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पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज राज्यसभा के लिये निर्विरोध निर्वाचित
समाजवादी पार्टी (सपा) को छोड़कर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (सपा) में शामिल हुए नीरज शेखर सोमवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गये। नीरज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) को छोड़कर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (सपा) में शामिल हुए नीरज शेखर सोमवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गये। नीरज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं।
राज्यसभा उपचुनाव के लिए नियुक्त चुनाव अधिकारी बृजभूषण दुबे के अनुसार सोमवार को नाम वापसी का अंतिम दिन था।
उन्होंने बताया कि नाम वापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद नीरज शेखर को राज्यसभा सदस्य के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया।
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दरअसल यह सीट नीरज शेखर के इस्तीफा देने के बाद ही खाली हुई थी। नीरज पहले सपा से राज्यसभा सांसद थे लेकिन पिछले दिनों उन्होंने राज्यसभा और सपा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
बाद में निर्वाचन आयोग ने इस सीट के लिये उपचुनाव की घोषणा की। उपचुनाव में भाजपा ने नीरज शेखर को ही पार्टी उम्मीदवार बनाया और उन्होंने 14 अगस्त को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
उनके नामांकन के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के अलावा पार्टी के कई नेता भी मौजूद थे।
नाम वापसी के अंतिम दिन की गई औपचारिक घोषणा
चूंकि इस सीट के लिए किसी और उम्मीदवार ने नामांकन पत्र नहीं दाखिल किया था। ऐसे में नामांकन पत्र की जांच के बाद सोमवार को नाम वापसी के अंतिम दिन नीरज शेखर के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा कर दी गयी।
उल्लेखनीय है कि नीरज शेखर के सियासी सफर की शुरुआत साल 2007 में हुई। चंद्रशेखर जब तक जीवित रहे, बलिया संसदीय सीट से सांसद निर्वाचित होते रहे।
सन 2004 के लोकसभा चुनाव में वह आखिरी बार बलिया से सांसद निर्वाचित हुए. 2007 में उनके निधन के बाद रिक्त हुई बलिया सीट के लिए हुए उपचुनाव से नीरज शेखर के सियासी सफर की शुरुआत होती है।
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चंद्रशेखर सही मायनों में समाजवादी राजनीति के पैरोकार थे। परिवारवाद के धुर विरोधी चंद्रशेखर के जीवनकाल में उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं था।
2007 में पिता के राजनीतिक वारिस के तौर पर खुद को किया पेश
2007 के उपचुनाव में नीरज शेखर ने स्वयं को पिता की राजनीतिक विरासत के वारिस के तौर पर तो पेश कर दिया, लेकिन उसी पिता की एक निशानी मिटा दी।
नीरज ने चंद्रशेखर की बनाई पार्टी सजपा का सपा में विलय कर दिया और बरगद के पेड़ की जगह साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ा।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद 27 जुलाई को पहली बार नीरज शेखर लखनऊ पहुंचे। यहां उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री का विरोध करने वालों को स्वीकार करना चाहिए कि मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है।
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