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यूपी: विरोध के नाम पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं!
यूपी में प्रदर्शन के नाम सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं है। योगी सरकार ने शरारती तत्वों के खिलाफ नकेल कसने की कवायद तेज कर दी है।
लखनऊ: यूपी में प्रदर्शन के नाम सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं है। योगी सरकार ने शरारती तत्वों के खिलाफ नकेल कसने की कवायद तेज कर दी है।
इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने संपत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन कर दिया है। अधिकरण लखनऊ और मेरठ में गठित किया गया है।
इसका काम राजनैतिक जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों के नाम पर सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान की भरपाई करना होगा। राजधानी लखनऊ के अधिकरण क्षेत्र में 12 मंडल जबकि मेरठ के कार्यक्षेत्र में 6 मंडल क्षेत्रों की दावा याचिकाएं स्वीकार की जाएंगी।
बता दे कि यूपी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए योगी सरकार मार्च में उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 लेकर आई थी।
जिसके अंतर्गत इस दावा अधिकरण का गठन किया गया है। दावा अधिकरण को सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी और वह उसी रूप में काम करेगा।
उसका फैसला अंतिम होगा और उसके खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकेगी। क्षतिपूर्ति पाने के लिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के तीन माह के अंदर दावा अधिकरण के सामने आवेदन करना होगा।
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इसलिए पड़ी अधिकरण की जरूरत
मालूम हो कि यूपी में नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में सरकारी व निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाई गई थी।
जिसके बाद नुकसान की भरपाई के लिए शासनादेश जारी कर एडीएम की ओर से कार्रवाई की गई थी। बाद में इसे हाईकोर्ट चैलेंज किया गया था। तब कोर्ट ने बिना कानून बनाए ऐसी कार्रवाई पर सवाल उठाया था। बाद में ये केस सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था।
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लखनऊ के कार्यक्षेत्र में 12 मंडल
लखनऊ, झांसी, कानपुर, चित्रकूटधाम, अयोध्या, देवीपाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, बस्ती, गोरखपुर और विंध्याचल।
मेरठ के कार्यक्षेत्र में छह मंडल
मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, बरेली और मुरादाबाद
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