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Labour Day: यूपी 8.30 करोड़ लोग कामगार में रजिस्टर्ड, मिलती हैं ये सुविधाएं
Labour Day: राज्य में 24 करोड़ की आबादी में 8.30 करोड़ लोग कामगार में रजिस्टर्ड किए गए हैं, जिसमें खेतिहर मजदूरों की संख्या सर्वाधिक है। मजदूरी भुगतान के तरीके को समझें। जैसे की समय मजदूरी, जब मजदूरी दर प्रति घंटे, प्रति दिन या प्रति माह तय की जाती है।
Labour Day: उत्तर प्रदेश में यदि सर्वे के हिसाब से माने तो सबसे पसंदीदा क्षेत्र खेती है, हर छठवां बाशिंदा खेतिहर मजदूर है। राज्य में 24 करोड़ की आबादी में 8.30 करोड़ लोग कामगार में रजिस्टर्ड किए गए हैं, जिसमें खेतिहर मजदूरों की संख्या सर्वाधिक है। मजदूरी भुगतान के तरीके को समझें। जैसे की समय मजदूरी, जब मजदूरी दर प्रति घंटे, प्रति दिन या प्रति माह तय की जाती है। टुकड़ा मजदूरी, जब श्रमिक को किए गए काम के अनुसार भुगतान किया जाता है, और टास्क मजदूरी, जो एक अनुबंध के आधार पर एक भुगतान है, अर्थात, एक निर्दिष्ट नौकरी खत्म करने के लिए भुगतान होता है।
ई श्रम पोर्टल
इतनी संख्या देख विभाग भी सोच रहा है। कि श्रम विभाग ने राज्य में छह करोड़ असंगठित मजदूरों का आकलन किया था, तो वहीं रजिस्ट्रेशन उससे कहीं ज्यादा हो गए। खेतिहर मजदूरों की संख्या डेढ़ करोड़ मानी जा रही थी लेकिन यह मिथ टूट गया है। खेतिहर मजदूर से अभिप्राय उन व्यक्तियो से है, जिनके पास अपनी स्वयं की कोई कृषि भूमि नहीं होती, किन्तु जो कृषकों की भूमि पर एक मजदूर के रूप में कार्य करते हैं अथवा जिनके पास अपनी थोड़ी सी कृषि योग्य भूमि है।
खेतिहर मजदूरों
वह अपने परिवार के लोगों के भरण-पोषण के लिए कृषि मजदूर बनकर कार्य करता है। खेतिहर मजदूरों के साथ रेडीमेड गारमेन्ट्स का भी बड़े स्तर पर काम हो रहा है। ई-श्रम पोर्टल के मुताबिक यूपी में कपड़ों की सिलाई में 52.16 लाख दर्जी नियोजित हैं। कोविड काल से पहले इनकी संख्या सिर्फ 16.43 लाख थी। अपर श्रमायुक्त सरजूराम शर्मा ने माना कि यूपी में कामगारों का रिकॉर्ड रजिस्ट्रेशन हो गया है। टॉप पर खेतिहर मजदूर हैं। इनमें मजदूरों को सरकारी योजनाओं मिलती है। इसके साथ बच्चों को शिक्षा में भी योगदान मिलता है। बच्चों को स्कूलों मुफ्त और छूट के प्रवेश मिलता है।
मजदूर का अर्थ
वह व्यक्ति जो भाड़े पर शारीरिक परिश्रम संबंधी कार्य करता हो। शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमानेवाला कोई व्यक्ति। जैसे-इमारत बनाने,कारखानों व फैक्ट्री,ईंट भट्टों पर काम करना, गलीचा बुनना, कपड़े तैयार करना, घरेलू कामकाज, खानपान सेवाएं (जैसे चाय की दुकान पर) खेतीबाड़ी, मछली पालन में काम करना आदि है।ये अपना भी बाजार बनाए होते है। जिसको हम लोग लेबर मंडी के नाम से जानते है। जैसे की समय मजदूरी, जब मजदूरी दर प्रति घंटे, प्रति दिन या प्रति माह तय की जाती है। टुकड़ा मजदूरी, जब श्रमिक को किए गए काम के अनुसार भुगतान किया जाता है, और टास्क मजदूरी, जो एक अनुबंध के आधार पर एक भुगतान है, अर्थात, एक निर्दिष्ट नौकरी खत्म करने के लिए भुगतान होता है।