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यज्ञ से हुआ संन्यासी का जन्म, 16 साल में बन गया मठाधीश

हम बात कर रहे हैं उस बालक की जिसे लोग कौशलेंद्र कहते थे। लेकिन अब कौशलेंद्र से कौशलेंद्र हो चुके है। वो छोटा नन्हा बालक सन 2007 में सन्यास ग्रहण करता है।

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Published on: 19 July 2020 10:57 AM GMT
यज्ञ से हुआ संन्यासी का जन्म, 16 साल में बन गया मठाधीश
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गाजीपुर: कक्षा 5 में पढ़ने वाले बालकों के बारे में जानते होंगे उनकी उम्र कितनी होगी। इस उम्र में लड़के खेलते और पढ़ते हैं। लेकिन एक ऐसा बालक जो पांचवी में तो पढ़ता है ।लेकिन इस बालक का मन पढ़ाई में नहीं सन्यास में है, जो पल पल सोचता है, की हमें ईश्वर को पाना है। पांचवीं में पढ़ने वाले इस बालक के साथ एक ऐसी घटना घटती है, जो इस छोटे से बालक के मन को और सुदृढ़ बनाती है।

ननिहाल में हो रहे यज्ञ से बदला मन

हम बात कर रहे हैं उस बालक की जिसे लोग कौशलेंद्र कहते थे। लेकिन अब कौशलेंद्र से कौशलेंद्र हो चुके है। वो छोटा नन्हा बालक सन 2007 में सन्यास ग्रहण करता है। और 4 साल बाद बनता है, ऐसे मठ का महंत जो 400 साल पुराना मठ हैं। बलिया जिले के रसड़ा तहसील में स्थापित ये मठ, रसड़ा मुख्य बाजार से 1 किलोमीटर की दूरी पर है। बलिया के साथ-साथ पूर्वांचल में विख्यात ये मठ जहां सेंगर राजपूत रोट पूजन करते हैं। जिसका नाम है श्रीनाथ मठ जो श्री नाथ बाबा के नाम से पुरे बलिया और पूर्वांचल में विख्यात है। इसी मठ के महंत हैं। कौशलेंद्र गिरी जो उत्तर प्रदेश के मठाधीशो में सबसे कम उम्र के मठाधीश हैं। श्री नाथ बाबा मठ के महंत कौशलेंद्र गिरी अपना भारत न्यूजट्रैक को बताते हैं, कि पांचवीं का परीक्षा देने के बाद मैं अपने ननिहाल गया था।

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जहा एक यज्ञ हो रहा था। उस यज्ञ में मै रोज जाता और वहां आये साधुओं के साथ बैठता और उनकी बाते सुनता। जब यज्ञ समाप्त हो गया। उस यज्ञ में आए सभी लोग जाने लगे उसी यज्ञ में हमारे माता-पिता भी आये थे। यज्ञ समाप्त होने के बाद हमारे माता-पिता हमें ले जाने लगें। तब मैं जाने से मना कर दिया। वहां आए एक संन्यासी ने हमारे माता-पिता से कहा की जाने दीजिए कुछ दिनो बाद ये बच्चा चला जायेगा। उसके बाद हमारे माता-पिता वापस चले गए। कुछ दिनों तक मैं उस सन्यासी के साथ रहा और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को ग्रहण करने लगा। कौशलेंद्र गिरी ने बताया की वहां से आने के बाद मैं कुछ दिन बनारस भी रहा और उसके बाद मैं वापस अपने घर चला आया।

एक नाबालिग बना मठाधीश

श्री नाथ बाबा के मठाधीश कौशलेंद्र गिरी बताते हैं, कि सन् 2007 की बात है। इस मठ में मानस पाठ हो रहा था। और उस समय के महंत शम्भु गिरी को एक बालक की जरुरत थी। तब उन्हें किसी ने बताया की एक बालक टिका डउरी नगपुरा में है, और कुछ सालों तक एक सन्यासी के साथ भी रहा। उनके कहने पर हमारे पिता जी हमें लेकर इस मठ पर आए। चूंकी शम्भु गिरी का सभी लोग सम्मान करते थे। इसलिए हमारे पिता जी लेकर खुद मठ पर आये। लेकिन जब उनको पता चला की कौशलेंद्र को संन्यासी बनाना चाहते हैं। तब उन्होंने साफ मना कर दिया। लेकिन इतना सुनते ही हमारा मन तो प्रभु में और लीन हो गया।

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मेरे लाख कहने के बावजूद भी हमारे पिता जी विरोध करते रहे। उन्होंने बताया कि करीब तीन साल तक चर्चा होती रहीं। लेकिन कुछ सम्मानित व्यक्तियों के कहने के बावजूद किसी तरह पिता जी तैयार हुए। और हमें इस मठ पर भेज दिया। और वो दिन भी आया जिसकी हमे सालों से तलाश थी। पांच साल से लेकर सोलह साल का उम्र लड़कपन का उम्र होता है। इस उम्र में बच्चो का मन पढ़ने और खेलने में होता हैं। लेकिन एक बच्चा पढ़ने और खेलने के उम्र में सन्यासी बन जाय तो इसे भगवान की माया ही कहा जायेगा। कौशलेंद्र गिरी जो सोलह साल की उम्र में सन्यासी बन कर इश्वर के चरणो में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। श्री नाथ मठ के मठाधीश कौशलेंद्र गिरी बताते हैं,की 16 नवम्बर सन् 2013 को हमारे गुरु व उस समय के मठाधीश रहे।

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शम्भु गिरी जी अपने शरीर को त्याग दिये। तब यहां के मठाधीश के लिए हमारे नाम की चर्चा होने लगी और सन् 2014 मे हमे यहां का मठाधीश नियुक्त किया गया। तब हमारी उम्र उन्नीस साल की हो चुकी थी। एक सवाल के जबाब देते हुए, महंत कौशलेंद्र गिरी बताते हैं, जब हमें महंत बनाया जा रहा था। तो उस समय हमारा विरोध खुल कर कुछ लोगों के द्वारा किया गया। क्षेत्र के लोग जिनका मठ से लगाव है। उनका सहयोग मिला क्योंकी शम्भु गिरी ने अपने उत्तराधिकारी व शिष्य बनाया था। महंत कौशलेंद्र गिरी ने बताया की मठाधीश बनने के बाद बारहवीं किया। और अब संस्कृत बिद्यालय से आचार्य कर रहा हुं। कौशलेंद्र गिरी ने बताया की अभी हमारी उम्र 25 साल हो रही है।

ग्यारहवीं पीढी के महंत हैं, कौशलेंद्र गिरी

श्री नाथ बाबा मठ के ग्यारहवीं पीढी के कौशलेंद्र गिरी मठाधीश है। इस मठ के प्रथम महंत सोमार नाथ गिरी महंत है। उन्होंने बताया की उनके बाद बहुत मठाधीश हुए लेकिन सबसे कम उम्र का महंत मैं ही बना। जिसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। मैं अपना मनुष्य रुपी जीवन प्रभु के चरणो मे समर्पित कर दिया। कौशलेंद्र गिरी बताते हैं कि हमारा संप्रदाय पंचायती महानिर्माणी अखड़ा है। इस अखाड़े के मठ देश में हर जगह आप को मिलेगा। कौशलेंद्र गिरी ने कहा कि श्री नाथ बाबा का मठ प्रदेश के तीन जिलो में है। जिसमे बस्ती, सिध्दार्थ नगर और देवरिया में स्थापित हैं।सभी यही से संचालित होते है। एक सवाल के जबाब में कौशलेंद्र गिरी ने कहा की मैं समाज सेवा कर रहा हूं।

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देश में आए महामारी के दौरान मठ के अंतर्गत आने वाले करीब सौ दुकानदारों का किराया माफ कर दिया। मठ के विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रो का अब तक का सारा फीस माफ कर दिया हूं। राजनीति में जाने की बात हैं, तो आगे देखा जायेगा। श्री नाथ बाबा का मठ करीब 52 बिघे में फैला हुआ है.यही पर सेगर राजपूत ऐतिहासिक रोट पुजन करते हैं।जिसे देखने के लिए बलिया के अलावा और जिलो से भी लोग आते है।उस समय सेंगर राजपूत लाठी के साथ साथ घर में रखे हथियारों का भी पुजा करते हैं।

रिपोर्ट- रजनीश कुमार मिश्र

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