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नोएडा: प्राधिकरण के पूर्व डीएसपी पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज

सपा सरकार में हनक रखने वाले पूर्व डीएसपी हर्षवर्धन सिंह भदौरिया पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा कोतवाली सेक्टर-49 में दर्ज किया गया है। यह मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने दर्ज कराया है।

Aditya Mishra
Published on: 19 May 2019 5:16 PM IST
नोएडा: प्राधिकरण के पूर्व डीएसपी पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज
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नोएडा: सपा सरकार में हनक रखने वाले पूर्व डीएसपी हर्षवर्धन सिंह भदौरिया पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा कोतवाली सेक्टर-49 में दर्ज किया गया है। यह मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने दर्ज कराया है।

भदौरिया पर आरोप है कि उसने एक जनवरी 2003 से मई 2017 तक अकूत संपत्ति अर्जित की। जो कि उसकी आया की 1178.09 प्रतिशत अधिक है। बताया गया कि भदौरिया की नोएडा व इटावा में भी संपत्तियां है। जिनका विवरण खंगालने का काम किया जा रहा है।

मई 1981 में पुलिस में उप निरिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। 2003 में नोएडा प्राधिकरण में आने के बाद अकूत संपत्ति बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। 2003 से 2017 तक भदौरिया के वेतन भत्तों एरियर व बैंक अदि से कुल शुद्ध ज्ञात आय करीब 8 लाख 32 हजार 324 रुपए होनी चाहिए थी।

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इसके सापेक्ष इस अवधि में 10 करोड़ 63 लाख 76 हजार 352 रुपए व्यय किए गए। यानी कुल ज्ञात व्यय उनकी आय का 9 करोड़ 80 लाख 53 हजार 328 रुपए यानी 1178.09 प्रतिशत अधिक निकली। लिहाजा भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम मेरठ की ओर से भदौरिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

इस मामले में जल्द ही भदौरिया की गिरफ्तारी हो सकती है। करीबियों ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण में डीएसपी के पद पर तैनात हर्षवर्धन सिंह भदौरिया को कई ऐसे पद भी दिए गए थे जिस पर उन्हें काम करने का तजुर्बा नहीं था। फिर भी राजनीतिक पैठ के कारण उन्हें वह पद मिला जो उनके कार्यक्षेत्र में नहीं था।

भदौरिया 2003 से ही विवादों में घिरे रहे हैं। उन पर आए दिन कभी राजनीतिक पार्टी की तरफ से तो कभी समाज सेवी संगठनों की तरफ से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

पार्किंग के नाम पर बेच दी सड़कें, बनाया काली कमाई का जरिया

नोएडा शहर में बदहाल पार्किंग की समस्या एकाएक पैदा नहीं हो गई। इसका खाका तैयार किया गया प्लानिंग की गई इसके बाद सड़को को पार्किंग के नाम पर बेचा गया। ठेकेदारों को छूट दी गई और शहर को पार्किंग के जंजाल में फंसा दिया गया। आलम यह है कि इस समस्या से राहत पाने के लिए अब भी प्राधिकरण को जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

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इसी पार्किंग के जरिए ही काली कमाई का खूब खेल खला गया।

डीएसपी के पद पर रहते हुए हर्ष वर्धन भदौरियां को सपा सरकार में पूरे शहर की सभी पाकिर्ंग के आवंटन व संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी। वहीं, किसी भी विभाग के लिए कोई भी सामान खरीदने वाले विभाग और स्टोर पर्चेज का चार्ज भी इन्हीं के पास था। डीएसपी के साथ

पार्किग और स्टोर पर्चेज का चार्ज दिए जाने के कारण वह चर्चा में रहे थे। पाकिर्ंग मामले में बड़े पैमाने पर बंदरबाट करने के आरोप लगते रहे। यह वहीं दौर था जब पार्किंग माफियाओं ने भी शहर में कदम रखा।

शहर के सड़कों के किनारे पार्किंग की जाने लगी। सरफेस पार्किंग के नाम पर काली कमाई का खूब खेल खेला गया। जिसका नजारा आज भ्रष्टाचार अधिनियम की ओर से दर्ज एफआईआर में देखने को मिला।

जबकि यह दोनों ही कार्य भदौरिया के लिए बिल्कुल नए और अनुभवन हीन थे। आरोप ये भी है कि हर्षवर्धन सिंह भदौरिया ने इटावा और नोएडा में काफी संपत्ति अर्जित की है। इसके अलावा दसवीं तक का एक स्कूल भी इनके बेटे के नाम पर है। फिलहाल अभी इनकी संपत्ति का आकलन किया जा रहा है।

रिटार्यमेंट होने के चार महीने पहले दिया था इस्तीफा

सत्ता बदलने के साथ ही हर्षबर्धन के पर कतरने शुरू कर दिए गए। लिहाजा उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए रिटार्यमेंट से चार महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। यह बात प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों के गले नहीं उतर रही थी। साथ ही कई दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा।

भदौरिया की किसी भी अधिकारी के आफिस में सीधे एंट्री थी। इसकी वजह राजनितिक गलियारे में अच्छी पैठ होना था। लिहाजा इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया।

साथ ही इनके पास दिए गए अधिकारी भी वापस ले लिए गए। सत्ता परिवर्तन के बाद भ्रष्टाचार निवारण मंच की इन पर नजर पड़ी। जांच की गई। जिसके बाद अब जाकर मुकदमा दर्ज किया गयाा।

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