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क्या करे लाचार किसान: कोरोना और आंधी की दोहरी मार, इस फसल का हुआ बंटाधार
तस्वीरों में आप देख सकते हैं किस तरीके से कच्चा आम सड़ कर जमीन पर बिखरा पड़ा है। और जो बाकी सही आम बचा है वह भी जमीन पर ही पड़ा हुआ है।
मेरठ: कोरोना वायरस के चलते हिंदुस्तान में हुए लॉक डाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित किसान हो रहे हैं। हालांकि किसानों के लिए सरकार ने प्रशासन को ढील बरतने के आदेश भी दे रखे हैं। लेकिन मौसम की मार और लॉक डाउन के बीच अब सबसे खस्ता हालत आम की बागवानी करने वाले किसानों की है। ऐसे ही एक किसान का दर्द जानने के लिए हमारी न्यूज़ ट्रैक की टीम आम की बागवानी करने वाले किसान परिवार के पास पहुंची।
आंधी-लॉकडाउन ने किया आम का नुकसान
तस्वीरों में आप देख सकते हैं किस तरीके से कच्चा आम सड़ कर जमीन पर बिखरा पड़ा है। और जो बाकी सही आम बचा है वह भी जमीन पर ही पड़ा हुआ है। ऐसा क्यों है जरा इस रिपोर्ट को देखकर समझिए कि इस वक्त मौसम की मार और लॉक डाउन से क्या हालात पैदा हो चुके हैं। मेरठ के किठोर थाना क्षेत्र के बड्डा गांव के रहने वाले किसान परिवार ने मोदीपुरम के पास पहुंचकर 104 बीगे का आम का बाग ठेके पर लिया। इसके लिए लाखों रुपए आम के बाग़ मालिक को इस किसान परिवार ने दिए। पिछले कई महीनों से यह परिवार इस आम के बाग की रखवाली कर रहा है। लेकिन हाल ही में तीन बार आई तेज आंधी ने ज्यादातर आम को पेड़ों से जमींदोज कर दिया।
लेकिन उधर लगे लॉक डाउन के चलते उस कच्चे आम को इकट्ठा कर जब इस किसान परिवार ने बेचने की सोची तो लॉक डाउन के चलते ना तो यह लोग कच्चे आम को मार्केट में ले जा पाए और ना ही कोई खरीदने वाला आया। मजबूरन कच्चा आम बाग़ में ही सड़कर खत्म हो गया। और ऐसा एक बार नहीं 3 बार हुआ।
और जो आम अब प्रतिदिन टूट रहा है उस कच्चे आम को भी यह लोग मार्केट में नहीं ले जा पा रहे हैं। इस परिवार का कहना है कि इन लोगों ने भारी भरकम रकम देकर बाग तो ले लिया। लेकिन ज्यादातर मेरठ की फल मंडियां बंद होने के चलते इन लोगों का आम नहीं बिक पा रहा है साथी अगर यह लोग शाम को ले जाना भी चाहे तो पुलिस लॉक डाउन के चलते इनको नहीं ले जाने देती इसके चलते इनका आम यहीं पर खराब होने को मजबूर है।
सरकार से मदद की मांग
इन लोगों का कहना है की 3 तिहाई आम मौसम की मार से खराब हो चुका है। जबकि बचा हुआ एक तिहाई भी खराब होने की कगार पर पहुंच रहा है। हमारी टीम से बात करते हुए इस परिवार के बड़े बुजुर्ग फूट-फूट कर रोने लगे सारा दर्द इनके आंखों से बयां हो रहा है। इन लोगों ने फफकते हुए होठों से सरकार से इनकी ओर भी ध्यान देने की मांग की है।
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उन्होंने कहा है कि अगर इनको किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली तो इन लोगों को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। क्योंकि इन लोगों ने जिस पैसे से आम के बागान ठेके पर लिए थे अब वह पैसा वापस नहीं आ सकता। जो बाकी बचा पैसा है वह भी मालिक को देना है। बाग के मालिक को हर सूरत में कर्जा करके पैसा देना होगा। जिससे इस आम के किसान परिवार का हाल और ज्यादा बिगड़ सकता है।
सादिक़ खान