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1984 सिख दंगा: SIT को चाहिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दीमक खा गए फाइलें

1984 सिख दंगा मामले में हत्या और डकैती की बंद 26 फाइलों को खोलना एसआईटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) के लिए चुनौती साबित हो रही है। इन केस में मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 19 Nov 2019 10:14 AM GMT
1984 सिख दंगा: SIT को चाहिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दीमक खा गए फाइलें
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कानपुर: 1984 सिख दंगा मामले में हत्या और डकैती की बंद 26 फाइलों को खोलना एसआईटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) के लिए चुनौती साबित हो रही है। इन केस में मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली हैं। 35 साल पहले जिला अस्पताल में रखे गए पोस्टमार्टम से संबंधित दस्तावेजों को दीमक खा गए हैं। जब एसआईटी ने सीएमओ आॅफिस से इसकी जानकारी मांगी तो यह बात सामने आई।

सिख दंगों के दौरान कानपुर शहर में 117 लोगों की मौत हुई थी। इसमें हत्या (302) व हत्या कर डकैती (396) के कुल 38 मामले दर्ज किए गए थे। पुलिस ने 12 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है जिसमें कुछ में आरोपियों को सजा मिली थी, वहीं कुछ मामलों में आरोपी बरी हो गए थे।

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इसके अलावा बाकी 26 केसों में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाई थी। अब जब शासन के आदेश पर गठित एसआईटी इन मामलों की दोबारा जांच कर रही है तो उसे मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की आवश्यकता है।

एसआईटी के एक अधिकारी ने बताया है कि सीएमओ आॅफिस को पत्र लिखकर दस्तावेज मांगे गए थे। इसके जवाब में सीएमओ आॅफिस ने बताया कि दीमक लगने से दस्तावेज नष्ट हो गए। इसके पहले संबंधित थानों से दस्तावेज मांगे थे, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सके थे। अब बड़ा सवाल है कि ऐसे में जांच कैसे आगे बढ़े।

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केस होगा कमजोर

इन 26 केसों में शहर के पुराने नेताओं समेत सैकड़ों लोग आरोपी हैं। एसआईटी के मुताबिक आरोप साबित करने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का होना आवश्यक है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने पर साक्ष्यों के अभाव में केस कमजोर हो जाएगा।

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इस क्षेत्रों में सबसे अधिक केस दर्ज

नौबस्ता और गोविंद नगर में सबसे अधिक 9-9 केस दर्ज किए गए थे। इसके अलावा नजीराबाद, अर्मापुर व पनकी में दो-दो केस व किदवई नगर व फजलगंज में एक-एक एफआईआर हुई थी। इसमें दोनों मामले (हत्या व हत्या कर डकैती) शामिल हैं।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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