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पिछले 8 सालों में किसानों की बिजली दरें 100 से 450 फीसदी बढ़ी
चाहकर भी लोग बिजली का उपभोग नहीं कर पायेगें इसलिये अभी भी समय है यूपी सरकार को इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुये बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को वापस लेना चाहिये। अन्यथा की स्थिति में पूरें प्रदेश की जनता में एक गलत संदेश जायेगा।
धनंजय सिंह
लखनऊ: यूपी के गत तीन सरकारों के द्वारा किसानों की हित के लिए भले ही बड़े-बड़े दावे किये जाते रहे हो, वह खोखले साबित हुए है। गत बसपा, सपा और भाजपा सरकार ने किसानों की आय में भले ही कोई बढ़ोत्तरी कर पाए हों। मगर वह ग्रामीण घरेलू किसानों की बिजली दरों में 2011-12 से लगभग 100 प्रतिशत, 71 प्रतिशत, 220 प्रतिशत व 450 प्रतिशत तक की बृद्धि हुई है।
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ग्रामीण घरेलू किसानों की बिजली दरों में 450 प्रतिशत बृद्धि को सियासी दलों ने विधानसभा में उठाने की नसीहत दे रहे है। किसानों के नाम पर सभी दल चुनाव से पहले तरह-तरह के दावे करते है किन्तु चुनाव जीतते ही सबसे अधिक किसान हासिये पर रहता है।
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यूपी में बिजली दर को लेकर हमेशा सरकारें किसानों को भ्रमित रखती है कि बिजली दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं की गयी।पिछले 2011-12 से 2019 के आंकड़ों को देखें, तो ग्रामीण शहरी घरेलू व किसानों की बिजली दरों में सबसे अधिक इजाफा किया गया।
वर्ष 2011 -12 की लागू दरें वर्तमान वर्ष 2019 की लागू दरें 7 वर्षो में बृद्धि प्रतिशत
किसान-रू. 75 प्रति बीएचपी रू. 150 प्रति बीएचपी 100 प्रतिशत
ग्रामीण घरेलू-रू. 125 प्रति संयोजन रू. 400 प्रति किवा 220 प्रतिशत
ग्रामीण मीटर्ड रू. 1/यूनिट रू. 5.50 प्रति यूनिट अन्तिम स्लैब 450 प्रतिशत
घरेलू शहरी अधिकतम रू. 3.80/यूनिट रू. 6.50 प्रति यूनिट अन्तिम स्लैब 71 प्रतिशत
घरेलू शहरी फिक्स चार्ज रू. 65/कि.वा. फिक्स चार्ज रू. 100/किवा 54 प्रतिशत
घरेलू ग्रामीण फिक्स चार्ज रू. 15/किवा. फिक्स चार्ज रू. 80/कि.वा. 433 प्रतिशत
इस संबंध में कांग्रेस के विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने कहा कि आंकड़ों के आधार पर किसानों के बिजली के दरों में 450 प्रतिशत की गयी है। जो बहुत दुखद है। इस पर मई डिटेल में आंकड़ों को देखता हूँ, इस मुद्दे को अगले विधानसभा के बैठक में कांग्रेस प्रमुखता से उठाई जाएगी।
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वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार की समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद ने घरेलू ग्रामीण व शहरी के सलैब के अन्तिम अधिकतम दर का विश्लेषण किया तो पिछले कई वर्षो में बिजली दरों में व्यापक बढ़ोत्तरी हुई, जो यह सिद्ध करता है कि इस वर्ष भी यदि ग्रामीण घरेलू व किसानों की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी करायी गयी तो पूरे प्रदेश में हाहाकार मच जायेगा।
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चाहकर भी लोग बिजली का उपभोग नहीं कर पायेगें इसलिये अभी भी समय है यूपी सरकार को इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुये बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को वापस लेना चाहिये। अन्यथा की स्थिति में पूरें प्रदेश की जनता में एक गलत संदेश जायेगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि आगामी 20 अगस्त को होने वाली राज्य सलाहकार समिति की बैठक में उपभोक्ता परिषद इस गम्भीर मुद्दे को उठायेगा।