×

बनारस में तैयार होगा पहला गंगा ग्राम, खेती के साथ रोजगार के खुलेंगे द्वार

काशी में देश का पहला मॉडल ग्राम बनाने की तैयारी की जा रही है. दरअसल उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित गांवों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है. देश के पहले मॉडल गंगा ग्राम में गंगा जल को खेती मत्स्य पालन और इको टूरिजम में इस्तेमाल कर गंगा ब्रांड बाजार में उतारने की तयारी की गईं है.

Ashiki
Published on: 6 Jan 2021 3:33 PM GMT
बनारस में तैयार होगा पहला गंगा ग्राम, खेती के साथ रोजगार के खुलेंगे द्वार
X
बनारस में तैयार होगा पहला गंगा ग्राम, खेती के साथ रोजगार के खुलेंगे द्वार

वाराणसी: काशी में देश का पहला मॉडल ग्राम बनाने की तैयारी की जा रही है. दरअसल उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित गांवों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है. देश के पहले मॉडल गंगा ग्राम में गंगा जल को खेती मत्स्य पालन और इको टूरिजम में इस्तेमाल कर गंगा ब्रांड बाजार में उतारने की तयारी की गई हैं. जिसके लिए बीएचयू द्वारा भेजे गए प्रस्ताव नमामि गंगे ने को स्वीकार कर लिया है इसके बाद गांवों के चयन का अभिनव प्रयोग शुरू किया कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें: किसानों को सौगात: सीएम योगी ने किया 99 कृषि कल्याण केंद्रों का उद्घाटन

बनारस में बनेगा पहला गंगा ग्राम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा नदी को देश का पहला मॉडल ग्राम गंगा बनाने की तैयारी की जा रही है.जिसके लिए बीएचयू के महामना मालवीय शोध संस्थान की तरफ से नमामि गंगे को एक प्रस्ताव भेजा गया है. अब जल्द ही काशी में देश का पहला मॉडल ग्राम गंगा बनाया जायेगा.

इससे न सिर्फ वाराणसी के गंगा घाट किनारे रहने वाले लोगों को रोजगार मुहैया होगा. बल्कि गंगाजल की खेती से उत्तपन्न होने वाली फसले गंगा का नया ब्रांड होंगी. गंगा के किनारे मॉडल गंगा ग्राम में उगने वाली फसलें गंगा जल से सिंचाई कर तैयार की जाएगी और शुद्ध तरीके से आर्गेनिक सब्जियों की अच्छी कीमत बाजार से मिलने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें: योगी का मंथन: रोजगार से लेकर इन परियोजनाओं तक, सीएम ने लिए ये फैसले

औषधि गुणों से भरपूर है मोक्षदायिनी का जल

मोक्षदायिनी मां गंगा के जल में कई तरह के औषधि गुण पाए जाते है, जो कई बीमारियों में लाभदायक सिद्ध हुए हैं. समय-समय पर वैज्ञानिकों ने भी इसे माना है. शायद यही कारण है कि गंगा ग्राम की परिकल्पना की गई है. बनारस में कछुआ सेंचुरी की वजह से बहुत सी बंदिशें थी. लेकिन कछुआ सेंचुरी हटने के बाद खेती के साथ रोजगार के भी द्वार खुल गए हैं.

रिपोर्ट: आशुतोष सिंह

Ashiki

Ashiki

Next Story