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UP: बिजली कर्मचारियों ने की इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को वापस लेने की मांग

विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र. ने केन्द्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा जारी इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को तत्काल वापस लेने की मांग की

Aradhya Tripathi
Published on: 19 April 2020 3:18 PM GMT
UP: बिजली कर्मचारियों ने की इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को वापस लेने की मांग
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लखनऊ: विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र. ने केन्द्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा जारी इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि इस संशोधन बिल में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी को समाप्त करने की बात लिखी है, जिससे आम उपभोक्ता का टैरिफ बढ़ेगा। इसलिए यह संशोधन बिल किसी भी प्रकार से जनहित में नहीं है। इसे तत्काल वापस लिया जाए। संघर्ष समिति ने कहा है कि संशोधन बिल तत्काल वापस नहीं लिया गया तो सभी बिजली कर्मी इसका प्रबल विरोध करेंगे।

समिति ने PM और CM से की अपील

संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे इस नाजुक घड़ी में जब देश कोविड -19 महामारी के संक्रमण से संघर्ष कर रहा है, तब केन्द्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा जारी इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को तत्काल वापस कराने के लिए प्रभावी पहल करें। जिससे निर्बाध विद्युत् आपूर्ति कर रहे बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं का मनोबल न टूटे।

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संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को बताया कि इलेक्ट्रीसिटी (संशोधन) बिल 2020 में बिजली वितरण का निजीकरण करने के लिए फ्रेन्चाइजी के जरिये निजी क्षेत्र को विद्युत् वितरण सौंपने की बात कही गयी है। इससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। फ्रेन्चाइजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है और वांछित परिणाम न दे पाने के कारण लगभग सभी फ्रेंचाइजी करार रद्द किए जा चुके हैं।

खुद को कोरोना वारियर घोषित करने की मांग

उत्तर प्रदेश में भी आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की लूट चल रही है और टोरेंट कंपनी द्वारा करार की कई शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है। सीएजी ने भी टोरेंट कंपनी पर घपले के आरोप लगाए हैं। दुबे ने कहा कि बीती 05 अप्रैल को लाइट बन्दी के दौरान जिस कुशलता से प्रदेश और देश के बिजली कर्मियों ने बिजली ग्रिड का संचालन किया और 31हजार मेगावाट से अधिक के लोड का जर्क लगने के बावजूद ग्रिड का संतुलन बनाये रखा। वह बिजली ग्रिड के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है।

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इसके बावजूद केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा निजीकरण का मसौदा जारी करने से बिजली कर्मी आहत और ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने यह भी मांग की है कि इस महामारी के संक्रमण में कार्यरत बिजली कर्मियों को स्वास्थ, सफाई और पुलिस कर्मियों की तरह कोरोना वारियर घोषित किया जाये और सभी संरक्षण प्रदान किये जाये।

Aradhya Tripathi

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