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...तो इस वजह से योगी कैबिनेट से चारों मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

योगी आदित्यनाथ ने जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी उसी समय उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए थे कि हमारी सरकार पिछली सरकारों से अलग सरकार है। इसलिए वह अपने ढाई साल के कार्यकाल में अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों को भी अनुशासन में रहने की बात कहते रहते हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 21 Aug 2019 11:53 AM GMT
...तो इस वजह से योगी कैबिनेट से चारों मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
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योगी की नई टीम: इन 23 मंत्रियों ने ली शपथ, यहां देखें लिस्ट

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: योगी आदित्यनाथ ने जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी उसी समय उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए थे कि हमारी सरकार पिछली सरकारों से अलग सरकार है। इसलिए वह अपने ढाई साल के कार्यकाल में अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों को भी अनुशासन में रहने की बात कहते रहते हैं। बावजूद इसके सरकार में शामिल कुछ मंत्रियों ने मुख्यमंत्री की बात की अनदेखी की जिसका परिणाम उनको इस्तीफा देना पड़ा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब साझा दलों के साथ 325 विधायक लेकर प्रदेश सरकार बनाई तो उन्होंने संगठन में महती भूमिका निभाने वाली अनुपमा जायसवाल को बेसिक शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा। वह पहली बार विधायक और पहली बार में ही मंत्री बनीं, लेकिन अनुपमा जायसवाल शुरू से ही विवादित हो गयीं। स्टिंग आपरेशन के तहत उनके सचिव को तो हटा दिया गया। उसके छीटे अनुपमा जायसवाल पर भी पड़े।

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अनुपमा के कार्यकाल में हुई 68,500 शिक्षकों की भर्ती में भी अनियमितताओं की शिकायतें आई हैं। टीचरों के तबादलों से लेकर बच्चों के स्वेटर और जूते, मोजे सीजन निकल जाने के बाद बांटने के अलावा स्कूलों में किताबों की अनुपलब्धता को लेकर भी योगी सरकार को कई बार कटघरे में खड़ा होना पड़ा।

अनुपमा जायसवाल के साथ स्टिंग आपरेशन खनन राज्य मंत्री अर्चना पाण्डेय के सचिव का भी हुआ जिसके कारण सरकार की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा। अर्चना पाण्डेय की विधानसभा क्षेत्र से भी कई शिकायतें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई गयीं।

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जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सहयोगी दल के नेता ओमप्रकाश राजभर को मंत्री पद से हटाया गया तब भी कहा गया कि स्वच्छ छवि की सरकार पर कोई बट्टा लगाया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। बावजूद इसके इस्तीफा देने वाले मंत्रियों राजेश अग्रवाल अनुपमा जायसवाल, अर्चना पाण्डेय और धर्मपाल सिंह ने अपनी कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं किया।

इसी तरह सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह विभागीय तबादलों को लेकर चर्चा में रहे। उनके बंगले में हुए रंगरोगन की भी सत्ता के गलियारों में खूब चर्चा हुई। धर्मपाल सिंह जब सिंचाई मंत्री बने तो विभागीय कार्यों में काफी तेजी दिखाई पड़ी। परन्तु बाद में जब योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा की तो हर बार कई खामियां सामने आईं। विभागीय तबादलों के मामले में जब कर्मचारियों और अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की तो उस सूची को मुख्यमंत्री ने रोक लिया। विभाग में कमीशनखोरी और दलालों का सक्रिय होना भी धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की मुख्य वजह बनी।

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राजेश अग्रवाल ने भले ही अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों को हवाला दिया हो पर उनके विभाग में शिकायतों को दौरा शुरू से ही रहा है। कई बार उनके तबादलों को मुख्यमंत्री कार्यालय में रोका गया। प्रमुख सचिव के साथ कई बार राजेश अग्रवाल के विवाद भी हुए। उनकी शिकायत थी कि विभाग में उनकी चल नहीं रही है।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने परिवहन मंत्री पद से इस्तीफा एक व्यक्ति एक पद के सिद्वान्त के तहत ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। उनकी पार्टी में कुशल संगठनकर्ता की छवि रही है। इसलिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी न्यायपूर्ण ढंग से निभाने के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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