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गोमती तट पर नहीं होंगे छठ पूजा के सांस्कृतिक आयोजन, कोरोना ने लगाया ग्रहण

गोमती नदी के तट पर इस बार "उगा हो सुरुज देव अरघ के बेरिया " की स्वर गूंज से छठ व्रतियों का उत्साह बढ़ाने के लिए लोक कलाकार मौजूद नहीं होंगे। इस बार पहले की तरह बड़ा आयोजन भी नहीं होगा। इसकी वजह कोरोना वायरस का ग्रहण है।

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Published on: 16 Nov 2020 2:57 PM GMT
गोमती तट पर नहीं होंगे छठ पूजा के सांस्कृतिक आयोजन, कोरोना ने लगाया ग्रहण
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छठ पूजा आज से शुरू, जानें इस पूजा का इतिहास

लखनऊ: गोमती नदी के तट पर इस बार "उगा हो सुरुज देव अरघ के बेरिया " की स्वर गूंज से छठ व्रतियों का उत्साह बढ़ाने के लिए लोक कलाकार मौजूद नहीं होंगे। इस बार पहले की तरह बड़ा आयोजन भी नहीं होगा। इसकी वजह कोरोना वायरस का ग्रहण है। कोरोना महामारी के कारण इस बार गोमती नदी के तट पर अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से सांस्कृतिक आयोजन नहीं कराए जाएंगे।

गोमती तट पर पिछले 36 सालों से अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से सांस्कृतिक व छठ पूजा आयोजन किए जाते रहे हैं। लक्ष्मण मेला मैदान पर इस बार कार्यक्रम नहीं कराए जाने की जानकारी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नाथ राय ने दी है। उन्होंने बताया कि महामारी को देखते हुए इस बार छठ पूजा लक्ष्मण मेला मैदान गोमती तट लखनऊ में सांस्कृतिक कार्य क्रम का आयोजन नही होगा।

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छठ घाट गोमती तट लक्ष्मण मेला मैदान पर सफाई, लाईट , फागिंग आदि सब कराया जा चुका है लेकिन कोरोना को देखते हुए सांस्कृतिक आयोजन नहीं कराया जा रहा है। छठ घाट पर भी लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर ही जा सकेंगे। ऐसे में बेहतर होगा कि इस बार लोग छठ पूजा अपने घर व पार्क में ही करें। जहां कम से कम लोग शारीरिक दूरी नियम का पालन कर पूजा कर सकेंगे।

36 साल पहले शुरू हुई थी पूजा

गोमती नदी के तट पर अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की पूजा की शुरुआत 1984 में हुई थी । इसके बाद बडे स्तर पर लक्ष्मण मेला मैदान मे अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय अपने साथियों के साथ मिलकर भव्य कार्यक्रम करने लगे जिससे लगभग 200 कालाकारों द्वारा 18 घण्टे तक सांस्कृतिक कार्य क्रम एवं समाजिक व राजनैतिक सहित समाज के हर वर्ग के लोग लाखों की संख्या में भाग लेने लगे।

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इस कार्य क्रम मे कई बार कठिनाई भी आई छठ पूजा लक्ष्मण मेला में न हो पिछली सरकारो न रोक लगाई ,छठ घाट को तोडा भी गया । छठ पूजा की लडाई हाईकोर्ट तक लड़ी गई और छठ पूजा के आयोजन होते रहे। सुंदरीकरण के दौरान भी छठ घाट तोड़े गए लेकिन पूजा कार्यक्रम होते रहे। 36 वर्षो मे पहला मौका है जो कोरोना के कारण अखिल भारतीय भोजपुरी समाज का सास्कृतिक कार्यक्रम इस साल नहीं हो रहा है।

क्यों होती है छठ पूजा ??

छठ पूजा अपने परिवार की सुख शांति, स्वस्थ्य ऊर्जावान एवं दीर्घायु के लिए महिलाये करती है।इस पवित्र. पर्ब मे साठी के चावल का विशेष महत्व है।सभी मौसमी फल जैसे सरीफा केला, अमरुद, सेव, अनन्नास, सूथनी हल्दी, अदरक, गन्ना, आदि। प्रयोग किया जाता है मिट्टी के बने कोशी जिसमे 6- 12- 24- दिये लगे होते है सारे फलो को रख कर कोशी भरा जाता है।इस पूजा मे सभी पूजन सामग्री को डाला मे रख कर किया जाता है इस लिए इसको डाला छठ भी कहते है।अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने सभी छठ पूजा व्रती से अनुरोध किए है कि कोरोना के कारण अपने घरो व आस पास के पार्क में ही पूजा करे।

अखिलेश तिवारी

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