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Kartik Purnima: रोक के बावजूद श्रद्धालुओं के आस्था की जीत, लाखों ने लगाई डुबकी
कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए घाटों पर भीड़ एकत्र न होने के आदेश के बाद गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में श्रृद्वालुओं के स्नान को लाख बंदिशों के बाद भी रोका नहीं जा सका है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर घाटों पर मौजूद श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई।
लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए घाटों पर भीड़ एकत्र न होने के आदेश के बाद गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में श्रृद्वालुओं के स्नान को लाख बंदिशों के बाद भी रोका नहीं जा सका है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर घाटों पर मौजूद श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इसके बाद दीपदान किया। कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है, जिसके चलते सोमवार को लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। हांलाकि स्थानीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और गंगा तटों पर भीड़ एकत्र न होने देने का दावा कर रहें है।
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पूरी श्रद्धा से स्नान व दीपदान
गंगा किनारे बसे प्रदेश के विभिन्न नगरों कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, बलिया आदि के घाटों पर सूर्योदय के साथ ही गंगातट पर भीड़ बढ़ने लगी थी। मुख्य स्नान घाट पर पांव तक रखने की जगह नहीं थी। जैसे-जैसे दिन निकल रहा था, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। वहीं प्रशासन की तरफ से बार बार भीड को एकत्र न होने देने का प्रयास करते रहे। बावजूद इसके श्रृद्वालुओं ने पूरी श्रद्वा से स्नान कर दीपदान आदि भी किया।
घाट पर मौजूद अधिकारी लाउडस्पीकर पर श्रद्धालुओं को गंगाघाट खाली करने की चेतावनी देते रहे। पौरोणिक मान्याताओं के अनुसार विधिवत पूजा के बाद घर पर गंगाजल स्नान करने से गंगा नदी में स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। यह भी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को रात 12 बजकर 49 मिनट से 30 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक रहेगी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करना दस यज्ञों के समान पुण्यकारी माना गया है। इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं।
श्रीधर अग्निहोत्री