो पता चला कि इस गांव से लगा एक गांव विधायक का पैतृक गांव और तो एक किलोमीटर दूसरी सटा दूसरा गांव बीजेपी सांसद अरूण सांसद का पैतृक गांव है। लेकिन अभी तक ईमईपुर संडा गांव मे किसी भी नेता या फिर अधिकारी ने आने की जहमत नही उठाई है।

सिर्फ वोट लेने आते हैं सांसद और विधायक

ईमईपुर संडा गांव से महज एक किलोमीटर की दूरी पर लगा हुआ गांव चावर खास है । बीजेपी सांसद इसी के रहने वाले है। वह सांसद के चुनाव से पहले इस गांव मे जरूर पहुचे थे। लेकिन उस वक्त उनको वोट चाहिए था। लेकिन जीतने के बाद आज तक उन्होंने अपनी शक्ल नही दिखाई। ग्रामिणों मे यही नाराजगी है। ग्रामिणों का कहना है कि वैसे तो उनको फक्र होता था कि सांसद का गांव हमारे गांव से लगा हुआ है।लेकिन अब लॉकडाउन के समय जब हमको उनकी उनकी जरूरत है। इस वक्त उन्होंने एक बार भी इस गांव मे आने की जहमत नही उठाई। एक भी अधिकारी इस गांव मे नही आया है।

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Newstrack.com की टीम जब मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर ईमईपुर संडा गांव जाकर रियल्टी चेक किया तो पता चला कि बीजेपी सांसद अरूण सागर और स्थानीय बीजेपी विधायक वीर विक्रम सिंह अपने पैतृक गांव से सटे गांव मे जाने कि जहमत नही उठाई। जबकि चुनाव से पहले इस गांव मे कई बार विधायक और सांसद पहुचे थे।

समाजसेवी संस्था ने निभाई जिम्मेदारी

लेकिन वोट की राजनीति से कोसों दूर एक समाजसेवी संस्था के लोग ग्रामीणों को खाने का पैकेट बांटते दिखाई दिए।

लेकिन आज जब कोरोना महामारी के वक्त इस गांव के गरीबों को उनकी जरूरत है तो वह खुद कोरोना के डर से अपने घरों मे कैद है। वही ग्रामिणों ने बताया कि शासन प्रशासन का एक भी अधिकारी लॉकडाउन के वक्त हमारे गांव में हमारी खबर लेने नही आया।

SK Gautam

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