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चौथा चरण: खाता खोलने की फिराक में कांग्रेस, 6 लोकसभा क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला

चौथे चरण का चुनाव प्रचार अपने सबाब पर है। इस चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होने हैं। 2014 के लोकसभा के चुनाव में 13 लोकसभा सीटों में से 12 पर भाजपा और 1 सीट पर सपा जीत सकी थी, जबकि कांग्रेस और बसपा खाता नहीं खोल पाई थी।

Dharmendra kumar
Published on: 24 April 2019 10:44 PM IST
चौथा चरण: खाता खोलने की फिराक में कांग्रेस, 6 लोकसभा क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला
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धनंजय सिंह

लखनऊ: चौथे चरण का चुनाव प्रचार अपने सबाब पर है। इस चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होने है। 2014 के लोकसभा के चुनाव में 13 लोकसभा सीटों में से 12 पर भाजपा और 1 सीट पर सपा जीत सकी थी, जबकि कांग्रेस और बसपा खाता नहीं खोल पाई थी। इस बार सपा व् बसपा गठबन्धन से सीधे लगभग 7 सीटों सीधे भाजपा से टक्कर हो रही है,छह सीटों पर कांग्रेस ने त्रिकोणीय बनाकर मुकाबला रोचक बना दिया है। इस बार 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में 152 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

तीसरे चरण का चुनाव खत्म होते ही कानपुर से लेकर खीरी और बुंदेलखंड लोकसभा क्षेत्रों में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। राजनीतिक दलों ने अपना केंद्र बिंदु कानपुर को बनाया है। इस चरण में 29 अप्रैल को यूपी की कानपुर, उन्नाव, फ़र्रुखाबाद, अकबरपुर, झाँसी और लखीमपुर खीरी काे छोड़कर सभी जगह भाजपा और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है। कानपुर में पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, उन्नाव से अनु टंडन, लखीमपुर खीरी से जफर अली नकवी, झाँसी से प्रदीप जैन, फ़र्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद और अकबरपुर से राजाराम पाल ने लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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इस चरण के चुनाव में कुल 2.38 करोड़ मतदाता हैं जिसमें 1.29 करोड़ पुरुष और 1.09 महिला मतदाता हैं। इसके अलावा 1230 अन्य मतदाता भी हैं। इस चरण के चुनाव में शाहजहांपुर से 14, खीरी से 15, हरदोई से 11, उन्नाव से नौ, मिश्रिख से 13, फर्रुखाबाद से नौ, इटावा से 13, कन्नौज से 10, कानपुर से 14, अकबरपुर से 14, जालौन से पांच, झांसी से 11, हमीरपुर से 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चरण के चुनाव में पहली बार मतदाता बने 18 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के 3,56,005 हैं, जबकि इनसे ज्यादा 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के मतदाताओं की संख्या 4,54,508 है। इस चरण के चुनाव में भी विपक्ष के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। सिर्फ उसे अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए लड़ाई लड़नी है।

प्रियंका वाड्रा की सक्रियता के बाद कांग्रेस भी अपना खाता खोलने की उम्मीद लगाये बैठी है। कांग्रेस समर्थकों का मानना है कि उन्नाव और कानपुर के अलावा खीरी, झाँसी, फ़र्रुखाबाद और अकबरपुर में भी जीतने की स्थिति में रहेंगे। इसका कारण है कि खीरी में कांग्रेस उम्मीदवार जफर अली नकवी पिछले लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार वे पांच साल तक लगातार क्षेत्र में बने रहे। खीरी की कांग्रेसी राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले रवि वर्मा का कहना है कि उनके लिए धौरहरा से उम्मीदवार व कांग्रेस के दिग्गजों में शामिल जितिन प्रसाद के साथ मतभेद का होना घातक साबित हो सकता है।

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जफर अली नकवी कांग्रेस के पुराने नेता हैं और वे कांग्रेस में जितिन के बढ़े कद को स्वीकार नहीं करते। इस कारण दोनों नेताओं व उनके समर्थकों में अंदरूनी तौर पर एक दूसरे को काटने की रणनीति चलती रहती है। हालांकि दोनों नेताओं के बीच यह मतेभद कभी मंच पर नहीं आया लेकिन जब भी किसी मंच पर दोनों नेता एक साथ होते हैं तो उनके समर्थकों के बीच तनाव की स्थिति आ जाती है।

2009 के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस उन्नाव, कानपुर, अकबरपुर, झाँसी, फ़र्रुखाबाद और लखीमपुर खीरी में जीत दर्ज की थी, जबकि 2014 में कांग्रेस एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के चौथे चरण 13 सीटों पर इस बार कांग्रेस खाता खोलने के फ़िराक में लगी हुई है।



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Dharmendra kumar

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