TRENDING TAGS :
लॉकडाउन में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, सैंकड़ों बच्चों का हुआ जन्म
जनपद औरैया के बीहड़ी क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले चंबल क्षेत्र में इस दौरान घड़ियाल के बच्चों का जन्म काल चल रहा है। इसलिए यहां पर वन विभाग के अधिकारी चौबीसों घंटे नजर जमाए हुए हैं।
औरैया: जनपद में काफी क्षेत्र बीहड़ के अंतर्गत आता है। जिसमें चंबल जैसी नदियां अपना प्रभाव रखती हैं। यहां पर कई प्रकार के जीव जंतु अपना बसेरा बनाए हुए हैं। वे यहां पर आकर अपने कुनबे को बढ़ाने का प्रयास करते हैं और जब उनका कुनबा बढ़ जाता है तो वह यहां से पूरे परिवार समेत चले जाते हैं। जनपद औरैया के बीहड़ी क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले चंबल क्षेत्र में इस दौरान घड़ियाल के बच्चों का जन्म काल चल रहा है। इसलिए यहां पर वन विभाग के अधिकारी चौबीसों घंटे नजर जमाए हुए हैं।
ये भी पढ़ें: सिद्धू को मनाने की कवायद तेज, हाईकमान ने नाराज नेता को दिया ये बड़ा आश्वासन
पहले घड़ियलों की संख्या में आती थी कमी
बताते चलें कि चंबल क्षेत्र के अंतर्गत प्रतिवर्ष करीब 100 घड़ियालों की संख्या में कमी आती थी। जिसका प्रमुख कारण यह था कि शिकारी इनका शिकार करके अन्य जनपदों व राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचा करते थे। मगर इस बार घड़ियालों के प्रजनन काल के दौरान लाक डाउन चल रहा था और सभी प्रकार के व्यापार व प्रतिष्ठान बंद थे एवं कहीं पर आने जाने के लिए वाहनों की भी परमिशन नहीं थी। इसलिए इस बार घड़ियालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और वर्ष 2020 में करीब 200 घड़ियाल के बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
तिवर्ष इस समय 150 से 200 बढ़ते हैं घड़ियाल
इस संबंध में चंबल वार्डन विकास श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि घड़ियालों का प्रजनन काल 15 मार्च से 15 अप्रैल तक होता है और इनके अंडों से करीब 60 दिन बाद बच्चे बाहर निकलते हैं। बताया कि वर्ष 2018 में कुल वयस्क घड़ियालों की संख्या 1772 थी जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 1952 हो गई है। बीते 1 वर्ष में वयस्क घड़ियालो की संख्या में अप्रत्याशित 180 की वृद्धि हुई है। जिससे यह आंकड़ा 1952 पर पहुंच गया है। बताया कि प्रतिवर्ष इस समय 150 से 200 घड़ियाल बढ़ते हैं।
ये भी पढ़ें: आज से सस्ती हो जाएगी शराब, अब नहीं लगेगा कोरोना टैक्स
जनपद औरैया की चंबल सेंचुरी क्षेत्र में इन दिनों घड़ियालों के बच्चे यमुना नदी व चंबल नदी के बीच पड़े खाली स्थान में विचरण करते हुए नजर आते हैं। यह नजारा वन विभाग को बहुत ही रोमांचित कर देता है। विकास श्रीवास्तव ने बताया हैचिंग यानी कि बच्चों के निकलने के बाद पानी में छोड़ने का समय को कहा जाता है। इस बार अभी तक लगभग 180 बच्चों को पानी में छोड़ दिया गया है और अभी कुछ अंडों से बच्चे बाहर आने अभी शेष है।
जानकार सूत्रों की माने तो जनपद औरैया में चंबल सेंचुरी क्षेत्र एशिया का सबसे बड़ा चंबल है। यहां पर बीते 10 सालों से नेचुरल हैचिंग हो रही है। इससे पूर्व अंडों को कुकरेल प्रजनन केंद्र लखनऊ भेजा जाता था। बताया तो यहां तक जाता है कि जब अंडों से घड़ियाल के बच्चे बाहर निकलते हैं तो उसके 3 माह तक वह कुछ भी भोजन ग्रहण नहीं करते हैं।
रिपोर्ट: प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया
ये भी पढ़ें: यहां हुई थी आजादी की पहली जंग, 10 जून को फहराया था झंडा, जानें पूरा इतिहास