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सरकार का झूठा खेल: भर्ती मामले में जनता की आंखों में धूल झोंकता प्रशासन

कर्मचारी, शिक्षक एवं अधिकारी, पेंशनर्स अधिकार मंच ने सरकार ने सरकार की तरफ से भर्ती के बारे में दिए जा रहे आकड़ा को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार अपने साढ़े तीन साल के भर्ती मामले के जो आकड़ें बता रही है वह गलत है।

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Published on: 21 Sept 2020 5:57 PM IST
सरकार का झूठा खेल: भर्ती मामले में जनता की आंखों में धूल झोंकता प्रशासन
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लखनऊ कर्मचारी, शिक्षक एवं अधिकारी, पेंशनर्स अधिकार मंच ने सरकार ने सरकार की तरफ से भर्ती के बारे में दिए जा रहे आकड़ा को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार अपने साढ़े तीन साल के भर्ती मामले के जो आकड़ें बता रही है वह गलत है।

लखनऊ: कर्मचारी, शिक्षक एवं अधिकारी, पेंशनर्स अधिकार मंच ने सरकार ने सरकार की तरफ से भर्ती के बारे में दिए जा रहे आकड़ा को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार अपने साढ़े तीन साल के भर्ती मामले के जो आकड़ें बता रही है वह गलत है। मंच के अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र बर्मा, प्रधान महासचिव सुनील कुमार त्रिपाठी तथा हरि किशोर तिवारी ने पत्रकारों से सामुहिक बातचीत के दौरान बताया कि सरकार अपने साढ़े तीन साल के भर्ती मामले के जो आकड़ें बता रही है वह गलत है।

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30 से 40 प्रतिशत पद लम्बे अरसे से खाली

जन सूचना अधिकार के तहत दी गई जानकारी में इसका खुलासा होता है। सहकारिता, दिव्यांग सषक्तीकरण, कर्मचारी बीमा जन चिकित्सा, वाणिज्य कर, वाणिज्यकर मुख्यालय, सर्तकता जैसे दर्जनों विभागों में 30 से 40 प्रतिशत पद लम्बे अरसे से खाली पड़े है।

पत्रकार वार्ता में मौजूद मंच के संरक्षक बाबा हरदेव सिंह समेत अन्य नेताओं ने संयुक्त रूप से बताया कि सरकार अपने कार्यकाल में भर्ती मामले में खुला झूठ बोल रही है। इसका उदाहरण हम कुछ ऐसे विभाग की रिक्तियों के आधार पर देगे जिन विभागों का जनता से सीधा सरोकार ही नही बल्कि ये विभाग संवेदनशील है।

बिना नियमावली संशोधन के भर्ती प्रक्रिया दूषित

कलेक्ट्रेट के 243 सीजनल सहायक वासील वाकी नबीसों को विनियमतीकरण का प्रकरण ष्षासन में काफी समय से लम्बित है। भर्ती के पहले इस पर आदेश होना आवश्यक है। मुख्य सचिव की बैठक में नियमावली पूर्ववत लागू करने का आदेश हुआ जो अभी भी ष्षासन में लम्बित हैे। बिना नियमावली संशोधन के भर्ती प्रक्रिया दूषित रहेगी।

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cooperative Department फोटो-सोशल मीडिया

सहकारिता विभाग सीधे कृशकों एवं ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। इस विभाग में वर्तमान सरकार के सत्तासीन होने तक सहायक सांख्यिकी अधिकारी के कुुल स्वीकृत 35 पदों के सापेक्ष मार्च 2020 तक रिक्तयाॅ 33 हो गई यानि केवल दो अधिकारी तैनात है।

अब बात करें दिव्यांगजन संशक्तिकरण विभाग यानि विकंलाग कल्याण विभाग जो अति संवेदनशील विभाग है, लगभग हर सरकार की तरह यह सरकार भी दिव्यांगो के बारे में संवेदनशील होने का दावा करती है लेकिन जब विभाग में खाली पदों को देखा जाता है तो सरकार के दावे खोखले लगते है।

विभाग का हाल भी बुरा

उन्होंने बतााया सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में बताया गया कि विभाग में निदेशक, मुख्य वित्त लेखाधिकारी, संयुक्त निदेशक, सहायक लेखाधिकारी के सभी पद रिक्त पड़े है। जबकि उप निदेशक के 13 में से 12 पद रिक्त है। अधीक्षक के 18 में से 12 पद रिक्त है। जिला विकंलाग जन विकास अधिकारी के 75 पदों में से 36 पद रिकत, प्रवक्ताओं के 48 में से 19 पद रिक्त पड़े है।

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उन्होंने कहा कि चैकाने वाली बात यह है कि कुल 757 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 343 पद रिक्त पड़े है। कुछ और उदाहरणों में संस्थागत वित्त, बीमा एवं बाह्य सहाययित परियोजना विभाग का हाल भी बुरा है। विभाग में 148 पदों के सापेक्ष 72 पद रिक्त पड़े है। वाणिज्य कर के निरीक्षक पदों में 278 के सापेक्ष 45 पद रिक्त पड़े है।

नागरिक सुरक्षा निदेशालय की बात करें तो यहाॅ उप निदेशक के 80 में से 76 पद रिक्त पड़े है। सर्तकता जैसे सरकार के महत्वपूर्ण अंग कहे जाने वाले विभाग में अधिकारी संवर्ग के 97 में से 66 पद, तृतीय श्रेणी के 603 में से 362 पदों के अलावा चतुर्थ श्रेणी की स्थिति तो बहुत खराब है कुल स्वीकृत पद 59 के सापेक्ष 43 पद रिक्त पड़े है।

सरकार ने स्कूलों को बंद कर रखा

मंच के नेताओं ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार लगातार कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी और पेंशनर्स विरोधी तथा उन्हें अपमानित करने वाले निर्णय लेती आ रही है। जब सरकार ने स्कूलों को बंद कर रखा है तो शिक्षकों की जान जोखिम में डालकर उन्हें स्कूल आना क्यो अनिवार्य किया गया है।

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कभी सरकार शिक्षकों को सेल्फी के साथ हाजिरी दर्ज कराने का आदेश करती है तो कभी उसे अक्षम होने की बात कह कर जबरन सेवानिवृत्त के आदेश देती हैं।

मंच नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सचिवालय में एक सप्ताह के अन्दर पत्रावली का निरस्तारण करने का आदेष दिया है जबकि शासन में कर्मचारियों के हितार्थ चल रही पत्रावली वर्शो से धूल फांक रही है।

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