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बच्चों को पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रोत्साहित करें माता पिता: नायडू

आयुष्मान भारत कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी इस स्वास्थ्य योजना से इतने काम समय में ही 10 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 5 April 2019 9:09 PM IST
बच्चों को पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रोत्साहित करें माता पिता: नायडू
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लखनऊ: उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि हमें बच्चों को ट्रांस फैट युक्त खाने के बजाय पौष्टिक आहार लेने के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों में शारीरिक व्यायाम वाले खेल कूद के लिए प्रेरित करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि आज संक्रामक रोगों की तुलना में जीवनशैली पर आधारित असंक्रामक व्याधियों का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि विश्व में मधुमेह और हृदय रोगों के सर्वाधिक रोगी हमारे देश में हैं। उपराष्ट्रपति आज लखनऊ के एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया की नेशनल इंटरवेंशन काउंसिल की वार्षिक बैठक के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

1990 से 2016 के बीच हृदय रोगों के कारण मृत्युदर में 34ः की वृद्धि हुई

अपने उद्घाटन भाषण में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने आशा व्यक्त की कि डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मी लोगों में स्वस्थ जीवन शैली के प्रति जागृति पैदा करेंगे। युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ष्आज विश्व भर में लगभग 170 लाख लोग सालाना हृदय रोगों के शिकार हो रहे हैं। भारत में भी 1990 से 2016 के बीच हृदय रोगों के कारण मृत्युदर में 34ः की वृद्धि हुई है।

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उन्होंने कहा कि सबसे अधिक चिन्ता का विषय यह है कि देश में हार्ट अटैक से ग्रस्त लोगों में से 40ः, 55 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। हृदयघात से मरने वाले 25ः लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।ष् आधुनिक जीवनशैली के कारण पैदा हुई बीमारियों के निदान में योग की अहम भूमिका की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ष्आज विश्व, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को स्वीकार कर रहा है। यह तनाव को दूर रखने का प्रभावी साधन है। योग में कई व्याधियों का विशेष कर जीवनशैली से संबंधित बीमारियों, का उपचार है।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यदि देश को एक समन्वेशी और सतत विकास के मार्ग पर बढ़ना है और विश्व समुदाय में अपना अभीष्ट अग्रणी स्थान प्राप्त करना है तो आवश्यक है कि हम विश्वास और जोश से भरी अपनी विशाल युवा जनसंख्या को स्वस्थ रखें।

गोष्ठी में देश विदेश के लगभग 1500 हृदय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं

5-7 अप्रैल तक चलने वाले इस गोष्ठी में देश विदेश के लगभग 1500 हृदय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि इस आयोजन के माध्यम से वे अपने अनुभवों का लाभ साझा करेंगे। निरंतर शिक्षण और प्रशिक्षण तथा इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रयासों की सराहना की।

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सोसायटी ने अब तक 5000 से अधिक हृदय चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में बहुमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि जीवन को मात्र दीर्घायु कर देना पर्याप्त नहीं, जीवन गुणात्मक रूप से समृद्ध होना चाहिए, जीवन संतुष्ट होना चाहिए।

हृदय रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को महत्वपूर्ण अग्रणी भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि वे कम से कम तीन वर्ष ग्रामीण प्राथमिक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में सेवा करें। उन्होंने कहा कि हमारे प्राथमिक उपचार केंद्र, उपचार की पहली कड़ी हैं अतः एक सुदृढ़, सक्षम, सुसज्जित और त्वरित प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की श्रृंखला, हमारे द्वितीय और तृतीय चिकित्सा संस्थानों पर बढ़ते बोझ को कम करेंगी।

बढ़ती स्वास्थ्य आपदाओं के प्रति सावधान और सजग रहने की सलाह

बढ़ती स्वास्थ्य आपदाओं के प्रति सावधान और सजग रहने की सलाह देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपदा के समय आपात स्वास्थ्य और चिकित्सा आवश्यकताओं को त्वरित रूप से पूरा करने की क्षमता को और विकसित करने की दिशा में प्रभावी कार्य करने की आवश्यकता है।

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बीमारियों के बढ़ते प्रकोप पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण नित नए, औषधिरोधी जीवाणु विकसित हो रहे हैं। इनके विरुद्ध तैयार रहने की आवश्यकता है।इस संदर्भ में उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत को चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान के नए क्षितिजों, नए आयामों को छूना है।

आयुष्मान भारत कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी इस स्वास्थ्य योजना से इतने काम समय में ही 10 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं।



Shivakant Shukla

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