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बिजली कंपनियों पर कसा शिकंजाः टोरेंट व एनपीसीएल की जांच रिपोर्ट तलब
यूपी सरकार के ऊर्जा विभाग ने राज्य के दो जिलों आगरा व नोएडा में निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा चलायी जा रही बिजली व्यवस्था की पड़ताल शुरू कर दी है। ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव की तरफ से प्रबंध निदेशक पावर कार्पोरेशन से अबिलम्ब पूरे मामले पर शासन को आख्या भेजने का निर्देश दिया गया है।
लखनऊ। यूपी सरकार के ऊर्जा विभाग ने राज्य के दो जिलों आगरा व नोएडा में निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा चलायी जा रही बिजली व्यवस्था की पड़ताल शुरू कर दी है। ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव की तरफ से प्रबंध निदेशक पावर कार्पोरेशन से अबिलम्ब पूरे मामले पर शासन को आख्या भेजने का निर्देश दिया गया है। इसमे दोनों निजी घरानों से संबंधित सभी अभिलेख व पूर्व में इनकी करायी गई जांच की रिपोर्ट भी शामिल हैै। बताते चले कि आगरा में टोरेंट पावर तथा नोएडा में नोएडा पावर कंपनी लि. बिजली की व्यवस्था देखती है।
दोनो निजी कंपनियों के करार को रद्द करने की मांग
इससे पहले बीती 08 अक्टूबर को उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर उन्हे इन दोनों निजी कंपनियों द्वारा की जा रही गड़बड़ियों के साक्ष्य सौंप कर दोनो निजी कंपनियों के करार को रद्द करने की मांग की थी।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बताया कि परिषद की शिकायत पर ऊर्जा मंत्री ने पावर कार्पोरेशन के निदेशक वाणिजय की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी इसकी जांच के लिए गठित की थी। अवधेश वर्मा ने बताया कि कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह साबित हो गया कि टोरेंट पावर आगरा अनुबंध की शर्तो का उलघन कर रही है और विभाग का करीब 2200 करोड़ रुपये का पुराना बकाया और कई सौ करोड़ रुपये का रेगुलेटरी सरचार्ज नहीं दे रही है।
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चार्टेड अकाउंट फर्म से जांच करवाने की सिफारिश
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में टोरेंट की विस्तृत जांच के लिए किसी चार्टेड अकाउंट फर्म से जांच करवाने की सिफारिश भी की है। उन्होंने बताया कि जांच कमेटी ने नोएडा पावर कंपनी के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चूंकि नोएडा पावर कंपनी स्वयं एक बिजली कंपनी है इसलिए प्रदेश सरकार उसके खिलाफ जांच कमेटी गठित करे। अवधेश वर्मा ने बताया कि जांच कमेटी के रिपोर्ट अगस्त में ही आ गई थी लेकिन इसी बीच बिजली कर्मियों व अभियंताओं द्वारा निजीकरण का आंदोलन शुरू कर दिए जाने के कारण इसे दबा दिया गया।
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मनीष श्रीवास्तव
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